logo-image

तेजी से पैर पसारता कोविड-19, क्या है टोक्यो ओलंपिक का भविष्य!

चीन के वुहान से चला कोरोनावायरस अब पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेने को है. इसके कारण दुनिया भर में 7000 के करीब लोगों की मौत हो चुकी है और लाखों लोग इससे प्रभावित हैं.

Updated on: 18 Mar 2020, 10:17 AM

New Delhi:

चीन के वुहान से चला कोरोनावायरस (Corona virus) अब पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेने को है. इसके कारण दुनिया भर में 7000 के करीब लोगों की मौत हो चुकी है और लाखों लोग इससे प्रभावित हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ-साथ सैकड़ों देश इसे महामारी करार दे चुके हैं. इसके कारण दुनिया भर में लगभग सभी आयोजन और यहां तक कि प्रशिक्षण कार्यक्रम रद या स्थगित किए जा चुके हैं. इस साल होने वाले ओलंपिक का मेजबान जापन भी इससे अछूता नहीं है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या जुलाई-अगस्त में टोक्यो में ओलंपिक खेलों (Tokyo Olympics 2020) का आयोजन सम्भव हो सकेगा?

यह भी पढ़ें ः VIDEO : कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच सचिन तेंदुलकर ने लिया ये चैलेंज

अंतररराष्‍ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने अभी इसे लेकर कुछ स्पष्ट नहीं कहा है और जापान के प्रधानमंत्री सिंजो आबे ने बीते दिनों कहा था कि जापान जुलाई-अगस्त में ओलंपिक की मेजबानी कराने की स्थिति में होगा. जापान ओलंपिक समिति के उपाध्यक्ष और जापान फुटबाल संघ के अध्यक्ष कोजो ताशीमा भी इसकी चपेट में हैं. मंगलवार को उनके कोविड-19 से ग्रसित होने की पुष्टि हुई.

यह भी पढ़ें ः सचिन तेंदुलकर के लिए सबसे 'मुश्किल' शतक था महाशतक, जानें क्‍यों

कोरोनावायरस अभी भी तेजी से पैर पसार रहा है और जिस तेजी के साथ लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि दुनिया भर के देशों में इसका असर आने वाले कई महीनों तक रहने वाला है. चूंकि यह संक्रमण से होने वाली बीमारी है, लिहाजा इंसान का इंसान के करीब आना बेहद खतरनाक है और ओलंपिक जैसे खेल आयोजनों में एक दूसरे से करीब आए बिना कुछ भी सम्भव नहीं है.
आईओसी अध्यक्ष थॉमस बाक ने अन्य खेल प्रमुखों के साथ एक बैठक बुलाई है, जिसमें ओलंपिक के आयोजन की सम्भावना को लेकर विचार-विमर्श होगा. इस बैठक से कुछ भी ठोस निकलने की सम्भावना नहीं है, क्योंकि अभी जो हालात हैं, उससे बिल्कुल नहीं लगता कि बाक और दूसरे खेल प्रशासक किसी नतीजे पर पहुंच सकेंगे. हां, वे इन खेलों को स्थगित किए जाने से होने वाले नुकसान का अनुमान लगाने का प्रयास जरूर कर सकते हैं, लेकिन यहां यह ध्यान रखना होगा कि इंसानी जान से अधिक कीमत किसी चीज की नहीं हो सकती. और अभी की जरूरत दुनिया भर में इंसानी जान को बचाना है.

यह भी पढ़ें ः एमएस धोनी की टीम इंडिया में वापसी असंभव, इस खिलाड़ी ने कर दिया ऐलान

कोरोनावायरस को अगर पैर पसारने से रोक दिया जाता है तो टोक्यो ओलंपिक के आयोजन के हल्के आसार बन सकते हैं. लेकिन यहां यह नहीं भूलना चाहिए कि अगले दो महीने दुनिया भर के लिए काफी मुश्किल हैं, क्योंकि कोरोना काफी तेजी से पैर पसार रहा है. इस वायरस को तत्काल प्रभाव से खत्म करना सम्भव नहीं और इसके लिए कोई दवा भी नहीं है. और न ही आने वाले समय में इसकी कोई दवा इजाद होने के आसार दिख रहे हैं. ऐसे में अगर बाक और बाकी के खेल प्रशासक टोक्यो ओलंपिक का आयोजन नियत समय पर कराने का फैसला लेते हैं तो फिर क्या होगा? खेल गांव में 205 देशों के खिलाड़ी और अधिकारी जुटेंगे. क्या आईओसी सबसे पहले इन्हें डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित 14 दिनों का एकांतवास कराएगा? अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर खेल गांव तत्काल प्रभाव से रेड जोन में तब्दील हो सकता है.

