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साइना और पीवी सिंधु दो ऐसे बैडमिंटन खिलाड़ी जिन्होंने पूरी दुनिया में भारतीय बैडमिंटन को एक नई पहचान दिलाई। एक ने बैडमिंटन को लोकप्रिय बनाया और दूसरी ने उस लोकप्रियता को नई ऊंचाई दी। साइना पीवी सिंधु की मेहनत ही है कि आज देश-दुनिया में भारत के इन दो बैडमिंटन खिलाड़ियों का नाम सभी जानते हैं।
विश्व स्तर पर इनके मेहनत से देश के लिए जीते गए मेडल का ही परिणाम है कि आज भारत का अपना बैडमिंटन लीग होता है। इन दो खिलाड़ियों ने भारत में बैडमिंटन की तस्वीर बदल दी है। आइए पहले दोनों खिलाड़ियों के करियर के बारे में जान लें।
2003 में साइना जूनियर सीजेक ओपन में पहली बार हिस्सा लिया। इस टुर्नामेंट को साइना ने जीता। इसके बाद 2004 में साइना ने कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स में भाग लिया और दूसरा स्थान हांसिल किया।
2005 के एशियन सेटेलाइट बैडमिंटन टूर्नामेंट में साइना ने फिर कमाल दिखाया और टूर्नामेंट जीता। इस टूर्नामेंट में उन्होंने अगले साल भी जीत दर्ज की। 2006 में साइना ने पहली फिलिपिन्स ओपेंस में हिस्सा लिया और महज 16 साल की उम्र में इस खिताब को जीतने वाली भारत की पहली खिलाड़ी बन गई।
इसके बाद 2008 में उन्होंने वर्ल्ड जूनियर बैडमिंटन का खिताब जीता। इसके साथ ही इंडियन नेशनल बैडमिंटन चैंपियंशिप और कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स में भी जीत दर्ज की। साइना लगातार दुनिया भर में अपना नाम कर रही थी। एक के बाद एक टूर्नामेंट छोटी उम्र में ही जीतकर उन्होंने भारत का नाम विश्व स्तर पर रोशन किया।
2009 में 'इम्डोनेशिया ओपन' जीतकर इतिहास रचा। इसी साल उन्हें अर्जुन पुरुस्कार भी दिया गया। 2010 में भी इस युवा खिलाड़ी ने एक के बाद एक कई टूर्नामेंट जीते। उन्होंने 'इंडिया ओपन प्रिक्स गोल्ड', 'सिंगापुर ओपन सीरीज' जैसे बड़े टूर्नामेंट जीते।
2011 में 'स्विस ओपन' खिताब जीता और BWF सुपर सीरीज मास्चर फाइनल के फाइनल में जगह बनाई। 2012 में तीसरी बार इंडोनेशियाई ओपन का खिताब जीता। इसी साल लंदन ओलंपिक्स में ब्रोंज मेडल जीतकर एक बार फिर इतिहास रचा।
2014 में पीवी सिन्धू को हराकर वर्ल्ड चैंपियंस जीती। इस साल वह सातवें रैंक पर पहुंची। इसी साल उन्होंने चाइना ओपन सुपर सीरीज जीतने वाली पहली भारती खिलाड़ी बनी 2015 में 29 मार्च को साइना ने इंडिया ओपन BWF सुपर सीरीज में सींगल्स खिताब जीता।
साल 2017 में वह अपनी फिटनेस से जूझती रही लेकिन इसके बावजूद उन्होंने इशियन चैंपियनशिप में ब्रॉंज जीता।
पीवी सिंधु
हाल ही में कोरिया ओपन सुपरसीरीज अपने नाम करने वाली पीवी सिंधु बैडमिंटन के कोर्ट में हर बार एक अलग छाप छोड़ती है।
पीवी सिंधु के रिकॉर्ड की बात करें तो बात करें तो
1. पीवी सिंधु पहली भारतीय खिलाड़ी हैं, जिन्होंने विश्व चैंपियनशिप में तीन मेडल अपने नाम किए हैं। सिंधु ने 2013 और 2014 के वर्ल्ड चैंपियनशिप में लगातार दो बार कांस्य पदक जीतीं। इस साल सिंधु ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में जापानी खिलाड़ी से हारने के बाद रजत पदक अपने नाम की थी।
2. पीवी सिंधु के नाम एक खास रिकॉर्ड वर्ल्ड चैंपियनशिप को लेकर ही है। वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिंधु ने चीनी खिलाड़ियों के सामने कभी भी हार का सामना नहीं किया है। चैंपियनशिप में अब तक हुए 6 बार के मुकाबलों में सिंधु ने 6 बार चीनी खिलाड़ियों को पराजित किया है।
3. पीवी सिंधु के नाम बैडमिंटन के इतिहास का दूसरा सबसे लम्बा और वर्ल्ड चैंपियनशिप टूर्नामेंट का सबसे लम्बा मैच खेलने का रिकॉर्ड है। वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में सिंधु और ओकुहारा ने 110 मिनट का लंबा मैच खेला था। इससे सिंधु की क्षमता और बैडमिंटन के प्रति प्रेम का पता चलता है।
4. पीवी सिंधु पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जिनके नाम ओलंपिक और वर्ल्ड चैंपियनशिप दोनों के फाइनल में पहुंचने का रिकॉर्ड है। रियो में मेडल जीतकर सिंधु ओलंपिक मेडल जीतने वाली 5वीं भारतीय महिला बनी थी।
5. रियो ओलंपिक में रजत पदक जीतने के तुरंत बाद सिंधु ने पिछले साल नवंबर में चाइना ओपन जीतकर लगातार अपना दबदबा बनाए रखीं। इससे पहले 2014 में साइना नेहवाल और किदांबी श्रीकांत ने महिला और पुरुष सिंगल्स में यह खिताब हासिल किया था। चाइना ओपन अपने नाम करने वाली सिंधु तीसरी भारतीय खिलाड़ी बनी। सबसे खास बात यह है कि पिछले 30 सालों में इस टूर्नामेंट में महिला सिंगल्स का खिताब हासिल करने वाली सिंधु तीसरी नॉन- चाइनीज खिलाड़ी भी हैं।
इसके अलावा सिंधु को अपने बेहतरीन खेल के लिए साल 2013 में प्रसिद्ध अर्जुन अवार्ड, 2015 में पद्मश्री अवार्ड और साल 2016 में राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड भी मिल चुका है। 2013 के बाद सिंधु लगातार बेहतर होती गईं और सायना चोट की वजह वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाईं।
दोनों ने अब तक कितने मुकाबले जीते
साइना ने अब तक 520 मुकाबले खेले हैं जिसमें उन्होंने 366 में जीत और 154 में हार का सामना किया है। वह इस वक्त अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग में 12वें स्थान पर हैं। वहीं सिंधु ने कुल 326 मैच खेलें हैं जिसमें 227 में जीत दर्ज की है। सिंधु की रैंकिंग अभी 4 है।
भारत में बैडमिंटन के खेल में क्रांतिकारी बदलाव लाने का श्रेय अगर किसी को जाता है, तो निश्चित रूप से वह नाम साइना नेहवाल और पीवी सिंधु का ही हैं। इन दोनों खिलाड़ियों ने अपने अब तक के करियर में चीन के खिलाड़ियों को उन्हीं की विशेषज्ञता वाले समझे जाने वाले इस खेल में वे लगातार कई बार हरा चुकी हैं।
Source : News Nation Bureau