IPL 2023 : अगर हौसलों में जान हो तो आप कितनी भी ऊंची उड़ान भर सकते हो. क्रिकेट के गलियारों में आपको कई ऐसे खिलाड़ी मिलेंगे, जिन्होंने अपनी हर मुश्किल, गरीबी को पीछे छोड़ते हुए बड़ा मुकाम हासिल किया है. अब राजस्थान रॉयल्स के सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल (Yashasvi Jaiswal) उन खिलाड़ियों के लिए उदाहरण बन चुके हैं, जो अभी अपनी मुश्किलों से लड़ रहे हैं. गुरुवार को ओपनर ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए पहले 13 गेंदों पर फिफ्टी लगाई और फिर 47 गेंदों पर 98 रन बनाकर नाबाद लौटे. इसके बाद से ही चारों ओर उनकी तारीफ हो रही है. मगर, जायसवाल के लिए यहां तक पहुंचना आसान नहीं था, मगर उन्होंने रास्ते में आने वाली तमाम मुश्किलों को पार कर अपनी मेहनत से ये मुकाम हासिल किया है. तो आइए इस आर्टिकल में आपको जायसवाल के संघर्ष की कहानी बताते हैं....
मार्मिक है Yashasvi Jaiswal की स्ट्रगल स्टोरी
छोटी सी उम्र में यशस्वी को कड़ा संघर्ष करना पड़ा तब वह आज इस मुकाम पर पहुंच सके हैं. उत्तर प्रदेश के जौनपुर से क्रिकेटर बनने का सपना संजोए मुंबई आए, जहां उन्हें कई रातें आजाद मैदान के टेंट में गुजारनी पड़ीं. एक इंटरव्यू के दौरान जायसवाल ने बताया था कि, "वहां जिंदगी बहुत मुश्किल थी. बंजारे की तरह टेंट में रातें गुजारना भयानक अनुभव था. लाइट नहीं होती थी और हमारे पास इतने पैसे नहीं होते थे की हम किसी बेहतर जगह पर जाकर रह सकें. यही नहीं, मैदान पर बने टेंट में आसरे के लिए भी हमें मेहनत करनी पड़ी. जब टेंट में सोने को जगह मिली तो वहां रहने वाले माली बुरा बर्ताव करते थे. कई बार तो पीट देते थे."
पुराने दिनों को किया था याद
इस सीजन जब जायसवाल ने मुंबई के खिलाफ शतक लगाया था, तब उन्होंने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया था कि, "जब मैं आजाद मैदान में टेंट में रहता था तो मैं वानखेड़े की लाइट्स देखने के अलावा स्टेडियम के शोर को सुना करता था. जब मैंने मुंबई इंडियंस के खिलाफ शतक लगाया तो मैं उन दिनों का याद करता हूं. यह बहुत ही इमोशनल था."
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कोच ज्वाला सिंह ने बदल दी किस्मत
Yashasvi Jaiswal अपने हिस्से का संघर्ष करते रहे, तभी कोच ज्वाला सिंह उनकी जिंदगी में आए, जिन्होंने उनकी मदद की. 2013 दिसंबर में जायसवाल की मुलाकात कोच से हुई. उसे याद करते हुए कोच ने बयान दिया था कि, "जब मैं उनसे मिला तो मुझे उनमें अपनी छवि दिखाई दी. मैं भी गोरखपुर से ऐसे ही क्रिकेटर बनने बड़े शहर आया था. रमाकांत आचरेकर सर के पास क्रिकेट सीखा, उस वक्त मैंने एक-एक रुपये के लिए मुश्किलों का सामना किया. इसलिए जब मैं जायसवाल से मिला तो मैंने ठान लिया कि यह लड़का मेरी तरह क्रिकेटर बनने से नहीं चूकना चाहिए. मैंने उसे अपने पास अपने घर में रखने का फैसला कर लिया."
ज्वाला ने आगे बताया, यशस्वी को 2013 से 2022 तक अपने पास रखा. इस दौरान हमने हर तरह के एक्सपीरियंस को एक साथ देखा. यशस्वी के यहां तक पहुंचने में जितनी मेरी भूमिका है उतना ही श्रेय मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन और राजस्थान रॉयल्स को भी श्रेय जाता है. मुझे पहली ही बार में लग गया था कि यशस्वी में कुछ तो खास है.
IPL में बोला जायसवाल का बल्ला
Yashasvi Jaiswal ने अंडर-19 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की कप्तानी की थी और वह सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे थे. इसके बाद इस युवा ओपनर को राजस्थान रॉयल्स ने अपने साथ जोड़ लिया था, तब से वह राजस्थान के साथ हैं. फ्रेंचाइजी ने युवा ओपनर को तराशा और स्टार बना दिया. इस सीजन अब तक खेले गए 12 मैचों में जायसवाल ने 575 रन बनाए हैं.
HIGHLIGHTS
- सपना पूरा करने भदोही से आए मुंबई
- 2020 में राजस्थान रॉयल्स ने जोड़ा साथ
- फास्टेस्ट फिफ्टी लगाकर रचा इतिहास