Birthday Special: खुद 'अर्जुन' नहीं बन पाए पुलेला गोपीचंद पर इन खिलाड़ियों के 'द्रोणाचार्य' जरूर बन गए
Happy Birthday Pullela Gopichand: अर्जुन पुरस्कार, राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड, पद्मश्री, द्रोणाचार्य और पद्मभूषण से सम्मानित और भारतीय बैडमिंटन के राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद का आज 46वां जन्मदिन है.
नई दिल्ली:
Happy Birthday Pullela Gopichand: साइना नेहवाल और पीवी सिंधु के उपलब्धियों की चर्चा हरतरफ होती है, लेकिन उनकी सफलता के पीछे जिस शख्स का सबसे अहम योगदान है आज हम उसकी चर्चा करेंगे. अब आपके मन में ये सवाल उठेगा कि आखिर वह शख्स कौन है. जी हां हम बात कर रहे हैं अर्जुन पुरस्कार, राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड, पद्मश्री, द्रोणाचार्य और पद्मभूषण से सम्मानित और भारतीय बैडमिंटन के राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद की. दरअसल, आज पुलेला गोपीचंद (Pullela Gopichand) का 46वां जन्मदिन है.
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बैडमिंटन के द्रोणाचार्य कहलाते हैं गोपीचंद
गोपीचंद को भारतीय बैडमिंटन का द्रोणाचार्य कहा जाता है. उन्होंने अपनी बैडमिंटन अकादमी में ऐसे खिलाड़ी तैयार किए जो आज तहलका मचा रहे हैं. इसके अलावा देश का नाम भी रौशन कर रहे हैं. कहा जाता है कि प्रकाश पादुकोण और सैयद मोदी की भारतीय बैडमिंटन की परंपरा को गोपीचंद ने ही आगे बढ़ाने का काम किया है. पुलेला गोपीचंद का जन्म 16 नवंबर 1973 को आंध्र प्रदेश के नागन्दला में हुआ था. 13 साल की उम्र में मांसपेशियों में आई चोट भी उनके बैडमिंटन के शिखर पर पहुंचने के जज्बे को कम नहीं कर पाई.
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बैडमिंटन से कैसे हुआ जुड़ाव
पुलेला गोपीचंद के परिवार में भी बैडमिंटन से लगाव था. उनके भाई भी बैडमिंटन के अच्छे खिलाड़ी थे. गोपीचंद के भाई एक जमाने में स्टेट चैंपियन भी रह चुके हैं. उनका कहना है कि वे पढ़ाई में अच्छे नहीं थे, जबकि उनके भाई पढ़ाई में काफी अच्छे थे. भाई ने IIT में एडमिशन ले लिया और बैडमिंटन का साथ छोड़ दिया, लेकिन मैं लगातार बैडमिंटन खेलता रहा और आज यहां पर हूं.
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गंभीर चोट की वजह से कोर्ट छोड़ना पड़ा था
पुलेला गोपीचंद जब 21 साल के थे तो कोर्ट पर एक जबर्दस्त टक्कर की वजह से बैडमिंटन को अलविदा कहना पड़ गया था. उस समय तो ऐसा लग रहा था कि अब उनका कैरियर हमेशा के लिए खत्म हो गया है, लेकिन उन्होंने दमदार वापसी करते हुए 23 साल की उम्र में नेशनल चैंपियनशिप जीतकर मिसाल कायम कर दी. 2001 में प्रकाश पादुकोण के बाद गोपीचंद का नाम ऑल इंग्लैंड टूर्नामेंट जीतने वाले दूसरे भारतीय के तौर पर दर्ज है. उस टूर्नामेंट में गोपीचंद ने सेमीफाइनल में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी पीटर गेड और फाइनल में चीन के चेंग हॉन्ग को करारी शिकस्त दी थी. गोपीचंद ने अपने बैडमिंटन कैरियर में 5 अंतर्राष्ट्रीय खिताब जीते हैं.
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गोपीचंद की अकादमी के खिलाड़ी लगातार विश्वपटल पर अपना लोहा मनवा रहे हैं. अबतक अकादमी को 2 ओलंपिक मेडल हासिल हो चुके हैं. बता दें कि 2012 में साइना नेहवाल ने लंदन ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल और 2016 में पीवी सिंधु ने रियो में सिल्वर मेडल हासिल किया था. अकादमी के प्रमुख खिलाड़ियों में साइना नेहवाल, पीवी सिंधु, किदांबी श्रीकांत, पुरुपल्ली कश्यप, समीर वर्मा, एचएस प्रणॉय और साई प्रणीत आदि शामिल हैं. गौरतलब है कि श्रीकांत और साइना दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी के तौर पर भी अपना नाम दर्ज करा चुके हैं.
गोपीचंद की उपलब्धियां
अर्जुन अवॉर्ड | 1999 |
राजीव गांधी खेल रत्न | 2001 |
पद्मश्री | 2005 |
द्रोणाचार्य | 2009 |
पद्मभूषण | 2014 |
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