मंजिल मिलने पर किसी को सराहना आसान होता है लेकिन उस मंजिल तक पहुंचने के पीछे जिस तरह का सफर उसने तय किया है उसके बारे में शायद ही कुछ लोग जान पाते हैं. अपने देश के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में एक मेडल की चाहत रखने वाले खिलाड़ी के पीछे कितनी मेहनत और त्याग होता है इसका अंदाजा हम शायद ही लगा पाते अगर यह सब हमने खुद अपनी आंखों से नहीं देखा होता. अपने देश के नाम रोशन करने की इच्छा रखने वाले इन खिलाड़ियों के बारे में जानने के उद्देश्य से हम दिल्ली के करणी सिंह शूटिंग रेंज (Karani Singh Shooting Range) में पहुंचे, जहां हमने मुलाकात की निशानेबाजी के उस युवा सितारे से जिसने महज 16 साल की उम्र में भारत के लिए विश्व कप, एशियन कप, एशियन चैम्पियनशिप, राष्ट्रीय चैम्पियनशिप सहित कई जूनियर टूर्नामेंटस में अब तक 38 स्वर्ण पदक जीतने का कारनामा किया है. हम बात कर रहे हैं भारतीय निशानेबाजी की नई सनसनी और लोगों के बीच 'गर्ल विथ गोल्डन ऑर्म' के नाम से प्रसिद्ध मनु भाकर (Manu Bhaker) की.
दिल्ली का करणी सिंह शूटिंग रेंज (Karani Singh Shooting Range) जो कि आधिकारिक रूप से 4 बजे बंद हो जाता है वहां मनु भाकर (Manu Bhaker) 5:30 तक अपने लक्ष्य पर निशाना साधने के बाद हमसे रूबरू हुई. पेश है युवा निशानेबाज मनु भाकर (Manu Bhaker) से बातचीत के अंश:-
आप अपने करियर में साल 2018 को किस तरह से देखती हैं?
बेहद शानदार, इस साल 2018 में कई बार अपने देश का नाम रोशन करने का मौका मिला. एक खिलाड़ी के रूप में आपके लिए इससे शानदार क्या हो सकता है. किसी भी खिलाड़ी के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपने देश के लिए मेडल जीतना और राष्ट्रीय ध्वज के साथ देश का प्रतिनिधित्व करने से ज्यादा खास कुछ नहीं हो सकता, तो हां इस लिहाज से यह साल मेरे लिए बेहद शानदार रहा.
देश में खिलाड़ियों की बात करें तो आज के समय में कई महिला खिलाड़ियों जैसे बैडमिंटन में सायना-सिंधु, बॉक्सिंग में मैरी कॉम, टेनिस में सानिया मिर्जा, एथलेटिक्स में हीमा दास, जिम्नास्टिक में दीपा कर्माकर, आर्चरी में दीपिका कुमारी और शूटिंग में आप के साथ हीना- सिद्धू का नाम आता है, तो इसे क्या कहेंगें कि गर्ल पॉवर राइजिंग?
नहीं, हम इसे गर्ल पॉवर से नहीं जोड़ सकते. मुझे लगता है कि भारत में जितने भी खिलाड़ी हैं वो पूरी लगन और मेहनत के साथ अपनी ट्रेनिंग और तैयारी कर रहे हैं, जिस कारण हमने 2018 में कई अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंटों में अपने देश का नाम रोशन किया, तो फिर चाहे वो यूथ ओलिंपिक्स हो, विश्व चैम्पियनशिप हो या फिर राष्ट्रमंडल खेल हों. आज के वक्त में प्रतिस्पर्धा इतनी ज्यादा हो गई है कि हर कोई अपना 100% दे रहा है ताकि देश का सम्मान बढ़ा सके.
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निशानेबाजी की बात करें तो जो नए युवा खिलाड़ी हैं उनको देखकर आगामी कुछ वक्त में भारतीय निशानेबाजी का भविष्य कैसा लगता है आपको?
मुझे लगता है कि भारतीय निशानेबाजी का भविष्य काफी उज्जवल है और जल्द ही हम निशानेबाजी में दुनिया में अपना वर्चस्व स्थापित करेंगें. जिस तरह से भारतीय निशानेबाजों में अपने देश का नाम रोशन करने का जज्बा दिख रहा है जल्द ही हमें ओलिंपिंक गेम्स में कई सारे पदक भारत के नाम देखने को मिल सकते हैं. दूसरे शब्दों में कहूं तो निकट भविष्य में भारत का निशानेबाजी में प्रभुत्व (Dominate) होगा.
