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कपिल देव के नाबाद 175 रन और विवियन रिचर्डस का कैच, टीम इंडिया बन गया वर्ल्‍ड चैंपियन

36 साल पहले आज ही के दिन (25 जून, 1983) भारतीय क्रिकेट टीम ने इतिहास रच दिया था. भारतीय क्रिकेट का इतिहास सुनहरे पन्नों पर दर्ज गया.

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Drigraj Madheshia
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कपिल देव के नाबाद 175 रन और विवियन रिचर्डस का कैच, टीम इंडिया बन गया वर्ल्‍ड चैंपियन

विश्‍व कप की ट्रॉफी के साथ कपिल देव (Social Media)

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36 साल पहले आज ही के दिन (25 जून, 1983) भारतीय क्रिकेट टीम ने इतिहास रच दिया था. भारतीय क्रिकेट का इतिहास सुनहरे पन्नों पर दर्ज गया. यह वही दिन है जब 1983 के वर्ल्ड कप के फाइनल में दो बार की चैंपियन वेस्टइंडीज को मात देकर कपिल देव की टीम ने करोड़ों लोगों का सपना साकार किया था. टूर्नामेंट शुरू होने से पहले किसी को यह अंदाजा नहीं था कि भारत विश्‍व विजेता बनकर निकला था. उस समय की कमजोर टीमों में से एक भारत का पहला ही मैच दो बार की वर्ल्ड चैम्पियन टीम वेस्टइंडीज से था. भारतीय टीम इस टूर्नामेंट में 6 ग्रुप मैच में से 2 मैच हार चुकी थी. अगर वह एक और मैच हारती तो टूर्नामेंट से बाहर हो सकती थी. तीसरे मैच में जिंबाब्‍वे के खिलाफ कप्तान कपिल देव ने नाबाद 175 रन बनाकर टीम इंडिया के लिए विश्‍व कप जीतने का जज्‍बा पैदा कर दिया. आइए पढ़ें सभी मैचों की कहानी..

पहला मैचः 9 जून 1983, भारत v/s वेस्टइंडीज, मैनचेस्टर

वर्ल्ड कप के पहले मुकाबले में टीम इंडिया ने दो बार की चैंपियन वेस्टइंडीज को हराकर अपने अभियान की शुरुआत की. वेस्‍टइंडीज के तेज गेंदबाजों के सामने भारत विश्वकप का अपना सबसे बड़ा स्कोर बनाया. यशपाल शर्मा ने गज़ब की पारी खेली. उनके 89 रनों की बदौलत भारत 262 रनों के चुनौतीपूर्ण स्कोर तक पहुंचा. जवाब में वेस्ट इंडीज की टीम 228 रन पर ढेर हो गई. रवि शास्त्री ने शानदार गेंदबाज़ी करते हुए महज़ 26 रन देकर 3 विकेट झटके.

दूसरा मैच : 11 जून 1983, भारत v/s जिम्बाब्वे, लीसेस्टर

टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी जिम्बाब्वे की टीम का एक भी खिलाड़ी 22 से ज्यादा रन नहीं बना पाया. जिम्बाब्वे ने 13 रन पर ही पहला विकेट गंवा दिया और पूरी टीम 51.4 ओवर में 155 रन पर सिमट गई. मदन लाल ने सबसे ज्यादा 3 विकेट लिए थे. सुनील गावस्कर और के श्रीकांत के जल्‍दी आउट होने के बाद मोहिंदर अमरनाथ और संदीप पाटिल की पार्टनरशिप ने टीम को संभाला. मोहिंदर अमरनाथ ने 44 (79) और संदीप पाटिल ने 50 (54) रन बनाए. टीम इंडिया ने 37.3 ओवर में ही 5 विकेट से जीत दर्ज की.

तीसरा मैच : 13 जून 1983, भारत v/s ऑस्ट्रेलिया, नॉटिंघम

भारत का तीसरा मुकाबला ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम के साथ था. टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी ऑस्ट्रेलियाई टीम ने ट्रेवर चैपल ने 110, कप्तान किम ह्यूज के 52 और ग्राहम येलप की 66 रनों की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने 60 ओवर में 320 रन बनाए. 321 रन के स्कोर का पीछा करने उतरी भारतीय टीम 37.5 ओवर में 158 रन बनाकर ऑलआउट हो गई. ऑस्ट्रेलिया ने यह मुकाबला 162 रन के बड़े अंतर से जीता.

