Aman Sehrawat Story: 21 साल के अमन सहरावत ने पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत को 6वां मेडल जिताकर ओलंपिक में 2008 से चली आ रही परंपरा को बनाए रखा है. इसी के साथ वह ओलंपिक में भारत के लिए मेडल जीतने वाले सबसे युवा एथलीट बन गए हैं. लेकिन, अमन के लिए ओलंपिक तक का सफर बिलकुल आसान नहीं रहा है. इसके लिए उन्होंने कई बड़ी चुनौतियों का सामना किया. आइए आपको अमन की जिंदगी के कुछ अनसुने पहलुओं के बारे में बताते हैं.
बचपन में सिर से हट गया माता-पिता का हाथ
अमन सहरावत का जन्म हरियाणा के झज्जर जिले के बिरोहर गांव में हुआ था. छोटी सी उम्र से ही उनका संघर्ष शुरू हो गया था. उन्होंने महज 11 साल की उम्र में अपने माता-पिता को खो दिया था. इसके बाद उनके दादा ने उन्हें संभाला. हरियाणा की मिट्टी से रेसलर्स निकलते हैं और अमन भी वहीं से हैं... बताया जाता है कि अमन छोटी उम्र में ही कुश्ती में दिलचस्पी लेने लगे थे, तब उनके परिवारवालों ने उन्हें छत्रसाल स्टेडियम में दाखिल कराया.
जहां, से पहले भी भारत को कई बड़े नाम मिल चुके हैं. सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त, रवि दहिया, बजरंग पुनिया सहित कई बड़े रेसलर्स इसी स्टेडियम से आए हैं. हालांकि, अब इस लिस्ट में अमन का नाम भी जुड़ गया है.
गुरू को हराया
अमन सहरावत ने साल 2023 में अपने प्रदर्शन से हर किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था. उन्होंने अस्ताना में एशियाई चैंपियनशिप में गोल्ड और हांग्जो एशियाई खेलों में ब्रॉन्ज पदक जीता था. वह वर्ल्ड ओलंपिक क्वालीफायर के दौरान पेरिस 2024 कोटा हासिल करने वाले एकमात्र भारतीय पुरुष पहलवान बने थे.
अमन भारत के दिग्गज रेसलर रवि दहिया को अपना गुरु मानते हैं. लेकिन, युवा रेसलर ने नेशनल ट्रायल्स में रवि दहिया को हराकर क्वालिफायर्स में जगह बनाई थी, फिर उन्होंने पेरिस ओलंपिक का टिकट हासिल किया था.
फोटो हो रही वायरल
अमन सहरावत का नाम इस वक्त चर्चा में आ गया है. वहीं, उनके कमरे की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा वायरल हो रही है. इस फोटो में अमन हैं और उनके पीछे एक कैप्शन लिखा है कि- अगर ये आसान होता, तो कोई भी कर लेता. साथ ही ओलंपिक का 7 छल्लों वाला सिंबल बना है और गोल्ड मेडल का स्टिकर लगा हुआ है.
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