आप कई तरह की कलाओं में माहिर हैं जैसे कि मणिपुरी मार्शल आर्ट, आइस स्केटिंग, टेनिस, बॉक्सिंग तो फिर ऐसा क्या था जिस कारण आपने शूटिंग को चुना. आखिर क्या था जिसने आपको शूटिंग के लिए प्रेरित किया?
कोई खास घटना नहीं है इसके पीछे जिसने मुझे शूटिंग के लिए प्ररित किया हो, दरअसल मुझे पता ही नहीं चला कि शूटिंग करते हुए कब 3 साल बीत गए. आइस स्केटिंग, टेनिस खेलना यह सब मेरी हॉबी रही है लेकिन शूटिंग को लेकर कहूं तो इसमें काफी स्कोप दिखाई देता है. और मुझे लगता है कि यह एक ऐसा खेल है जिसमें आपको चीटिंग का सामना नहीं करना पड़ता. जबकि बॉक्सिंग जैसे खेलों में आपको चीटिंग फेस करनी पड़ सकती है. हालांकि मैनें शुरुआत बॉक्सिंग के साथ ही की थी.
इतने छोटी सी उम्र में आपने इतने सारे गोल्ड मेडल जीते, तो इन सबमें वो कौन सा मेडल है जिसे आप अपने सबसे खास और सबसे उम्दा प्रदर्शन के रूप में देखते हैं?
मेरे लिए मेरा हर प्रदर्शन खास होता है. एशियन गेम्स इसलिए खास था क्योंकि मैनें वहां क्वॉलिफाइंग राउंड में विश्व रिकॉर्ड (593/600) दर्ज किया था. मैनें वहां वो स्कोर किया जो मैं कभी प्रैक्टिस के दौरान भी हासिल नहीं कर पाई थी. कॉमनवेल्थ गेम्स इसलिए खास था क्योंकि वहां मैने क्वालिफाइंग और फाइनल्स दोनों ही राउंड में बेहतरीन प्रदर्शन किया और देश के लिए गोल्ड जीता. यूथ ओलिंपिंक इसलिए खास था क्योंकि यह किसी भी खिलाड़ी के जीवन में सिर्फ एक बार ही आता है और मैंने वहां भी गोल्ड मेडल जीता और देश के लिए राष्ट्रीय ध्वज के साथ नेतृत्व करने का मौका भी मिला जिसने इस अनुभव को और खास बनाया.
हालांकि इस टूर्नामेंट में मैने 2 मेडल जीते, गोल्ड और सिल्वर. वर्ल्ड चैम्पियनशिप इसलिए खास रहा कि क्योंकि यह मेरे लिए पहला अतर्राष्ट्रीय सीनियर टूर्नामेंट था जिसमें मैने अपने दोनों इवेंट में गोल्ड मेडल जीता, और 25 में भी मेरा क्वालिफिकेशन काफी अच्छा था. इसके अलावा इतने बड़े टूर्नामेंट में जब आप हिस्सा लेतें हैं तो आपको कई सारे दोस्त भी मिल जाते हैं, लगभग 4 गोल्ड मेडल रहें हैं मेरे हर जूनियर वर्ल्ड कप (Junior World Cup) में तो मेरे लिए मेरा हर मेडल खास है.
आगामी भविष्य में आप का अगला लक्ष्य क्या है या यूं कहूं कि आने वाले समय को आप किस तरह से देख रहे हैं?
मैं बहुत आगे के बारे में नहीं सोचती और न ही किसी खास टूर्नामेंट के बारे में चिंतित होती हूं. मैं हमेशा सामने आने वाले टूर्नामेंट पर ध्यान लगाती हूं और उसमें अच्छा प्रदर्शन करूं इस बात पर फोकस होता है. मैं अभी से टोक्यो ओलिंपिक (Tokya Olympics) या विश्व चैम्पियनशिप के बारे में नहीं सोच रही. अभी मेरा ध्यान दिल्ली वर्ल्ड कप पर है उसके बाद मैं अगला लक्ष्य निर्धारित करूंगी.
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इतनी छोटी सी उम्र में देश के लिए इतना कुछ हासिल कर लेने वाली लड़की हमारे देश की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत है, ऐसे में आप नए साल के मौके पर उन युवाओं को क्या संदेश देना चाहेंगी?
मैं बस यही कहना चाहूंगी कि अगर आप मेहनत करेंगे तो आपको वो जरूर मिलेगा जिसके आप लायक हैं. ऐसा कभी भी नहीं होता कि आप मेहनत करें और सफलता से वंचित रह जाएं. तो बस मेहनत करते रहिए. सफलता जरूर मिलेगा.
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Source : Vineet Kumar