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पश्चिम बंगाल में फिर खेला होबे, फुटबॉल खिलाड़ियों को होगा फायदा

अभी हाल ही में पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान एक नारा खूब सुनाई दिया था. वो था खेला होवे. भाजपा और ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी की रैलियां के दौरान ये नारा खूब गूंजा और खूब चर्चा में भी रहा.

Updated on: 10 Jun 2021, 01:28 PM

highlights

  • पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान खूब गूंजा था ये नारा
  • ममता सरकार ने फुटबाल के लिए शुरू की योजना
  • फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए फायदेमंद होगी योजना

नई दिल्ली :

अभी हाल ही में पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान एक नारा खूब सुनाई दिया था. वो था खेला होवे. भाजपा और ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी की रैलियां के दौरान ये नारा खूब गूंजा और खूब चर्चा में भी रहा. चुनाव तृणमूल कांग्रेस ने जीता और ममता बनर्जी की सरकार भी बन गई. अब चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल ने सरकार ने इसी नारे को पर एक सरकारी योजना शुरू कर दी है. इस योजना का नाम खेला होवे ही रखा गया है. ये सरकारी योजना खेलों को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है. इसका आदेश भी सरकार की ओर से जारी कर दिया गया है. देखना होगा कि जिस तरह चुनाव में इस नारे को खूब चर्चा मिली, उसी तरह ये नाम आगे भी चर्चा में रहेगा या फिर सब शांति हो जाएगी. 

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पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से जारी किए गए आदेश में खेला होवे के तहत कहा गया है कि खोला होवे के हत राज्य सरकार खेल विभाग क्लब को फुटबॉल बांटेगा, इससे फुटबाल खिलाड़ी बेहतर तरीके से खेल सकें और उन्हें किसी भी चीज की कमी न रहे. भारत में पश्चिम बंगाल ही वह राज्य है, जहां सबसे ज्यादा फुटबाल खेला जाता है और सबसे ज्यादा फुटबॉल खिलाड़ी भी पश्चिम बंगाल से ही सामने आए हैं. फुटबाल में भारत के दो नाम काफी मशहूर हैं, इस्ट बंगाल और मोहन बागान ये दोनों पश्चिम बंगाल से ही ताल्लुक रखते हैं.  चुनाव के दौरान इस नारे से ही ममता सरकार ने अब योजना शुरू करने का मन बनाया है. बताया जाता है कि खेला होवे नारे से ममता बनर्जी और उनकी सरकार को खूब फायदा हुआ था, इसलिए सरकार ने इसी नाम को आगे बढ़ाने का मन बनाया है. 

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मीडिया रिपोर्ट की मानें तो अगले महीने यानी जुलाई से ये योजना काम करना शुरू कर देगी और खिलाड़ियों को फुटबॉल बांटी जाएगी. इसके साथ ही सरकार की ओर से ये भी कहा गया है कि फुटबॉल के किस क्लब को कितनी फुटबॉल बांटी जाएंगी और उनकी तारीख  क्या होगी, ये बाद में बता दिया जाएगा. इस बीच विधानसभा चुनाव के बाद ये नाम एक बार फिर चर्चा में आ गया है. इससे नए और युवा फुटबॉल खिलाड़ियों को फायदा होगा और वे आगे चलकर पश्चिम बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे देश का नाम इस खेल में रोशन कर सकेंगे.