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पाकिस्तान में 1960 में हुई थी एथलीट प्रतिस्पर्धा.( Photo Credit : न्यूज नेशन)
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पाकिस्तान में 1960 में हुई थी एथलीट प्रतिस्पर्धा.( Photo Credit : न्यूज नेशन)
अपने कैरियर में बड़ी से बड़ी और मुश्किल रेस जीतने वाले महान भारतीय एथलीट मिल्खा सिंह (Milkha Singh) शुक्रवार देर रात चंडीगढ़ में कोरोना संक्रमण से लगी जिंदगी की बाजी हार गए. 91 साल के इस फर्राटा धावक को 'फ्लाइंग सिख' कहा जाता था, यह पहचान उन्हें उनकी रफ्तार की वजह से मिली थी, लेकिन इस विशिष्ट उपलब्धि या कहें खास तमगे के पीछे की कहानी भी कम रोचक नहीं है. यह कहानी जुड़ती है पाकिस्तान (Pakistan) से. इसकी एक बानगी लोगों ने फरहान अख्तर की फिल्म भाग मिल्खा भाग में भी देखी थी. इसके बावजूद यह किस्सा फिर से जानना किसी परी कथा से कम नहीं है.
आजाद भारत का पहला गोल्ड मेडल जीता
गौरतलब है कि 1958 के राष्ट्रमंडल खेलों में मिल्खा सिंह ने गोल्ड मेडल जीता था. यह आजाद भारत का पहला स्वर्ण पदक था. यह अलग बात है कि 1960 के रोम ओलिंपिक में मिल्खा सिंह पदक से चूक गए. इस हार की टीस आजीवन उनके मन में रही. उन्होंने कई साल पहले एक इंटरव्यू में कहा था कि रोम ओलिंपिक में वह काफी आगे चल रहे थे. अचानक उन्हें लगा कि वह काफी तेज दौड़ रहे हैं. पीछे मुड़कर देखा तो अन्य धावकों से वह लगभग 200 मीटर आगे थे. बस, यहीं उनकी रफ्तार धीमे पड़ी और कुछ पलों में अन्य धावक उनसे आगे निकल अच्छी-खासी दूरी बना चुके थे. मिल्खा सिंह रोम ओलिंपिक की हार कभी भुला नहीं सके.
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पंडित नेहरू के कहने पर गए पाकिस्तान
रोम ओलिंपिक के बाद 1960 में ही उन्हें पाकिस्तान के इंटरनेशनल एथलीट प्रतिस्पर्धा का न्योता मिला. चूंकि वह भारत के विभाजन के वक्त पाकिस्तान से आए थे, तो उनके मन में बंटवारे का जबर्दस्त दर्द था. अपनी यादों के बोझ तले वह पाकिस्तान जाना नहीं चाहते थे. यह अलग बात है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समझाने पर उन्होंने पाकिस्तान जाने का फैसला किया. पाकिस्तान में उन दिनों अब्दुल खालिक का जोर था, जो वहां के सबसे तेज धावक थे.
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फील्ड मार्शल अयूब खान ने दिया फ्लाइंग सिख का खिताब
इस बहुप्रचारित रेस में पाकिस्तान में दो दिग्गजों के बीच दौड़ हुई और मिल्खा सिंह ने खालिक को हरा दिया. पूरा स्टेडियम खालिक का जोश बढ़ा रहा था, लेकिन मिल्खा की रफ्तार के सामने खालिक टिक नहीं पाए, मिल्खा की जीत के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने उन्हें 'फ्लाइंग सिख' का नाम दिया था. अब्दुल खालिक को हराने के बाद अयूब खान ने मिल्खा सिंह से कहा था, 'आज तुम दौड़े नहीं उड़े हो. इसलिए हम तुम्हें फ्लाइंग सिख का खिताब देते हैं.' इसके बाद ही मिल्खा सिंह को 'द फ्लाइंग सिख' कहा जाने लगा.
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