वशिष्ठ मानीकोट फुटबॉल को लोकप्रिय बनाने वाले एक प्रोफेसर

खेल के जरिए कई खिलाड़ी तो नाम कमाते ही हैं लेकिन किसी खेल के प्रति उसके पशंसक का जुनून उसे पूरी दुनिया में मशहूर कर देता है। ऐसे ही एक शख्स है केरल के वशिष्ठ मानीकोट।

खेल के जरिए कई खिलाड़ी तो नाम कमाते ही हैं लेकिन किसी खेल के प्रति उसके पशंसक का जुनून उसे पूरी दुनिया में मशहूर कर देता है। ऐसे ही एक शख्स है केरल के वशिष्ठ मानीकोट।

author-image
sankalp thakur
एडिट
New Update
वशिष्ठ मानीकोट फुटबॉल को लोकप्रिय बनाने वाले एक प्रोफेसर

वशिष्ठ मानीकोट (फाइल फोटो)

खेल के जरिए कई खिलाड़ी तो नाम कमाते ही हैं लेकिन किसी खेल के प्रति उसके पशंसक का जुनून उसे पूरी दुनिया में मशहूर कर देता है। ऐसे ही एक शख्स है केरल के वशिष्ठ मानीकोट।

Advertisment

वशिष्ठ मानीकोट फुटबॉल के बहुत बड़े फैन हैं और इस खेल के लिए उनकी दीवानगी की वजह से वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम भी कमा चुके हैं।

मानीकोट 'द लास्ट पेनल्टी किक' नाम से फुटबॉल पर 18 कविताओं का संकलन लिख चुके हैं जिसमें से 1 कविता 'ए गेम सो कॉल्ड फुटबॉल' को फीफा ने 2001 में अपनी ऑफिशियल मैग्जीन के दिसंबर अंक में छापा था।

फीफा ने उनकी इस कविता को चार भाषाओं फ्रेंच, चाइनीज, जर्मन और पॉर्च्युगीज अनुवाद में प्रकाशित किया था।

बता दें कि फीफा विश्वकप 2018 का आगाज रूस में हो चुका है और इस बार भी हर बार की तरह वह बेहद उत्साहित हैं और अलग-अलग भाषाओं के जरिए फुटबॉल को लोकप्रीय बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

वशिष्ठ ने कहा,' मैं मालाबार क्रिश्चियन कॉलेज के इतिहास विभाग का हेड हूं। मैं फुटबॉल का दिवाना हूं। मैंने 20 साल पहले इसे अपने देश में लोकप्रिय बनाने को लेकर प्रयास शुरू कर दिए थे।'

उन्होंने कहा,'मैं हिन्दी बेल्ट से नहीं हूं और इसलिए मैं बहुत जल्दी समझ गया कि बिना हिन्दी और क्षेत्रीय भाषा के फुटबॉल को भारत में लोकप्रीय नहीं बनाया जा सकता। 16 करोड़ तो अकेले उत्तर प्रदेश की आबादी है। इतनी तो दुनिया की लगभग 100 देशों की आबादी भी नहीं।'

वशिष्ठ मानते हैं कि फुटबॉल को हिन्दी के जरिए लोकप्रिय बनाया जा सकता है और इसके लिए इस बार उन्होंने यू़्ट्यूब का सहारा लेते हुए एक वीडियो डाला है। इस वीडियो में उन्होंने अपनी कविता को संगीत में ढाला है।

Source : News Nation Bureau

FIFA World Cup 2018 Vashisht Manikoth
      
Advertisment