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पहलवान सुशील कुमार को पुलिस और कानून से ज्यादा 'डॉन' से डर, जानिए कौन है वो 

Sushil Kumar Update News : हत्या के मामले में कई दिन तक फरार रहने के बाद ओलंपिक में भारत के लिए पदक जीतने वाले पहलवान सुशील को पुलिस ने रविवार को ही गिरफ्तार किया है. इस बीच कोर्ट में पेशी के बाद उसे रिमांड पर ले लिया गया है, ताकि पूछताछ की जा सके.

Updated on: 24 May 2021, 04:40 PM

नई दिल्ली :

Sushil Kumar Update News : हत्या के मामले में कई दिन तक फरार रहने के बाद ओलंपिक में भारत के लिए पदक जीतने वाले पहलवान सुशील को पुलिस ने रविवार को ही गिरफ्तार किया है. इस बीच कोर्ट में पेशी के बाद उसे रिमांड पर ले लिया गया है, ताकि पूछताछ की जा सके. बताया जा रहा है कि पहलवान सुशील कुमार 19 दिन की फरारी के दौरान पुलिस से ज्यादा एक डॉन के खौफ के साए में रहा. जिसका डर जेल जाने के बाद और बढ़ जाएगा. फिलहाल सुशील कुमार को छह दिन की रिमांड पर है, लेकिन उसे डर है कि जब न्यायिक हिरासत में भेजा जाएगा तो वह डॉन उस पर हमला करवा सकता है.

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दरअसल सागर धनकड़ मर्डर केस की जांच कर रही पुलिस के सामने सुशील पहलवान के नीरज बवानिया गैंग और लॉरेंस बिश्नोई काला जठेड़ी गैंग से रिश्ते रोशनी में आ गए हैं. दोनों गैंग से सुशील कुमार के करीबी ताल्लुकात रह चुके हैं. चाहे प्रॉपर्टी विवाद हो या गैंग की तरफ से किसी को एक्सटॉर्शन की धमकी मिली हो. सुशील पहलवान दोनों गैंग के बदमाशों से संपर्क होने की वजह से उनमें मध्यस्थ की भूमिका भी निभाने लगा था. रिश्तों की गहराई का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि पुलिस को यह प्रमाण मिले हैं कि वह इन दोनों बदमाशों के पारिवारिक समारोह में भी शामिल हो चुका था. यह भी कह सकते हैं कि बदमाशों के लिए सुशील पहलवान एक ब्रांड जैसा था, जिसे खुद बदमाशों का साथ और उनकी धाक पसंद आने लगी थी. जब बदमाशों से डरे लोग सुशील कुमार के पास पहलवान जी करते हुए आते तो सुशील बदमाशों से संपर्क करके अपनी धाक भी बढ़ाता था और विवादित संपत्तियों के मामले में उसका भी मोटा कट बनता था. मॉडल टाउन का जो फ्लैट विवाद की वजह बना वह विवादित बताया जाता है और कब्जे से हथियाया गया था. इस फ्लैट पर कब्जा लेने में सागर धनकड़ और सोनू महाल की अहम भूमिका थी. 

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सुशील कुमार के हमले में घायल सोनू महाल काला जठेड़ी का ममेरा भाई है, जिसके खिलाफ संगीन अपराधों के कई केस दर्ज मिले हैं. यह सागर धनकर और सोनू महाल भी सुशील के करीबियों में होते थे, लेकिन मॉडल टाउन के उस कब्जाए गए फ्लैट को लेकर उनके बीच विवाद पैदा हो चुका था. सागर सुशील के लिए अन्य पहलवानों के सामने गाली गलौज तक कर देता था. इससे सुशील नाराज रहने लगा. 4 मई की रात उसने मॉडल टाउन के फ्लैट से सागर सोनू माहौल को किडनैप किया और छत्रसाल स्टेडियम में ले जाकर बेरहमी से पीटा.

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यहां से नाराज हुआ काला जठेड़ी
सुशील के टारगेट पर सागर धनकड़ था, लेकिन सोनू महाल ने सागर का साथ दिया तो उसे भी बुरी तरह से पीट दिया था, इस घटना के बाद उसने काला जो ठहरी तो फोन करके कहा था कि उससे जो हुआ वह गुस्से में हुआ. सोनू पहलवान को वह बोले कि उसके खिलाफ पुलिस को गवाही ना दें. इस पर काला ने उसे साफ कह दिया कि यह गलत काम कर दिया है अब उसे इसका नतीजा भुगतना पड़ेगा. सोनू महाल उसका भाई है. बताया जा रहा है कि काला के इशारे पर ही सुशील पहलवान के खिलाफ सोनू ने पुलिस में बतौर चश्मदीद बयान दिया. इस वारदात में छत्रसाल स्टेडियम से पुलिस को काले रंग की स्कार्पियो भी मिली, जिसमें लोडेड शार्ट गन थी, जो आसौदा गांव के एक युवक की निकली, उसका रिकॉर्ड खंगालने पर पुलिस को पता चला कि वह जेल में बंद नीरज बवानिया के साथी नवीन बाली गैंग से जुड़ा है. यह गैंग बवानिया के इशारे पर बाहर ऑपरेट करता है.

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इस तरह साफ हो गया कि सुशील पहलवान ने नीरज बवानिया गैंग के बदमाशों की मदद से सागर धनकड़ की हत्या की और अपना दबदबा जमाने की कोशिश की. लेकिन सोनू महाल पर हमला करना उसे भारी पड़ गया और काला ने उसे सीधे-सीधे धमकी दे दी कि अब वह नतीजा भुगतने के लिए तैयार रहे. तब से सुशील को डर है कि काला उसे जेल में भी नुकसान पहुंचा सकता है. इस बारे में उसने पुलिस अधिकारियों को भी बताया है. पुलिस सूत्रों का कहना है कि शुरुआती जांच में सागर धनकर और उसके साथियों पर हमले की वजह मॉडल टाउन स्थित सुशील के एक फ्लैट के विवाद के चलते सामने आई थी, जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी तो यह साफ होता गया फ्लैट का विवाद तो बहाना था, असल में सागर धनकर की हत्या वर्चस्व की लड़ाई के चलते हुई थी.

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दरअसल, सुशील ने इस छत्रसाल स्टेडियम को बाउंसर्स की प्रोडक्टिविटी की फैक्ट्री बना दिया था, उसे स्टेडियम में ओएसडी की जिम्मेदारी देश को पदक दिलाने वाले पहलवानों को आगे लाने के लिए दी गई थी लेकिन आरोप है कि उसने जो पहलवान खेल में आगे जा सकते थे, उनका कैरियर बर्बाद कर दिया और उन्हीं पहलवानों को टिकने दिया जो उसकी बाउंसर या कहें बदमाश कंपनी में शामिल हो सकते थे. दिल्ली बॉर्डर पर टोल गेट के बाउंसर लगाने का ठेका सुशील पहलवान या उसके गुर्गों के पास रहा है, पुलिस के आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि खुद सुशील कुमार ने यह ठेका 3 महीने चलाया था, फिर इस धंधे पर उसका ही वर्चस्व रहा.