भारतीय हॉकी के करिश्माई कप्तान सरदार सिंह, खिताबों से लेकर विवादों तक का सफर

सरदार ने भारत के लिए सीनियर टीम में डेब्यू पाकिस्तान के खिलाफ 2006 में किया था और इसके बाद से वह टीम की मध्यपंक्ति में अहम खिलाड़ी बने हुए हैं।

सरदार ने भारत के लिए सीनियर टीम में डेब्यू पाकिस्तान के खिलाफ 2006 में किया था और इसके बाद से वह टीम की मध्यपंक्ति में अहम खिलाड़ी बने हुए हैं।

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vineet kumar1
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भारतीय हॉकी के करिश्माई कप्तान सरदार सिंह, खिताबों से लेकर विवादों तक का सफर

भारतीय हॉकी के कप्तान सरदार सिंह

पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान सरदार सिंह ने बुधवार को अपने चमकदार करियर को अलविदा कहने का फैसला किया और कहा कि पिछले 12 साल में वह काफी हॉकी खेल चुके हैं और अब युवाओं के लिये जिम्मेदारी लेने का समय आ गया है। सरदार ने कहा कि उन्होंने एशियाई खेलों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद यह फैसला किया, जिसमें भारत अपने खिताब का बचाव करने में असफल रहा और उसे कांस्य पदक के साथ संतोष करना पड़ा।

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सरदार ने भारत के लिए सीनियर टीम में डेब्यू पाकिस्तान के खिलाफ 2006 में किया था और इसके बाद से वह टीम की मध्यपंक्ति में अहम खिलाड़ी बने हुए हैं। सरदार की उम्र भी बढ़ रही है और अब उनके खेल में पहले जैसी फुर्ती देखने को नहीं मिलती, जिससे एशियाई खेलों के दौरान उनके प्रदर्शन की काफी आलोचना हुई।

350 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय मैच खेले
32 वर्षीय सरदार सिंह ने 350 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय मैचों में भारत के लिए खेले है. वह 2008 से 2016 तक भारतीय टीम के कप्तान भी रहे. इसके बाद टीम की कमान पीआर श्रीजेश को सौंप दी गई. दिलचस्प बात है कि जकार्ता में एशियन गेम्स के दौरान सरदार ने कहा था कि उनके अंदर काफी हॉकी बची है और उन्होंने 2020 टोक्यो में अपना अंतिम ओलिंपिक खेलने की इच्छा व्यक्त की थी.

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25 सदस्यीय कोर ग्रुप में नहीं था नाम
हॉकी इंडिया ने बुधवार को राष्ट्रीय शिविर के लिए 25 सदस्यीय कोर ग्रुप की घोषणा की जिसमें उनका नाम शामिल नहीं था जिससे अटकलें लगायी जा रही हैं कि उन्हें संन्यास लेने के लिए बाध्य किया गया था, लेकिन इस दौरान ही उन्होंने यह फैसला किया. शिविर की टीम से बाहर किए जाने के बारे में पूछने पर सरदार ने इस सवाल को टालते हुए कहा कि वह शुक्रवार को नई दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अपने संन्यास की आधिकारिक घोषणा करेंगे.

12 साल से थे मध्यपंक्ति में अहम खिलाड़ी
सरदार ने भारत के लिए सीनियर टीम में पदार्पण पाकिस्तान के खिलाफ 2006 में किया था और इसके बाद से वह टीम की मध्यपंक्ति में अहम खिलाड़ी बने हुए थे. वर्ष 2008 सुल्तान अजलन शाह कप में टीम की अगुआई के दौरान वह भारतीय टीम की कप्तानी करने वाले सबसे युवा खिलाड़ी भी बने थे. उन्हें 2012 में अर्जुन पुरस्कार और 2015 में पद्म श्री से नवाजा गया.

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दो ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया
उन्होंने दो ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया. गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ की टीम से बाहर किए जाने के बाद इस खिलाड़ी ने अपनी फिटनेस पर कड़ी मेहनत की और चैंपियंस ट्रॉफी के लिये शानदार वापसी की जिसमें भारतीय टीम ने रजत पदक जीता. उम्र के साथ वह थोड़े धीमे जरूर हुए, लेकिन सरदार अब भी भारतीय टीम के सबसे फिट खिलाड़ियों में से एक हैं.

विवादों से रहा नाता
हरियाणा के सिरसा के इस खिलाड़ी का करियर विवादों से दूर नहीं रहा. उन पर भारतीय मूल की ब्रिटिश महिला ने बलात्कार का आरोप भी लगाया था जिससे उन्होंने हमेशा इनकार किया था. उन्हें इस मामले में लुधियाना पुलिस के विशेष जांच दल द्वारा क्लीन चिट मिल गई थी.

Source : News Nation Bureau

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