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सूर्य कुमार यादव : बनारस की गलियों में क्रिकेट खेलकर टीम इंडिया तक पहुंचे सू्र्या की पूरी कहानी 

सूर्य कुमार यादव ने आईपीएल 2020 में मुंबई इंडियंस के लिए खेलते हुए शानदार प्रदर्शन किया था. इसके बाद से लगातार उनके नाम की चर्चा हो रही थी. गाजीपुर बनारस के बीच हथौड़ा गांव में सुर्यकुमार यादव का पुश्तैनी गांव है.

Updated on: 21 Feb 2021, 01:35 PM

बनारस :

Surya Kumar Yadav India vs England T20 Series : भारत और इंग्‍लैंड के बीच खेली जा रही टेस्‍ट सीरीज के बाद दोनों देशों के बीच पांच T20 मैचों की सीरीज भी खेली जानी है. इसके लिए टीम इंडिया का ऐलान कर दिया गया है. टीम में कुछ नए खिलाड़ियों को भी मौका दिया गया है. जिसमें सबसे बड़ा नाम सूर्य कुमार यादव का है. सूर्य कुमार यादव ने आईपीएल 2020 में मुंबई इंडियंस के लिए खेलते हुए शानदार प्रदर्शन किया था. इसके बाद से लगातार उनके नाम की चर्चा हो रही थी. आईपीएल के बाद जब टीम इंडिया ने ऑस्‍ट्रेलिया का दौरा किया तो टीम में सूर्य कुमार यादव का नाम नहीं था, तब क्रिकेट फैंस ने सोशल मीडिया पर तमाम तरह के सवाल उठाए थे. अब उनके चयन से उन्‍हें तसल्‍ली मिली है. सूर्य कुमार यादव भले आईपीएल में मुंबई इंडियंस के लिए खेलते हों, लेकिन उत्‍तर प्रदेश के बनारस से उनका करीबी रिश्‍ता रहा है. 
बनारस के गलियों में क्रिकेट का ककहरा सीखने के बाद आईपीएल में कई साल से शानदार प्रदर्शन कर रहे वाराणसी के सूर्य कुमार यादव का चयन आखिरकार टीम इंडिया में हो ही गया. यह पहला मौका है जब वाराणसी का कोई क्रिकेटर टीम इंडिया में खेलेगा. इसकी सूचना मिलने के बाद वाराणसी में उसके पहले कोच और चाचा विनोद यादव और परिवार बेहद खुश है. उनका कहना है की सपना अब सच हो गया है. 

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गाजीपुर बनारस के बीच हथौड़ा गांव में सूर्यकुमार यादव का पुश्तैनी गांव है. सुर्यकुमार बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौकीन रहे हैं. इसी वजह से 10 साल की उम्र में वह बेहतर प्रैक्टिस के लिए मुंबई चले गए. उनके पिता अशोक कुमार यादव भाभा रिसर्च सेंटर में इंजीनियर के पद पर हैं. दरसल मुम्बई जाने से पहले बहुत छोटी सी उम्र में सूर्यकुमार वाराणसी के नानक नगर में अपने चाचा विनोद यादव के यहां कुछ दिनों तक रहे, इस दौरान उसने गली में ही क्रिकेट खेलकर अपना क्रिकेट के प्रति लगाव जता दिया था. इसके बाद उसके चाचा जो उसके पहले कोच बने उन्‍हें लेकर स्टेडियम ले जाते रहे हैं और बाद में वो मुम्बई चले गए. सूर्य कुमार यादव के पहले कोच उसके चाचा विनोद यादव बताते है की इसी गली वो खेलता और जब वो स्टेडियम भी जाता तो कहता मुझे तेज गेंद फेको डरता नहीं था. सूर्य कुमार यादव सचिन तेंदुलकर को वो अपना रोल मॉडल मानते हैं और उनके गुरु रमाकांत आचरेकर की अकादमी में सूर्य कुमार के पिता उन्‍हें ले जाते रहे हैं. आज वो दिन आ गया जिसका हमें कई साल से इंतजार था. 
वाराणसी के जिस नानक नगर की गली में सूर्य कुमार यादव ने क्रिकेट की पहली सीढ़ी चढ़ी और अपने पहले कोच अपने चाचा से पहली दीक्षा ली वहां खुशी की लहर दौड़ गई.

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क्रिकेट प्रेमी भी उत्साहित हो गए. वाराणसी में रहने वाले सूर्यकुमार के चाचा विनोद यादव का कहना है सूर्यकुमार एक अच्छा बल्लेबाज है. हमें काफी दिन से इस घड़ी का इंतजार था. उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि इंग्लैंड के खिलाफ भी सूर्यकुमार शानदार प्रदर्शन करेंगे. एक दूसरे को मिठाई खिलाकर वो अपनी ख़ुशी दर्शाते रहे हैं, दरअसल 2010 में सूर्यकुमार यादव को क्रिकेट में पहचान मिली. उन्होंने प्रथम श्रेणी का क्रिकेट मुम्बई के लिए खेला. दिल्ली के खिलाफ 89 गेंद पर 73 रन बनाकर चर्चा में आएं. 2010 में ही सैय्यद मुश्ताक अली ट्रॉफी में अंडर-22 में एक हजार से भी ज्यादा रन बनाए और एमए चिदम्बरम ट्रॉफी हासिल की. 2011-12 में सूर्यकुमार का चयन रणजी टॉफी के लिए हुआ. उड़ीसा के खिलाफ दोहरा शतक लगाकर सूर्य कुमार यादव अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. 2012 में आईपीएल में पहली बार उन्हें मुंबई इंडियंस ने खरीदा. 2013 तक मुंबई इंडियंस टीम का हिस्सा बने रहे. इसके बाद 2014 में केकेआर से जुड़े और मुंबई इंडियंस के खिलाफ 20 गेंदों में पांच छक्कों की मदद से 57 रन बनाए. बाद में केकेआर के उप कप्तान भी बने. उनके प्रदर्शन को देखते हुए मुम्बई इंडियंस ने उन्‍हें फिर से साल 2018 में 3.20 करोड़ की भारी भरकम राशि खर्च कर खरीद लिया. सूर्यकुमार यादव ने 2019 व 2020 में आईपीएल में मुंबई के लिए शानदार प्रदर्शन किया. देश के अलावा विदेशी खिलाड़ियों ने सूर्यकुमार की तारीफ की थी. अब जब सपना साकार हुआ है तब सूर्य कुमार यादव के चहेरे भाई ने बताया की सूर्य कुमार बहुत मजाकिया है और अपने खेल के प्रति सबसे ज्यादा उत्साहित रहते हैं. पूरी उम्मीद है की इंग्लैण्ड के खिलाफ उनका प्रदर्शन सबसे अच्छा होगा. वाराणसी में सूर्य कुमार के पड़ोसी भी बताते है की बचपन में ही क्रिकेट के प्रति उसका समर्पण देखकर लगता था की वो एक दिन जरूर आगे निकलेगा और आज वो दिन आ गया.