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चोट के कारण थमा करियर, घर गिरवी रखकर खोली एकेडमी

पुलेला गोपीचंद ने न केवल खेल से भारत को चैंपियन बनाया बल्कि अब प्रशिक्षक के तौर पर भी नये-नये हीरे गढ़ रहे हैं.

Updated on: 15 Aug 2021, 05:22 PM

नई दिल्ली :

भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी नित नये आसमान छू रहे हैं. भारत की पीवी सिंधु ने इस बार ओलंपिक में कांस्य पदक जीता है. इससे पहले वह वर्ष 2016 के रियो ओलंपिक में भी उन्होंनें रजत पदक जीता था. वर्ष 2012 के ओलंपिक खेलों में भी भारत की बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल ने कांस्य पदक जीता था. इन खिलाड़ियों के सफलता के पीछे एक ऐसे कोच का हाथ है जिसने खुद भारतीय बैडमिंटन को ऊंचाइयों तक पहुंचाया और अब नये खिलाड़ियों के निखारने के काम कर रहा है. बात हो रही है पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद की. गोपीचंद भारत के ऐसे कोच हैं, जिन्होंने अपना घर गिरवी रखकर स्पोर्ट्स अकादमी शुरू की और नये खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देना शुरू किया. साइना नेहवाल, पीवी सिंधु, किदांबी श्रीकांत. पी कश्यप सहित भारत के तमाम बैडमिंटन चैंपियन इनकी अकादमी में प्रशिक्षण ले चुके हैं. हालांकि अपने खेल करियर में भी गोपीचंद ने शानदार प्रदर्शन किया था. 

पुलेला गोपीचंद भारतीय बैडमिंटन जगत के वो सितारे हैं, जिन्होंने वर्ष 2001 में चीन के चेन होंग को हराकर आल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप में जीत हासिल की थी. इस खिताब को जीतने वाले गोपीचंद भारत के महज दूसरे खिलाड़ी थे. गोपीचंद से पहले 1980 में भारत के प्रकाश पादुकोण ही इस प्रतियोगिता को जीत सके हैं. 16 नवंबर 1973 में जन्में प्रकाश पादुकोण ने बहुत कम उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था. उन्होंने 1996 में अपना पहला राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियन खिताब जीता. इसके बाद वर्ष 2001 में उन्होंने आल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप में विजेता बनकर देश को गौरव प्रदान किया लेकिन अफसोस कि जब उन्होंने सफलता की कहानी रचनी शुरू की थी तभी चोटों ने उनके करियर को खत्म कर दिया. चोटों के कारण उनकी फिटनेस पर असर पड़ा. वर्ष 2003 तक उनकी रैकिंग घटकर 126 तक पहुंच गई. ऐसे में परेशान होकर पुलेला गोपीचंद ने बैडमिंटन से सन्यास ले लिया लेकिन मन में भारत के जिताने की भूख खत्म नहीं हुई. उन्होंने नये खिलाड़ियों के लिए अकादमी खोलने का फैसला किया.

वर्ष 2003 में ही उन्होंने नये खिलाड़ियों के लिए आंध्र प्रदेश में अकादमी की शुरुआत की. हालांकि इस अकादमी के लिए आंध्र सरकार ने उनकी इतनी मदद कर दी कि जमीन मुहैया करा दी लेकिन गोपीचंद के पास अकादमी बनवाने के भी पैसे नहीं थे. ऐसे में उन्होंने अपना घर गिरवी रखकर पैसों का इंतजाम किया. इस पैसों से अकादमी का निर्माण करवाया. इस अकादमी में शुरू हुई नये खिलाड़ियों का हुनर निखारने की प्रक्रिया. गोपीचंद का सपना था कि जो अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाएं वह खुद नहीं जीत सके, उसे उनके बच्चे जीतें. 

पुलेला गोपीचंद ने अपनी अकादमी से ऐसे हीरे निखारने शुरू किए जिन पर सिर्फ गोपीचंद को नहीं बल्कि पूरे देश को नाज है. साइना नेहवाल जहां उनकी अकादमी की पुरानी शिष्या हैं, वहीं पीवी सिंधु भी लंबे समय यहां ट्रेनिंग ले चुकी हैं. इसके अलावा पुरुष खिलाड़ियों में पी. कश्यप भी पुलेला गोपीचंद के शिष्य हैं, जो 2012 के ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल तक पहुंच चुके हैं. इसके अलावा वर्ष 2010 के कामनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक और 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं. इसके अलावा गोपीचंद के ही शिष्य किदांबी श्रीकांत वर्ष 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर और इसी प्रतियोगिता में मिक्सड मुकाबलों में स्वर्ण जीत चुके हैं.

पुलेला गोपीचंद अभी भी लगातार इस कोशिश में लगे हुए हैं कि कैसे देश के लिए एक से बढ़कर एक खिलाड़ी गढ़े जाएं. गोपीचंद अपने अकादमी में बच्चों का पूरा खयाल भी रखते हैं. उनकी पत्नी ने एक बार इंटरव्यू में बताया था कि गोपीचंद रात में भी कई बार अकादमी की निरीक्षण करने जाते हैं, जिससे पता चल सके कि वहां रह रहे बच्चे ठीक हैं या नहीं. भारत के इस महान खिलाड़ी से सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए.