द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता एथलेटिक्स कोच जोगिंदर सिंह सैनी का निधन
भारतीय एथलेटिक्स में योगदान के लिए सैनी को 1997 में द्रोणाचार्य पुरस्कार से नवाजा गया. वह 1978 एशियाई खेलों में आठ स्वर्ण सहित 18 पदक जीतने वाली भारतीय टीम के मुख्य कोच थे.
पटियाला:
अनुभवी एथलेटिक्स कोच और द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता जोगिंदर सिंह सैनी का रविवार को यहां बढ़ती उम्र से संबंधित परेशानियों के कारण निधन हो गया. वह 90 बरस के थे. सैनी को भारत के कुछ प्रतिष्ठित ट्रैक एवं फील्ड खिलाड़ियों को निखारने का श्रेय जाता है. सैनी पिछले कुछ दिनों से बीमार थे. वह 1970 से 1990 के दशक के बीच कई वर्षों तक राष्ट्रीय एथलेटिक्स टीम के मुख्य कोच रहें.
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जोगिंदर सिंह सैनी के निधन पर आदिले सुमारिवाला बेहद दुखी
एएफआई अध्यक्ष आदिले सुमारिवाला ने कहा, ‘‘मुझे अपने साथी, अपने मुख्य कोच और मेंटर जेएस सैनी के निधन की खबर सुनकर बेहद दुख हुआ.’’ उन्होंने अपने संदेश में कहा, ‘‘उन्हें एथलेटिक्स से प्यार था और अपने अंतिम दिन तक उन्होंने भारतीय एथलेटिक्स महासंघ को योगदान दिया. वह मेरे मित्र और मार्गदर्शक थे और अपनी सलाह से एएफआई अध्यक्ष की मेरी भूमिका में उन्होंने काफी मदद की.’’
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पंजाब के होशियारपुर में हुआ था जन्म
पंजाब के होशियारपुर जिले में एक जनवरी 1930 को जन्में सैनी ने विज्ञान में स्नातक किया और शारीरिक शिक्षा में डिपलोमा और एनआईएस पटियाला से कोचिंग का कोर्स करने के बाद 1954 में एथलेटिक्स कोच बने. वह 1990 में तत्कालीन भारतीय एमेच्योर एथलेटिक्स महासंघ के मुख्य कोच बने. भारतीय एथलेटिक्स में योगदान के लिए सैनी को 1997 में द्रोणाचार्य पुरस्कार से नवाजा गया. वह 1978 एशियाई खेलों में आठ स्वर्ण सहित 18 पदक जीतने वाली भारतीय टीम के मुख्य कोच थे.
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सैनी साहब के नाम से थे मशहूर
‘सैनी साहब’ के नाम से मशहूर सैनी 2004 तक कोचिंग से जुड़े रहे और इसके बाद से एएफआई के सलाहकार की भूमिका निभा रहे थे. सैनी ने अपने युवा दिनों में बाधा दौड़ में हिस्सा लिया और एनआईएस तथा राष्ट्रीय शिविर में भारत के कुछ शीर्ष खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी. सैनी ने 1962 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले गुरबचन सिंह रंधावा को डेकाथलन से जुड़ने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने इसके अलावा दिग्गज मैराथन धावक शिवनाथ सिंह को भी ट्रेनिंग दी.
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