भारतीय क्रिकेट टीम के ऑलराउंडर युवराज सिंह ने सोमवार को क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है. युवराज सिंह ने संन्यास की घोषणा करते हुए साथ देने वाले सभी साथियों को शुक्रिया कहा. युवराज ने कहा, "क्रिकेट ने मुझे सब कुछ दिया." उन्होंने कहा, देश के लिए खेलने गर्व की बात है. युवराज ने यह भी कहा कि 2011 विश्व कप जीतना सपने पूरा होने जैसा था.
कैंसर बीमारी के बारे में जिक्र करते हुए युवराज ने कहा, मैंने कभी हार नहीं मानी. वो मेरे लिए सबसे भावुक क्षण था. कैंसर से लड़कर मैं मैदान पर लौटा. मैं सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली के साथ खेला. 25 साल और उसके बाद 22 गज की दूरी पर और लगभग 17 साल के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को चालू और बंद करने के बाद, मैंने आगे बढ़ने का फैसला किया है। इस खेल ने मुझे सिखाया कि कैसे लड़ना है, कैसे गिरना है, धूल फांकना है, फिर से उठना है और आगे बढ़ना है.

युवराज ने भारत के लिए 40 टेस्ट, 304 वनडे और 58 टी20 इंटरनेशनल मैचों में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया. वर्ल्डकप 2011 में भारतीय टीम को चैंपियन बनाने में उनका अहम रोल रहा था और वे प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुने गए थे.
बाएं हाथ के बल्लेबाज युवराज सिंह की तुलना आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी माइकल बेवन से की जाती थी. वे गेंद पर करारे स्ट्रोक लगाने के लिए जाने जाते थे. 2007 के टी20 वर्ल्डकप में युवराज ने एक ओवर में छह छक्के लगाए थे. ऐसा करने वाले वे एक मात्र बल्लेबाज हैं. युवराज ने इंग्लैंड के गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड की गेंद पर इस कारनामे को अंजाम दिया था.
37 साल के युवराज ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, "मैं भारत के लिए खेलना शुरू किया था तो मैं इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता था कि इतना आगे जाऊंगा. युवराज ने भारत के लिए 40 टेस्ट, 304 वनडे और 58 T20I खेले. टेस्ट में उन्होंने 1900 रन बनाए और वन-डे में 8701.
उन्होंने कहा, इस खेल ने मुझे संघर्ष करना सिखाया. मैं सफल होने से ज्यादा बार असफल रहा हूं और मैं कभी हार नहीं मानूंगा." 2011 विश्व कप जीतने के तुरंत बाद कैंसर के साथ लड़ाई शायद सबसे बड़ी चुनौती थी, जिसका उन्हें सामना करना पड़ा.
युवराज सिंह ने अपने अलविदा स्पीच में टीम के खिलाड़ी, पूर्व कप्तान, बीसीसीआई, चयनकर्ता और अपनी मां शबनम सिंह को शुक्रिया कहा. गुरुओं बाबा अजित सिंह और बाबा राम सिंह का भी युवराज ने शुक्रिया किया.