जानिए आखिर क्यों ICC ने महेंद्र सिंह धोनी के दस्ताने से सेना का प्रतीक चिन्ह हटाने को कहा
आईसीसी ने स्पष्ट किया है विकेटकीपिंग ग्लव्स पर अनुमति से ज्यादा लोगो(Logo) नहीं लगाए जा सकते.
नई दिल्ली:
आईसीसी (icc) ने महेंद्र सिंह धोनी को अपने विकेटकीपिंग दस्ताने से भारतीय सेना का प्रतीक चिह्न हटाने के लिए कहा है. वहीं आईसीसी ने इसकी वजह भी बताई है. आईसीसी ने स्पष्ट किया है विकेटकीपिंग ग्लव्स पर अनुमति से ज्यादा लोगो नहीं लगाए जा सकते. आईसीसी के महाप्रबंधक (स्ट्रेटेजिक कम्यूनिकेशंस) क्लेयर फर्लांग ने मीडिया से कहा, 'प्रत्येक विकेटकीपिंग ग्लव्स पर दो निर्माताओं के लोगो (Logo) की अनुमति है. निर्माताओं के लोगो के अलावा किसी अन्य विजिबल (दृश्यमान) लोगो की इजाजत नहीं है.'
ICC ने भारतीय टीम प्रबंधन को अपने फैसले के बारे में बता दिया है और कहा कि धोनी को कोई जुर्माना नहीं देना होगा. फर्लांग ने कहा, 'हमने इसे हटाने के लिए कहा है. यह नियमों का उल्लंघन है. हालांकि कोई जुर्माना नहीं देना होगा.'
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क्या है पूरा मामला
बुधवार को साउथेम्प्टन में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत के पहले मैच के दौरान धोनी को बलिदान बैज के साथ विकेटकीपिंग करते देखा गया था. दरअसल, उनके ग्लव्स पर दिखे इस अनोखे निशान (प्रतीक चिह्न) को हर कोई इस्तेमाल में नहीं ला सकता. यह बैज पैरा-कमांडो लगाते हैं. इस बैज को 'बलिदान बैज' के नाम से जाना जाता है.
क्या है बलिदान बैज?
पैराशूट रेजिमेंट के विशेष बलों के पास उनके अलग बैज होते हैं, जिन्हें 'बलिदान' के रूप में जाना जाता है. इस बैज में 'बलिदान' शब्द को देवनागरी लिपि में लिखा गया है. यह बैज चांदी की धातु से बना होता है, जिसमें ऊपर की तरफ लाल प्लास्टिक का आयत होता है. यह बैज पैरा-कमांडो पहनता है.
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भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को क्रिकेट में उनकी उपलब्धियों के कारण 2011 में प्रादेशिक सेना में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक दी गई थी. धोनी यह सम्मान पाने वाले कपिल देव के बाद दूसरे भारतीय क्रिकेटर हैं.
धोनी को मानद कमीशन दिया गया क्योंकि वह एक युवा आइकन हैं और वह युवाओं को सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित कर सकते हैं. धोनी एक प्रशिक्षित पैराट्रूपर हैं. उन्होंने पैरा बेसिक कोर्स किया है और पैराट्रूपर विंग्स पहनते हैं.
महेंद्र सिंह धोनी ने प्रादेशिक सेना (टीए) की 106 पैराशूट रेजिमेंट में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में अपनी रैंक को साबित कर दिखाया है.
धोनी अगस्त 2015 में प्रशिक्षित पैराट्रूपर बन गए थे. आगरा के पैराट्रूपर्स ट्रेनिंग स्कूल (पीटीएस) में भारतीय वायु सेना के एएन-32 विमान से पांचवीं छलांग पूरी करने के बाद उन्होंने प्रतिष्ठित पैरा विंग्स प्रतीक चिह्न (Para Wings insignia) लगाने की अर्हता प्राप्त कर ली थी. यानी इसी के साथ धोनी को इस बैज के इस्तेमाल की योग्यता हासिल हो गई.
गौरतलब है कि तब धोनी 1,250 फीट की ऊंचाई से कूद गए थे और एक मिनट से भी कम समय में मालपुरा ड्रॉपिंग जोन के पास सफलतापूर्वक उतरे थे.
नवंबर 2011 में धोनी को प्रादेशिक सेना (TA) में लेफ्टिनेंट कर्नल के मानद रैंक से सम्मानित किया गया था. तब उन्होंने कहा था कि वह सेना में अधिकारी बनना चाहते थे, लेकिन किस्मत ने उन्हें क्रिकेटर बना दिया.
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