IPL 2022 Auction: किन खिलाड़ियों को खरीदें टीमें, ऐसे करती हैं तय
आईपीएल मेगा ऑक्शन को लेकर फैंस के मन में कई तरह के सवाल खड़े होते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि फ्रेंचाइजियां खिलाड़ियों को कैसे टारगेट करती हैं. आइये जानते हैं.
नई दिल्ली:
आईपीएल 2022 (IPL 2022) के मेगा ऑक्शन (Mega Auction) की तैयारियां तेज हो गई हैं. क्योंकि मेगा ऑक्शन होने में अब बस गिनती के दिन बचे हैं. सभी फ्रेंचाइजियां (Franchisees) खिलाड़ियों को खरीदने के लिए अपने-अपने समीकरण बैठा रही हैं. आईपीएल मेगा ऑक्शन (IPL Mega Auction) को लेकर फैंस के मन में कई तरह के सवाल खड़े होते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि फ्रेंचाइजियां खिलाड़ियों को कैसे टारगेट करती हैं. आइये जानते हैं.
आईपीएल मेगा ऑक्शन खिलाड़ियों के साथ-साथ फैंस के लिए भी काफी उत्सुकता का विषय रहती है. लेकिन आईपीएल 2022 के लिए मेगा ऑक्शन और भी ज्यादा एक्साइटमेंट होने वाला है. क्योंकि आईपीएल 2022 में 10 टीमें खिताब के लिए जंग करती हुई दिखाई देंगी.
इस बार मेगा ऑक्शन में 590 खिलाड़ियों पर बोली लगेगी. आइए जानते हैं कि यह तैयारियां किस तरीके से की जाती हैं और एक टीम यह कैसे तय करती है कि उसको कौन-कौन से खिलाड़ी चाहिए और उन खिलाड़ियों के लिए रकम वह कैसे तय करती हैं.
आपको बता दें कि किसी एक आईपीएल टीम को बनाने में पर्दे के पीछे कई लोग शामिल होते हैं. आईपीएल में टैलेंट को सर्च करने का काम करने वाले लोगों स्काउट कहा जाता है. स्काउट लगभग उसी तरीके से काम करते हैं, जैसे कि बीसीसीआई के सेलेक्टर काम करते हैं.
खास बात यह है कि आईपीएल के स्काउट का दायरा अंतर्राष्ट्रीय होता है क्योंकि यहां पर देसी और विदेशी खिलाड़ियों की भरमार होती है. इस स्थिति में एक स्काउट हर लेवल की क्रिकेट पर नजर बनाए रखने की जिम्मेदारी होती है. चाहे वह जिले में खेली जा रही हो, देश में खेली जा रही हो या राज्य में खेली जा रही हो उसपर नजरें बनाए रहती हैं. इसी बीच कोई ऐसा टैलेंट मिल जाए जो आईपीएल की किसी टीम में फिट होता हो तो वह टीम उसको लेने के लिए जोर लगाती है.
जो लोग स्काउट के तौर पर काम करते हैं, इसमें ज्यादातर पूर्व क्रिकेटर ही होते हैं जिनका काम एक खिलाड़ी को तलाश करने के लिए उसकी जानकारी हासिल करना, उसकी कमी खूबियां जांचना और उसके खेल पर बारीक रिसर्च करना शामिल होता है.
किसी भी खिलाड़ी की कीमत उसकी तत्कालीन फॉर्म पर तय होती है और खिलाड़ी की लॉन्ग टर्म में हासिल की गई उपलब्धियों, भविष्य में उसको लेकर बनी हुई संभावनाएं और खिलाड़ी की उम्र व फिटनेस भी काफी हद तक उसकी कीमत को तय करती है. आमतौर पर ऑलराउंडर की कीमत ज्यादा होती है क्योंकि वह एक की टीम में बैलेंस बनाने का काम करते हैं.
हर टीम अपनी प्लेइंग इलेवन की जरुरतों के हिसाब से खिलाड़ियों को खरीदती हैं. टीमें ऑक्शन में उतरने से पहले मॉक ऑप्शन की प्रक्रिया को अपनाती हैं.
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अगर कोई टीम किसी खिलाड़ी को खरीदने का पूरा मन बना लेती है तो नीलामी में बोली की प्रक्रिया शुरु होते ही सबसे पहले कीमत लगाती हैं, और जितना प्राइस उस खिलाड़ी के लिए टीम ने अपनी प्लानिंग में सेट किया है उस कीमत तक वह उस खिलाड़ी की बोली को खींच सकती है.
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