logo-image

IPL 2022 : आईपीएल टीम अहमदाबाद को क्‍यों नहीं मिला लेटर ऑफ इंटेंट, जानिए क्‍या पड़ेगा असर

सीवीसी कैपिटल पार्टनर्स को 5,625 करोड़ रुपये की बोली के लिए अहमदाबाद की फ्रेंचाइजी दी गई. वहीं दूसरी टीम यानी लखनऊ को आरपीएसजी ने लखनऊ फ्रेंचाइजी का अधिग्रहण करने के लिए 7,090 करोड़ रुपये की विजयी बोली लगाई है.

Updated on: 18 Nov 2021, 08:25 PM

नई दिल्‍ली :

बीसीसीआई ने आईपीएल की दो नई टीमों का ऐलान पहले ही कर दिया है. एक टीम लखनऊ की होगी, वहीं दूसरी टीम अहमदाबाद की होने जा रही है. इन दोनों टीमों की चर्चा सोशल मीडिया पर खूब हो रही है. यहां तक कि इन टीमों के नामों को लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं. हालांकि इस बीच अहमदाबाद की टीम के साथ एक संकट है. पता चला है कि बीसीसीआई ने अभी तक अहमदाबाद टीम की मालिक को लेटर ऑफ इंटेंट नहीं दिया है. इस टीम के मालिक अमेरिकी कंपनी इरेलिया कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (सीवीसी कैपिटल पार्टनर्स) हैं. सीवीसी कैपिटल पार्टनर्स को 5,625 करोड़ रुपये की बोली के लिए अहमदाबाद की फ्रेंचाइजी दी गई. वहीं दूसरी टीम यानी लखनऊ को आरपीएसजी ने लखनऊ फ्रेंचाइजी का अधिग्रहण करने के लिए 7,090 करोड़ रुपये की विजयी बोली लगाई है. लखनऊ की टीम आईपीएल इतिहास की सबसे महंगी टीम है. यानी अभी तक कोई भी टीम इतने ऊंचे दामों पर नहीं खरीदी गई है. बीसीसीआई की ओर से अभी तक लेटर ऑफ इंटेंट न मिलने का कारण कुछ और ही बताए जा रहे हैं. दरअसल अंतर्राष्ट्रीय बाजार की सट्टेबाजी फर्मों में अपने व्यावसायिक हितों के लिए सीवीसी के बारे में सवाल उठाए जा रहे हैं. 

यह भी पढ़ें : IPL 2022 Mega Auction : हर टीम को मेगा ऑक्‍शन में खरीदने होंगे कम से कम इतने खिलाड़ी 

सीवीसी कैपिटल पार्टनर्स की ओर से जारी पिछले प्रेस बयानों के मुताबिक 2014 में ब्रिटेन के स्काई बेटिंग और गेमिंग में नियंत्रण हिस्सेदारी लेने के बाद 2016 में माल्टा-मुख्यालय सट्टेबाजी ऑपरेटरों टिपिको में बहुमत हिस्सेदारी हासिल की, जिसका जर्मनी में भी बड़ा आधार है. विशेष रूप से, सट्टेबाजी उन क्षेत्रों में कानूनी है. लेकिन इनमें से किसी भी संस्था का भारत में उस जगह व्यवसाय नहीं चलता, जहां सट्टेबाजी अवैध है. इसके साथ ही अब ये भी पता चला है कि आईपीएल की अहमदाबाद फ्रेंचाइजी जीतने के लिए सीवीसी की सफल बोली कंपनी के साथ बातचीत की गई है. कंपनी बीसीसीआई अधिकारियों को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि ब्रिटेन की सट्टेबाजी फर्म में उसका निवेश अवैध नहीं है, हालांकि इस पर विवाद छिड़ गया है. यही कारण है कि बीसीसीआई को लेटर ऑफ इंटेंट देने में देरी हुई है. 

यह भी पढ़ें : IPL 2022 Mega Auction से पहले एमएस धोनी की कप्‍तानी वाली CSK की लिस्‍ट तैयार! 

इस बीच क्रिकबज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सीवीसी के टॉप लेवल के अधिकारी बीसीसीआई के पदाधिकारियों और अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए भारत और दुबई भी गए हैं. बीसीसीआई की कानूनी टीम भी सीवीसी फाइलों की जांच कर रही है और इस बात की संभावना है कि इस मामले पर फैसला सुनाने के लिए एक समिति का गठन किया जा सकता है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि बोली लगाने वाले पक्षों को 25 अक्टूबर को दुबई में नीलामी होने के बाद बताया गया था कि उनके व्यवसाय की जड़ों का पूरी तरह से अध्ययन किया जा सकता है, क्योंकि उस दिन सभी कागजात को देखना संभव नहीं था. बीसीसीआई ने जरूरत पड़ने पर दूसरे दौर की जांच के लिए 31 दिसंबर तक का समय दिया था. इस बीच, सीवीसी को भरोसा है कि मामला उनके पक्ष में सुलझ जाएगा.