यह भी पढ़ें ः IPL 2020 : विराट कोहली की टीम RCB का कैंप शुरू होने से पहले ही रद, जानें क्‍यों

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने बयान में सोमवार को कहा था कि कोरोना का असर अगले छह महीनों या उससे अधिक समय तक रह सकता है. अभी इसका सही-सही अंदाजा लगाना मुश्किल है. लेकिन अगर कोरोना का असर जुलाई या अगस्त या उससे भी आगे तक रहता है तो फिर ओलंपिक का आयोजन इस साल मुश्किल है. ऐसी सम्भावना है कि ओलंपिक को अक्टूबर में आयोजित कराने को लेकर सहमति बने. इसी तरह की घटना 1964 में भी हो चुकी है, लेकिन ऐसी स्थिति में टोक्यो में खिलाड़ियों, अधिकारियों और दर्शकों के रहने का इंतजाम कैसे होगा. इसका कारण यह है कि अक्टूबर में टोक्यो में दर्जन भर से अधिक नॉन-स्पोर्टिग इवेंट्स होने हैं. इससे भी कहीं अधिक चिंता की बात यह है कि कई नेटवर्क्‍स इस बदलाव को स्वीकार नहीं करेंगे. और फिर यह भी याद रखना होगा कि जापान जैसे देश में सर्दियों के समय में खेल आयोजन कराना किसी महान मुसीबत को बुलावा देना है, क्योंकि इससे खेल ही नहीं खिलाड़ियों का प्रदर्शन भी प्रभावित होगा.

यह भी पढ़ें ः VIDEO : आज का दिन क्रिकेट इतिहास में, आस्‍ट्रेलिया को हराकर श्रीलंका ने पहली बार जीता था विश्‍व कप

अब अगर ओलंपिक को 2021 तक स्थगित किया जाता है तो यह अच्छा फैसला हो सकता है. लेकिन इसे लागू करना बेहद मुश्किल होगा, क्योंकि अधिकांश इंटरनेशनल महासंघ इसी साल अपने विश्व चैम्पियनशिप कराने का मन बना रहे हैं. इन सभी महासंघों से जुड़े खेलों की आयोजन समिति है और आईओसी को इनके साथ तालमेल बनाने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. हां, इसे 20121 मार्च-अप्रैल में कराया जा सकता है. लेकिन इसमें भी एक दिक्कत है, क्योंकि इस समय दुनिया भर में कई महत्वपूर्ण मैराथन और फुटबाल आयोजन होते हैं. 2022 में भी ओलंपिक के आयोजन की सम्भावना पर विचार किया जा सकता है, लेकिन इस साल चीन में विंटर ओलंपिक और नवम्बर में कतर में फीफा विश्व कप होने हैं. ऐसे में ओलंपिक को गर्मियों में कराया जा सकता है. इस साल राष्ट्रमंडल खेल और एशियाई खेलों का भी आयोजन होना है. इन खेल आयोजनों को तो रद्द या फिर स्थगित किया जा सकता है, लेकिन इस मामले में हर कोई अपने आयोजन का बचाव करता नजर आ सकता है.

यह भी पढ़ें ः IPL 2020 : इस साल नहीं होगा IPL! अब केवल ऐलान होना ही रह गया है बाकी

टोक्यो ओलंपिक अगर रद हुआ तो आईओसी को भारी नुकसान होगा. कुछ पैसे तो वह बचा लेगा, क्योंकि पूरा आयोजन इंश्योर्ड है लेकिन आईओसी पहले की तरह इंटरनेशनल फेरडेशंस के बीच उस तरह पैसे नहीं बांट सकेगा, जिस तरह वह पहले किया करता था. आईओसी इंटनेशनल फेडरेशंस, नेशनल ओलंपिक कमिटीज और ओलंपिक सॉलिडिएरिटी के बीच 1.9 अरब डॉलर वितरित करता है. यह कोई छोटी रकम नहीं है और इसके बिना कई महासंघ दिवालिया हो सकते हैं. ऐसे में सही समाधान क्या है? क्या इंटरनेशनल स्पोर्ट्स कैलेंडर में बदलाव कर इसका हल निकाला जा सकता है? इंटरनेशनल कैलेंडर में कई इवेंट्स अनुपयोगी हैं, ऐसे में नया स्पोर्ट्स कैलेंडर एक अच्छा समाधान हो सकता है. इसके माध्यम से स्थगित हुए कुछ आयोजनों को रद्द किया जा सकता है और कुछ के समय में बदलाव किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए आईओसी को काफी माथापच्ची करनी होगी. स्पोर्ट्स कैलेंडर में बदलाव आज की जरूरत है और इसके माध्यम से ही कोविड-19 के कारण वैश्विक खेल समुदाय को होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है.