मजहबी विवाद में फंसे उत्तराखंड के कोच वसीम जाफर, देना पड़ा इस्तीफा
क्या क्रिकेट में अब मजहब देखकर सिलेक्शन होगा, क्या क्रिकेट अब मजहब का खेल बन गया है
नई दिल्ली :
क्या क्रिकेट में अब मजहब देखकर सिलेक्शन होगा, क्या क्रिकेट अब मजहब का खेल बन गया है. ऐसा ही कुछ अब उत्तराखंड क्रिकेट में हो रहा है क्योंकि उनके मुख्य कोच और पूर्व टीम इंडिया के बल्लेबाज वसीम जाफर को शायद मजहब देखकर खिलाड़ियों का आकलन करना आ गया है. वसीम जाफर अपने सोशल मीडिया ट्वीट के लिए सुर्खियों में रहते हैं लेकिन अब मजहब को लेकर भी नाम सामने आ रहा है. दरअसल, कुछ वक्त पहले वसीम जाफर को उत्तराखंड क्रिकेट टीम का कोच बनाया गया था जिसके लिए उनके साथ 45 लाख रुपये का करार किया गया.
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कुछ रिपोर्ट्स सामने आई है जिसमें बताया गया है कि उत्तराखंड टीम के कोच बनाने के बाद से वसीम जाफर खिलाड़ियों को ट्रेनिंग की बजाए बजाय मजहबी पाठ पढ़ाने में जुट गए थे. पहले उन्होंने इक़बाल अब्दुल्ला को जबरदस्ती टीम का कप्तान बनाया और फिर उसके बाद उत्तराखंड की टीम का स्लोगन ‘राम भक्त हनुमान की जय’ को बदल दिया. इन्हीं सब विवादों के कारण पूर्व टीम इंडिया के बल्लेबाज और कोच वसीम जाफर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
उत्तराखंड की टीम का कप्तान मुसलमान बनाने के बाद भी नहीं रुके वसीम जाफर, "राम भक्त हनुमान की जय" का नारा बन्द करवा दिया, और मौलवी को बुलाकर क्रिकेट कैम्प में नमाज पढ़वाते थे। ऐसे मजहबी जिहादी देश को बर्बाद करेंगे।@tsrawatbjp कब कार्यवाही होगी इनपर?? @WasimJaffer14 pic.twitter.com/LdhkEhKOaF
— Ravi Bhadoria (@ravibhadoria) February 10, 2021
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खबरों के अनुसार उत्तराखंड क्रिकेट संघ के सचिव महिम वर्मा और मुख्य सिलेक्टर रिजवान शमशाद के साथ विवाद होने के बाद जाफर ने इस्तीफा दिया. इसके अलावा अपने इस्तीफे में जाफर ने सचिव महिम वर्मा पर टीम में दखल देने के साथ कई आरोप लगाए हैं. दूसरी ओर महिम ने ही जाफर पर गंभीर ओरोप लगाए और खुद पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया. उत्तराखंड क्रिकेट का कहा कहना है कि जाफर टीम के अधिकारियों से लड़ाई करते थे बल्कि मजहबी गतिविधियों से टीम को तोड़ने का प्रयास कर रहे थे. महिम ने कहा कहना है कि वसीम जाफर घरेलू क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाडी थे इसलिए हम लोग उनका फैसला मानते थे लेकिन घरेलू टूर्नामेंट सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में टीम का प्रदर्शन बेदर खराब रहा और पांच में चार मैच टीम हार गई. इसके बाद उत्तराखंड क्रिकेट संघ ने विजय हजारे ट्रॉफी के लए टीम की घोषणा की और चंदेला को कप्तान बनाया गया और फिर जाफर नाराज हो गए और उन्होंने अगले दिन इस्तीपा दे दिया.
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इतना ही नहीं सचिन महीम ने बताया कि टीम के सपोर्टिंग स्टॉफ बताते थे कि जाफर कैंप के दौरान मौलवी बुलाते थे, इसके अलावा उत्तराखंड की टीम ‘राम भक्त हनुमान की जय’ स्लोगन का इस्तेमाल कर रही थी लेकिन पूर्व टीम के कोच जाफर का कहना था कि इस टीम में सभी धर्म के खिलाड़ी खेलते हैं जिसके कारण इसमें बदलाव किया गया. साथ ही ये भी बताया गया है कि वसीम जाफर के कहने के बाद उत्तराखंड की टीम का स्लोगन ‘गो उत्तराखंड’ रखा गया हालांकि पहले इसको ‘उत्तराखंड की जय’ रखने पर चर्चा हो रही थी जिसपर जाफर सेहमत नहीं थे. इसके अलावा इकबाल अब्दुल्ला को बढ़ाने के चक्कर में जाफर चंदेला को नीचे बल्लेबाजी कराने के लिए भेजा करते थे. अब देखना होगा जाफर और उत्तराखंड के बीच ये मामला कहां तक जाता है
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