पहली बार कब इस्तेमाल हुआ था DRS? वीरेंद्र सहवाग से क्या है इसका खास कनेक्शन, जानें यहां

DRS : डिसीजन रिव्यू सिस्टम के आने के बाद से क्रिकेट में काफी बदलाव आया है. खिलाड़ी अंपायर के फैसले को चुनौती दे सकते हैं...

author-image
Sonam Gupta
एडिट
New Update
rohit sharma

rohit sharma( Photo Credit : Social Media)

DRS : तीन फॉर्मेट में खेले जाने वाले क्रिकेट के खेल को दुनियाभर में प्यार मिलता है. ऐसे में इस गेम को बेहतर बनाने के लिए वक्त-वक्त पर इसमें जरूरी बदलाव होते रहते हैं. कभी ICC कोई नया नियम लाती है, तो कभी कोई ऐसी टैक्निक लाती है, जो गेम को और भी रोमांचक बनाता है. ... में आईसीसी ने DRS को क्रिकेट में लागू किया था, जिसका फुल फॉर्म है डिसीजन रिव्यू सिस्टम... आप नाम से ही समझ सकते हैं कि इसकी मदद से खिलाड़ी अंपायर के फैसले को चुनौती दे सकते हैं... आइए आज इस नियम के बारे में डीटेल में समझते हैं...

Advertisment

DRS नियम कैसे काम करता है?

DRS का फुल फॉर्म डिसीजन रिव्यू सिस्टम है. यह एक ऐसा सिस्टम है, जिसमें कोई खिलाड़ी अंपायर के फैसले को चुनौती देता है. इसके बाद वीडियो रीप्ले और बॉल ट्रैकर, हॉकआई, हॉट स्पॉट, पिच मैपिंग जैसी टैक्निक की मदद से फैसले का रिव्यू किया जाता है. T20I और वनडे क्रिकेट में हर पारी में दोनों ही टीमों को 2-2 रिव्यू दिए जाते हैं. वनडे की बात करें, तो एक टीम को एक पारी में 2 रिव्यू दिए जाते हैं. लेकिन, 80 ओवर खत्म होने के बाद 2 अतिरिक्त DRS दिए जाते हैं. 

DRS की खास बात ये है कि, हर टीम को असफल DRS लेने की अनुमति होती है. यानी अगर फैसला अंपायर के पक्ष में जाता है, तो रिव्यू के लिए टीम को दूसरा मौका नहीं मिलता. वहीं, अगर फैसला टीम के पक्ष में जाता है, तो उसे दोबारा रिव्यू का मौका दिया जाता है.

पहली बार कब हुआ था इस्तेमाल?

साल 2008 में भारत बनाम श्रीलंका मैच DRS का पहली बार इस्तेमाल किया गया था, और इसे आधिकारिक तौर पर इंटरनेशनल क्रिकेट परिषद (आईसीसी) द्वारा 24 नवंबर 2009 को न्यूजीलैंड और पाकिस्तान के बीच पहले टेस्ट के दौरान लॉन्च किया गया था. 

सहवाग हुए थे पहली बार आउट

भारतीय टीम साल 2008 में श्रीलंका के दौरे पर थी, तब ट्रायल के तौर पर DRS का इस्तेमाल किया गया था. वीरेंद्र सहवाग DRS टैक्निक से आउट होने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज बने थे. जब से DRS आया है, तभी से कुछ दिग्गज इसके पक्ष में रहते हैं, तो वहीं कई दिग्गजों को ये बिलकुल रास नहीं आता. चूंकि, इसके आने के बाद से अंपायर के फैसलों पर काफी सवाल उठने लगे हैं. पहले जब कोई टैक्नोलॉजी नहीं थी, तो अंपायर ही सर्वे सर्वा था, लेकिन अब कोई भी खिलाड़ी उनके फैसले को चुनौती देकर गलत होने पर बदलवा सकता है. 

ये भी पढ़ें : 'ये कोई टीम है...' पाकिस्तान टीम के माहौल पर भड़के उनके हेड कोच, खोलकर रख दिया पूरा कच्चा-चिट्ठा

Source : Sports Desk

Virender Sehwag DRS cricket news in hindi sports news in hindi वीरेंद्र सहवाग डीआरएस
      
Advertisment