प्रो कबड्डी लीग: जानिए क्या है कबड्डी का इतिहास और नियम

कबड्डी की उत्पत्ति भारत के तमिलनाडु राज्य से मानी जाती है जहां आदिकाल से ही यह खेल प्रचलित रहा है।

कबड्डी की उत्पत्ति भारत के तमिलनाडु राज्य से मानी जाती है जहां आदिकाल से ही यह खेल प्रचलित रहा है।

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sankalp thakur
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प्रो कबड्डी लीग: जानिए क्या है कबड्डी का इतिहास और नियम

जानिए क्या है कबड्डी का इतिहास और नियम (फाइल फोटो)

कबड्डी की शुरुआत भारत के तमिलनाडु राज्य से मानी जाती है जहां आदिकाल से ही यह खेल प्रचलित रहा है। हालांकि वर्तमान स्वरुप की कबड्डी का श्रेय महाराष्ट्र को है जहां 1915 से 1920 के बीच कबड्डी के नियमों की प्रक्रिया शुरू हुई। इस खेल को दक्षिण भारत में चेडु-गुडु और पूरब में हु-तू-तू के नाम से भी जानते हैं।

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कबड्डी के नियमों के औपचारिक गठन और प्रकाशन का ऐतिहासिक क़दम सन् 1923 में भारतीय ओलिंपिक संघ ने उठाया। इस स्वदेशी खेल का पहला अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन एक खेल संगठन, हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल ने 1936 के बर्लिन ओलिंपिक में किया। में पहली प्रतियोगिता कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) के टाला बगीचे में आयोजित की गई।

1950 में भारतीय कबड्डी महासंघ की स्थापना हुई। पुरुषों के लिए पहली राष्ट्रीय प्रतियोगिता 1952 में मद्रास (वर्तमान चेन्नई) में आयोजित की गई, जबकि महिलाओं की पहली राष्ट्रीय प्रतियोगिता 1955 में कलकत्ता में हुई।

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पहला एशियन कबड्डी चैम्पियनशिप 1980 में हुआ जिसमें भारत ने बांग्लादेश (जिसका राष्ट्रीय खेल कबड्डी है) को हराकर विजेता बना। वहीं बीजिंग में 1970 के एशियन गेम्स में कबड्डी को शामिल किया गया था।

नियम
1-दो टीमें होती हैं जिनमें प्रत्येक में 7-7 खिलाड़ी होते हैं|
2-खेल की अवधि पुरुषों के लिए 20 मिनट के 2 हाफ और स्त्रियों व जूनियरों के लिए 15 मिनट की दो अवधियाँ होती है। इन दोनों अवधियों के बीच 5 मिनट का ब्रेक भी होता है।
3-इस खेल का मुख्य नियम यही है कि विरोधी खेमे में जाकर एक ही साँस में कबड्डी-कबड्डी बोलते हुए उनके खिलाड़ियों को छू कर आना होता है और इस दौरान विरोधी टीम ताल ठोकने वाले खिलाड़ी को पकड़ने में हर संभव दांव आजमाते हैं।

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पोशाक को लेकर नियम
खिलाड़ी की पोशाक, बनियान और निक्कर होती है। इसके नीचे जांघिया या लंगोट होता है। खिलाड़ी कपड़े के जूते तथा जुराब पहन सकते है। किलाड़ियों के बनियान के आगे पीछे नम्बर लिखा हुआ होना चाहिए। बैल्ट सेफ्टी पिन और अंगूठियों की आज्ञा नहीं है तथा नाख़ून कटे होने चाहिए।

लोना क्या है
जब एक टीम के सारे खिलाड़ी आउट हो जाएं तो विरोधी टीम को 2 अंक अधिक मिलते हैं इसे ही लोना कहा जाता हैं।

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मैदान का आकार
मैदान मिट्टी, खाद या बुरादे का होता है। पुरुषों के लिए मैदान का आकार 121/2 मी X 10 मी होता है और स्त्रियों तथा जूनियर्स के लिए मैदान का नाप 11 मी. X 8 मी. होता है।

Source : News Nation Bureau

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