राष्ट्रीय चयन समिति को तब शर्मसार होना पड़ा जब महेंद्र सिंह धोनी ने रविवार को झारखंड के लिए विजय हजारे ट्रोफी क्वॉर्टर फाइनल में खेलने से इंकार कर दिया, जबकि मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने दो दिन पहले सार्वजनिक रूप से इसकी घोषणा की थी. इस मौजूदा घटना से स्पष्ट हो गया कि चयनकर्ताओं और सीनियर खिलाड़ियों के बीच कोई संवाद नहीं होता. खिलाड़ी अपना कार्यक्रम खुद तय करते हैं.
झारखंड के कोच कुमार ने कहा, ‘धोनी को लगता है कि इस चरण में टीम से जुड़ना उचित नहीं होगा, क्योंकि टीम ने इतना अच्छा प्रदर्शन किया है और उनकी अनुपस्थिति में क्वॉर्टरफाइनल तक जगह बनाई है. वह टीम का संतुलन नहीं बिगाड़ना चाहते.’
धोनी ने इस साल 22 दिन (15 वनडे और सात टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच) ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला है, जिससे वह जब भी लंबे ब्रेक के बाद खेलते हैं तो फॉर्म में नहीं दिखते.
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यह भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि प्रसाद ने सार्वजनिक घोषणा करने से पहले धोनी से एक बार बात की थी. बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने शनिवार को कहा, ‘मैं जानना चाहूंगा कि एमएसके प्रसाद कैसे धोनी से संपर्क करते हैं.’
गौरतलब है कि धोनी पिछले दो साल से बल्लेबाज के तौर पर फॉर्म में नहीं है, उनके महाराष्ट्र के खिलाफ झारखंड का क्वॉर्टर फाइनल मैच खेलने की उम्मीद थी, लेकिन शनिवार को झारखंड के मुख्य कोच राजीव कुमार ने बेंगलुरु में बताया कि धोनी ने क्वॉर्टर फाइनल में नहीं खेलने का फैसला किया, जबकि मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने इससे पहले उनके इसमें हिस्सा लेने की घोषणा की थी.
धोनी के इंकार से चीफ सिलेक्टर एमएसके प्रसाद के उस दावे को भी झटका लगा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि फैसला लेने से पहले खिलाड़ियों से उनकी बात होती है.
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दरअसल, करुण नायर और मुरली विजय ने सिलेक्शन कमिटी पर सवाला उठाया था कि उन्होंने बिना बताए वेस्ट इंडीज के खिलाफ चुनी गई टीम से बाहर कर दिया, जबकि प्रसाद ने कहा था कि इस बारे में दोनों खिलाड़ियों से चर्चा होने के बाद ही फैसला लिया गया था.
Source : News Nation Bureau