कोरोना महामारी के कारण विश्व स्तर पर हजारों खेल आयोजनों को प्रभावित किया, यहां तक कि सभी आयोजनों में सबसे भव्य टोक्यो ओलंपिक खेलों को भी नहीं बख्शा, जिन्हें एक साल के लिए स्थगित कर दिया गया था।
महामारी के नए वैरिएंट के कारण नए साल पर एशेज और ऑस्ट्रेलियन ओपन जैसे कई खेल आयोजनों पर खतरा मंडरा रहा है। वहीं, इन आयोजनों से पहले कई खिलाड़ियों ने नाम वापस ले लिए हैं। वहीं, इस वायरस से एथलीटों को सुरक्षित करना भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।
2022 में भारत अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने पर ध्यान देगा। हाल ही में भारतीय एथलीटों द्वारा किए गए प्रदर्शन से आने वाले बड़े टूर्नामेंटों में अच्छा करने की उम्मीदें बढ़ती जा रही है।
भारत ने परंपरागत रूप से दो चतुष्कोणीय आयोजनों में अच्छा प्रदर्शन किया है, हालांकि अभी उनका एशियाई खेलों में चीन, जापान और दक्षिण कोरिया और राष्ट्रमंडल खेलों में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे महाशक्तियों से मुकाबला करना बाकी है।
लेकिन 2020 के टोक्यो ओलंपिक खेलों में देश के एथलीटों के प्रदर्शन से उम्मीद है कि वह धीरे-धीरे भारत के लिए और पदक जीतकर लाएंगे।
देशभर में एथलीटों को बायो-बबल में सुरक्षित रखने और उन्हें चतुष्कोणीय खेल आयोजनों के लिए तैयार करने से जुड़ा कामकाज सरकार के लिए एक गंभीर विषय होगा। दो खेल आयोजनों में पिछले संस्करणों की तुलना में एथलीट भारत के लिए बेहतर करने की कोशिश करेंगे।
हाल ही में भारतीय एथलीटों ने दो स्पर्धाओं में शानदार प्रदर्शन कर देश का नाम रोशन किया था। कुछ मेडल लेकर आए हैं तो कुछ ने अपने खेल से सबका दिल जीत लिया था।
2010 के ग्वांग्झू एशियाई खेलों में बॉक्सर विजेंदर सिंह का दमदार प्रदर्शन, इंचियोन में 2014 एशियाई खेलों में हारने के बाद एल सरिता देवी के आंसू, 2018 जकार्ता एशियाई खेलों में भाला फेंकने वाले नीरज चोपड़ा के स्टलिर्ंग थ्रो और अनगिनत अन्य प्रदर्शन सभी भारतीय खेल ऐतिहासिक पलों का हिस्सा हैं।
इस साल सितंबर में चीन के हांगझोउ में होने वाले एशियाई खेलों में इस बात की भी परीक्षा होगी कि पेरिस में 2024 ओलंपिक खेलों के लिए भारत की तैयारी कैसी चल रही है। उम्मीदें फिर से बढ़ेंगी और नीरज चोपड़ा, हॉकी के दिग्गज मनप्रीत सिंह, रानी रामपाल, सौरभ चौधरी और मनु भाकर जैसे युवा निशानेबाजों से सबसे बड़े महाद्वीपीय खेलों से पदक लाने की उम्मीद की जाएगी।
टोक्यो ओलंपिक खेल में निशानेबाजों ने निराश किया था, लेकिन एशियाई खेल उनके गिरते मनोबल को अच्छी तरह से पुनर्जीवित कर सकता है, क्योंकि उन्हें अपना सर्वश्रेष्ठ करने का मौका मिलेगा।
भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीमों को नहीं भूलना चाहिए, जो महाद्वीपीय स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने और सीधे 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के लिए उत्सुक होंगी।
भारतीय हॉकी टीम जब भी मैदान में उतरती है, स्वर्ण पदक की उम्मीदें बढ़ती हैं, लेकिन हालात उनके लिए विपरीत रहे हैं। पुरुषों की टीम ने 2010 गुआंगजौ में कांस्य पदक जीता था, लेकिन चार साल पहले वे चैंपियन थे।
हालांकि, भारतीय खेमे से सकारात्मक ऊर्जा और टोक्यो में उनका प्रदर्शन, जहां उन्होंने चार दशक लंबे सूखे को समाप्त किया, अच्छे संकेत दे रहे हैं।
राष्ट्रमंडल खेल भारत सरकार की प्राथमिकता के मामले में केवल एशियाई खेलों के बाद हैं और एशियाई खेलों के लिए राष्ट्रमंडल खेलों से बेहतर कोई आयोजन नहीं है।
ऑस्ट्रेलिया में आयोजित 2018 संस्करण में कई शूटिंग इवेंट कम होने के बाद गोल्ड कोस्ट में भारत सीडब्ल्यूजी में मामूली रूप से पीछे रह गया था। बमिर्ंघम 2022 के आयोजकों ने निशानेबाजी के खेल को राष्ट्रमंडल खेलों से हटाकर एक बड़ा झटका दिया। भारत के शीर्ष पदक अर्जित करने वाले खेल अनुशासन को समाप्त किए जाने के साथ, खिलाड़ियों, शटलरों, पहलवानों, भारोत्तोलक, टेबल टेनिस खिलाड़ियों और मुक्के बाजों पर आगे बढ़ने की जिम्मेदारी होगी।
भारत गोल्ड कोस्ट में पदक तालिका में 66 पदकों को अपने नाम किए थे, उनमें से 26 स्वर्ण जीतने के साथ तीसरे स्थान पर रहा था। लेकिन इनमें से सात स्वर्ण पदक निशानेबाजी में आए थे, इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि बमिर्ंघम 2022 आयोजकों के फैसले से भारत कितनी बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
भारतीय एथलीटों ने पिछले साल असाधारण प्रदर्शन किया था, क्योंकि उन्होंने 2020 ओलंपिक से पहले महामारी से उत्पन्न चुनौतियों का सामना किया। वे राष्ट्रीय शिविरों में महीनों तक एक साथ रहे, उनका एकमात्र लक्ष्य टोक्यो में अच्छा प्रदर्शन करना था। वहीं इस साल भी स्थिति ज्यादा नहीं बदली है, इसलिए उम्मीद और आकांक्षाएं भी नहीं बदलनी चाहिए।
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Source : IANS