टीम इंडिया में विजय शंकर को चौथे नंबर के लिए चुना गया था, तभी टीम के अंदर कानाफुसी शुरू हो गई थी कि आखिर अंबाती रायुडू को टीम में क्यों नहीं लिया गया. हालांकि किसी ने विरोध नहीं किया, क्योंकि सभी को पता था कि विरोध करने का हश्र क्या होगा.
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कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री का टीम में इतना खौफ है कि कोई विरोध करने जहमत नहीं उठाता. अब जबकि टीम सेमीफाइनल में हारकर सबसे बड़े टूर्नामेंट से बाहर हो गई है, तो टीम प्रबंधन यानी विराट कोहली और रवि शास्त्री पर तो सवाल उठेंगे.
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सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाए गए सीओए के तीनों शीर्ष पदाधिकारी भी टीम के मसले पर कुछ बोलने से बचते हैं. दूसरी ओर, भारतीय चयनकर्ताओं के मुखिया एमएसके प्रसाद भी शास्त्री और विराट का विरोध नहीं कर पाते. टीम इंडिया की हार के बाद सीओए प्रमुख विनोद राय सार्वजनिक रूप से कार्रवाई करने की बात तो करते हैं पर आज तक कोई कदम नहीं उठाए गए. चाहे अनिल कुंबले का विराट से मतभेदों के कारण मुख्य कोच से हटना पड़ा हो, दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट सीरीज में पराजय हो या इंग्लैंड में पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-4 की हार ही क्यों न हो. समय रहते एक्शन ले लिया जाता तो टीम में हिटलरशाही पर लगाम लग जाती और शायद टीम इंडिया आज फाइनल में होती.
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टीम इंडिया में उन्हीं खिलाड़ियों का स्थान पक्का होता है, जो ताबड़तोड़ प्रदर्शन कर किसी को मौका नहीं देता. जैसे जसप्रीत बुमराह या फिर रोहित शर्मा. बाकी किसी खिलाड़ी का स्थान टीम में पक्का नहीं है. यहां तक कि शिखर धवन की भी नहीं. प्रदर्शन करने के साथ-साथ यह जरूरी है कि वह विराट एंड कंपनी का अघोषित फॉलोवर हो. केएल राहुल, कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल में से कोई भी कितना भी खराब प्रदर्शन करे, बाहर होंगे कुलदीप यादव ही.
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2015 के विश्व कप के बाद से टीम इंडिया को चौथे नंबर पर बल्लेबाज की तलाश अंबाती रायुडू की खोज से पूरी हो गई थी. न्यूजीलैंड के खिलाफ वेलिंगटन में तीन फरवरी को अंबाती रायुडू ने चौथे नंबर पर शानदार प्रदर्शन करते हुए 113 गेंदों पर 90 रन बनाए थे. रायुडू के चलते ही उस मैच में टीम इंडिया जीती थी. उस मैच में रायुडू ने आठ चौके और चार छक्के मारे थे, लेकिन विश्व कप के लिए जब एकादश का चुनाव हुआ तो रायुडू को किनारे कर दिया गया. शिखर धवन और विजय शंकर के चोटिल होने के बाद भी अंबाती को जगह नहीं मिली, लिहाजा उन्होंने संन्यास लेने का ही फैसला कर लिया.
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जाधव-कार्तिक का करियर दांव पर
सेमीफाइनल में भारत की हार के साथ ही टीम इंडिया फिर से मध्य क्रम की खोज में है. उसमें 34-34 साल के केदार जाधव और दिनेश कार्तिक मिलने की संभावना न के बराबर है. गौरतलब है कि 18 महीने बाद ऑस्ट्रेलिया में टी-20 विश्व कप और 2023 में भारत में वनडे विश्व कप होगा.
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गलत फैसलों से हुआ नुकसान
- पिछले साल दक्षिण अफ्रीका दौरे पर पहले टेस्ट में उपकप्तान अजिंक्य रहाणे को बाहर करना
- दूसरे मैच में भुवनेश्वर कुमार को बिठाना (पहले टेस्ट में सबसे ज्यादा छह विकेट)
- इंग्लैंड के खिलाफ 5 मैचों की टेस्ट सीरीज में लॉर्ड्स की पिच पर 2 स्पिनर के साथ उतरना
- कुलदीप को महज 9 ओवर कराकर स्वदेश भेजना