चौथा मैच : 15 जून 1983, भारत v/s वेस्टइंडीज, ओवल

पहले मैच में भारत के हाथों पिट चुकी वेस्टइंडीज की टीम एक बार फिर सामने थी. टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी वेस्टइंडीज ने सर विवियन रिचर्ड्स की 119 रनों की बदौलत 60 ओवर में 282 रन बनाए. 283 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया की शुरूआत अच्‍छी नहीं रही और सिर्फ 21 रन पर अपने दो विकेट गंवा दिए. मोहिंदर अमरनाथ की 80 रन की पारी बेकार हो गई और भारतीय टीम 216 रन पर सिमट गई.

5वां मैच : 18 जून, भारत v/s जिम्बाब्वे, टनब्रिज वेल्स

यही वह मैच था जिसने टीम इंडिया के मन में जीत का जज्‍बा पैदा किया. लगातार दो मैच हारने के बाद जिम्बाब्वे के खिलाफ कपिल देव ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी चुनी, लेकिन टीम ने 17 रन पर ही अपने 4 विकेट खो दिए. इसके बाद बल्लेबाजी करने आए कपिल देव ने 175 रन की पारी खेली. इस पारी में उन्होंने 16 चौके और 6 छक्के लगाए. टीम इंडिया 266 रन बना सकी. जिम्बाब्वे के विकेट लगातार गिरते रहे. सबसे ज्यादा रन केविन कुरेन (73) ने बनाए. लेकिन टीम 57 ओवर पर ही सिमट गई. भारत ने यह मैच 31 रन से जीत लिया.

छठा मैच : 20 जून 1983, भारत v/s ऑस्ट्रेलिया, चेल्म्सफोर्ड

विश्‍व कप के सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए भारत को यह मैच जीतना बहुत जरूरी था. भारत इस टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया से पहले भी हार चुका था. इस मैच में कपिल देव ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया. टीम 247 रन बनाने में कामयाब रही. 283 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी ऑस्ट्रेलियाई टीम ने 100 रन के अंदर ही 7 विकेट गंवा दिए. रोजर बिन्नी और मदनलाल की तेज गेंदबाजी के सामने ऑस्ट्रेलियाई टीम टिक बिखर गई और 129 रन पर ही सिमट गई. भारत ने यह मुकाबला 118 रन से जीत लिया.

7वां मैच : 22 जून 1983, सेमीफाइनल 1 : भारत v/s इंग्लैंड, मैनचेस्टर

पहले सेमीफाइनल में इंग्लैंड के कप्तान बॉब विलिस ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी चुनी. इंग्लैंड ने भारत को 214 रन का लक्ष्य दिया. इंग्लैंड के खिलाफ टूर्नामेंट में पहला मैच खेलते हुए मोहिंदर अमरनाथ (46) और यशपाल शर्मा (61) की बदौलत ने 32 गेंदें शेष रहते ही टीम इंडिया ने 6 विकेट से मैच जीत लिया.

8वां मैच : 25 जून 1983, फाइनल : भारत v/s वेस्टइंडीज, लॉर्ड्स

दो बार वर्ल्ड चैंपियन वेस्टइंडीज की नजर तीसरी बार खिताब जीतने पर थी. वेस्टइंडीज के कप्तान क्लायव लॉइड ने टॉस जीतकर टीम इंडिया को पहले बल्लेबाजी का न्योता दिया. टीम इंडिया का कोई भी बल्लेबाज इस बड़े मैच में अर्धशतक भी नहीं लगा पाया. टीम के लिए सबसे ज्यादा 38 रन श्रीकांत ने बनाए. टीम इंडिया सिर्फ 183 रन पर सिमट गई. इस छोटे से लक्ष्य का पीछा करने उतरी वेस्टइंडीज की शुरुआत भी खराब रही. वेस्टइंडीज को सर विवियन रिचर्ड्स (33) ने संभाला. हालांकि, बड़ा शॉट खेलने के लिए विवियन रिचर्ड्स ने जैसे ही मिड विकेट की तरफ शॉट लगाया तो कपिल देव ने कैच लपक लिया. वेस्टइंडीज की टीम 140 रन पर सिमट गई और टीम इंडिया ने यह मैच 43 रन से जीत लिया.

HIGHLIGHTS

  • टीम इंडिया ने 36 साल पहले आज के ही दिन अपना पहला वर्ल्ड कप जीता था
  • 25 जून 1983 को इंग्लैंड के लॉर्ड्स के मैदान पर भारत और वेस्टइंडीज के बीच फाइनल हुआ था
  • कपिल देव ने फाइनल मैच में मदनलाल की गेंद पर विव रिचर्ड्स का कैच पकड़ा था

Source : DRIGRAJ MADHESHIA

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