फ्रेंच ओपन: चैम्पियन नडाल की क्या विंबलडन 2017 में भी दिखेगी धमक, छह साल पहले पहुंचे थे फाइनल में
तीन साल बाद फ्रेंच ओपन-2017 में नडाल की सनसनीखेज वापसी से चर्चा फिर चल पड़ी है कि क्या विंबलडन में भी वह एक बार फिर दूसरे खिलाड़ियों के लिए बड़ी चुनौती बनने जा रहे हैं।
highlights
- राफेल नडाल ने 2014 के बाद पहली बार जीता कोई ग्रैंड स्लैम खिताब
- क्ले कोर्ट के बादशाह को ग्रास कोर्ट वाले विंबलडन में करना पड़ सकता है मुश्किलों का सामना
- पिछले साल नडाल ने नहीं खेला था विंबलडन, 2011 में आखिरी बार नजर आए थे फाइनल में
नई दिल्ली:
करीब छह साल हो गए जब राफेल नडाल आखिरी बार 2011 में विंबलडन के फाइनल में नजर आए थे। तब सर्बिया के नोवाक जोकोविच ने उन्हें 6-4, 6-1, 1-6, 6-3 से मात दी थी।
अब तीन साल बाद फ्रेंच ओपन-2017 में नडाल की सनसनीखेज वापसी से चर्चा फिर चल पड़ी है कि क्या विंबलडन में भी वह एक बार फिर दूसरे खिलाड़ियों के लिए बड़ी चुनौती बनने जा रहे हैं।
नडाल ने रविवार को फाइनल में स्विट्जरलैंड के स्टान वावरिंका को हराकर रिकॉर्ड 10वीं बार फ्रेंच ओपन का खिताब जीता। यह नडाल का 15वां ग्रैंडस्लैम खिताब है और वह रोजर फेडरर के 18 ग्रैंड स्लैम खिताब के बाद दूसरे नंबर पर हैं। साथ ही नडाल एक ही ग्रैंड स्लैम 10 बार जीतने वाले मॉर्डन एरा के पहले खिलाड़ी बन गए हैं।
विंबलडन में नडाल बनेंगे चुनौती?
लाल बजरी यानि क्ले कोर्ट के बादशाह माने जाने वाले नडाल के नाम यूं तो विंबलडन के दो ही खिताब हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि क्ले कोर्ट के इस बादशाह को ग्रास कोर्ट बहुत रास नहीं आता हो।
रिकॉर्ड्स की बात करें तो नडाल साल 2006, 2007, 2008, 2010, 2011 में विंबलडन के पुरुष एकल के फाइनल में पहुंचने में कामयाब रहे। यही नहीं, 2008 में रोजर फेडरर और फिर 2010 में चेक गणराज्य के थॉमस बर्डिक को हराकर खिताब भी जीता।
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नडाल के घुटने की चोट न बन जाए सिरदर्द
स्पेन के 31 साल के इस स्टार खिलाड़ी का क्ले कोर्ट पर जलवा तो खूब दिखा लेकिन घास पर इस बार उनके लिए खेलना ज्यादा चुनौतीपूर्ण भी साबित हो सकता है। क्ले कोर्ट की अपेक्षा ग्रास कोर्ट पर कम उछाल और गति का असल उनके घुटने के चोट पर पड़ सकता है। बता दें कि नडाल 2012 के बाद से ही घुटने की चोट से प्रभावित रहे हैं। हाल के विंबलडन टूर्नामेंटों में उनका प्रदर्शन भी ज्यादा उत्साह नहीं जगाता जब वह वर्ल्ड रैंकिंग में 100वा स्थान रखने वाले खिलाड़ियों से भी हारते आए हैं।
मसलन, उनके पिछले साल विंबलडन रिकॉर्ड ही देखिए तो उन्हें चेक गणराज्य के लुकास रोसोल (वर्ल्ड रैंकिंग-100), बेल्जियम के स्टीव डार्किस (रैंकिंग-135), निक किर्गिओस (रैंकिंग-144) और डस्टिन ब्राउन (रैंकिंग-102) ने हराया। जबकि, पिछले साल चोट के कारण नडाल ने विंबलडन से नाम वापस ले लिया था।
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बहरहाल, फ्रेंच ओपन की जीत के बाद नडाल रैंकिंग में दूसरे नंबर पर पहुंच गए हैं और एंडी मरे अब भी 2,605 अंकों के साथ उनसे आगे हैं। स्टान वावरिंका वर्ल्ड रैंकिंग में तीसरे जबकि जोकोविच चौथे नंबर की रैंकिंग के साथ विंबलडन में उतरेंगे।
इस लिहाज से नडाल के लिए एक बड़ी बात यह होगी कि उनके पास विंबलडन में बचाने के लिए कुछ भी नहीं होगा और दबाव के बिना अपना खेल खेल सकेंगे। ऊपर से फ्रेंच ओपन जीतने का आत्मविश्वास भी उनके कंधे पर होगा। इस लिहाज से इस बार उनसे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद तो की ही जा सकती है।
वैसे भी, एक चैम्पियन की असल निशानी तमाम मुश्किलों के बावजूद वापसी करनी होती है और 10वीं बार फ्रेंच ओपन जीतने वाले नडाल ने इसे साबित किया है।
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