Advertisment

Tokyo paralympic news: भारत के लिए पहला मेडल पक्का करने वालीं भाविना पटेल (bhavina patel) ने पहले चुना था ये प्रोफेशन, इस वजह से हो गई थीं रिजेक्ट 

टोक्यो पैरालंपिक (Tokyo paralympic news) में भाविना पटेल (bhavina patel) ने भारत का पहला पदक पक्का कर दिया है लेकिन इस मुकाम तक  पहुंचने से पहले उन्हें लंबा संघर्ष करना पड़ा. 

author-image
Apoorv Srivastava
एडिट
New Update
bhavina

table tennis( Photo Credit : News Nation)

Advertisment

भाविना पटेल (bhavina patel) ने टोक्यो पैरालंपिक (Tokyo paralympic news) में भारत का पहला मेडल पक्का कर दिया है. वह पैरालंपिक में टेबल टेनिस (table  tannis) के फाइनल में पहुंचने वाली भारत की पहली पैरालंपिक खिलाड़ी हैं. रविवार को उनका मुकाबला चीन की दुनिया की पहली नंबर की पैरा महिला खिलाड़ी झोऊ यिंग से होगा. शनिवार को उन्होंने सेमीफाइनल में पिछली बार की रजत पदक विजेता मियाओ को 7-11,11-7,11-4,9-11,11-8 से हरा दिया. अब सभी की नजरें रविवार को होने वाले फाइनल मुकाबले पर हैं. पूरा देश उनके गोल्ड जीतने की दुआ कर रहा है. 

इसे भी पढ़ेंः इमरान (Imran khan) के अलावा ये लोग भी बलात्कार (Rape) के लिए स्कर्ट से लेकर चाउमीन तक को जिम्मेदार बता चुके हैं

कमाल की बात ये है कि भारत को शानदार सफलता दिलाने वालीं भाविना पहले खिलाड़ी नहीं कुछ और बनना चाहती थीं. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इंटरव्यू में उन्हें दिव्यांग होने के कारण रिजेक्ट कर दिया गया था. यहां बता दें कि भविना के लिए चीजें बचपन से ही बेहद मुश्किल थीं. वह गुजरात के एक बेहद गरीब परिवार में जन्मी थीं. करीब एक साल की उम्र में उन्हें आंशिक रूप से पोलियो हो गया. घर वालों ने इलाज कराया लेकिन पैसों की कमी के कारण पूरा ध्यान नहीं दिया जा सका. इस कारण भाविना पूरी तरह दिव्यांग हो गईं. उनके पैरों ने काम करना बंद कर दिया. इसके बाद भी छोटी से उम्र में उन्होंने सामान्य बच्चों के स्कूल में ही पढ़ाई की. उनके माता-पिता उन्हें स्कूल लाते व ले जाते थे. बड़े होकर उन्होंने टीचर बनने का सपना पाला था. उन्होंने पढ़ाई पूरी करके टीचर बनने के लिए इंटरव्यू भी दिया लेकिन दिव्यांग होने के कारण उन्हें यह नौकरी नहीं मिल सकी. 

इसके बाद उनके पिता को वर्ष 2004 में ब्लाइंड पिपुल एसोसिएशन के बारे में पता चला. उनके पिता ने उस इंस्टीट्यूट में आईटीआई (ITI) के लिए भाविना का एडमिशन करा दिया. वहां तेजलबेन लखिया की देखरेख में उन्होंने यह कोर्स पूरा किया. उन्होंने ही भाविना को ग्रेजुएशन करने के लिए प्रेरित किया और भाविना ने गुजरात विश्वविद्यालय में एडमिशन ले लिया. ग्रेजुएशन के समय भाविना स्पोर्टस में बहुत सक्रिय रहती थीं. वह दिव्यांगों के तमाम खेलों में बढ़चढ़कर भाग लेती थीं. भाविना  धीरे-धीरे टेबल टेनिस को सिर्फ शौक नहीं, बल्कि प्रोफेशन के तौर पर खेलने लगीं. भाविना ने ऐसी प्रतिभा दिखाई कि वह बेंगलुरु में राष्ट्रीय स्तर की पैरा टेबल टेनिस प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल ले आईं. 

भाविना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे पहले जार्डन में हुई प्रतियोगिता में भाग लिया था. यहां से भाविना को खाली हाथ लौटना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. वर्ष 2011 में थाइलैंड ओपन में उन्होंने रजत पदक लाकर अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मेडल जीता. यही नहीं, वर्ष 2016 के रियो पैरालंपिक में वह पैरा टेबल टेनिस में क्वालीफाई करने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी बनीं लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इस बार उन्होंने फाइनल में पहुंचकर पदक पक्का कर लिया है. अब उनकी और उनके साथ पूरे देश की निगाहें गोल्ड पर हैं. 

 

HIGHLIGHTS

  • बेहद मुश्किल और गरीबी में बीता है भाविना का बचपन
  • महज एक साल की उम्र में खराब हो गए थे पैर
  • गरीबी की वजह से नहीं हो पाया ठीक से इलाज
Sports News Tokyo paralympics. India's first medal Bhavina Patel Bhavina Patel rejected Tokyo Paralympics latest news Bhavina Patel latest news Sports latest news Bhavina Patel News
Advertisment
Advertisment
Advertisment