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धोनी को 'विष्णु अवतार' मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, कहा- माही ने जानबूझकर ऐसा नहीं किया

सुप्रीम कोर्ट ने आंध्रप्रदेश के अनंतपुर की निचली अदालत में महेंद्र सिंह धोनी खिलाफ धार्मिक भावना आहत करने के आरोप में चल रहे केस को रद्द कर दिया है।

Updated on: 20 Apr 2017, 04:58 PM

highlights

  • धोनी के खिलाफ साल-2013 में धार्मिक भावना भड़काने का मामला दर्ज हुआ था
  • कर्नाटक हाई कोर्ट ने 2015 में कहा था, 'धोनी और दूसरे सेलिब्रिटी को कुछ भी करते समय ध्यान रखना चाहिए'
  • धोनी को पत्रिका के कवर पेज पर कई हाथों वाले भगवान के रूप में दिखाया गया था

नई दिल्ली:

एक पत्रिका के कवर पेज पर भगवान विष्णु के रूप में महेंद्र सिंह धोनी की तस्वीर छापने और धार्मिक भावनाएं भड़काने के मामले में पूर्व भारतीय कप्तान को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है।

सुप्रीम कोर्ट ने आंध्रप्रदेश के अनंतपुर की निचली अदालत में उनके खिलाफ धार्मिक भावना आहत करने के आरोप में चल रहे केस को रद्द कर दिया है।

कोर्ट ने कहा कि धोनी ने जानबूझकर और दुर्भावना के साथ यह काम नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धोनी की कोई दुर्भावना नहीं थी। ऐसे में अगर उनके खिलाफ मुकदमे को जारी रखा जाता हैं, तो ये न्याय का मजाक उड़ाने जैसा होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने मैगजीन के एडिटर के खिलाफ चल रही कार्यवाही को भी ये कहते हुए रद्द कर दिया कि उनके खिलाफ धार्मिक भावनाएं को आहत करने का मामला नही बनता है।

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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में इसी से जुड़े मामले में बेंगलुरु की अदालत में धोनी के खिलाफ चले रहे मुकदमे को खारिज कर दिया था इस याचिका को समाजसेवी जयकुमार हिरेमाथ ने दायर किया था। याचिका में कहा गया था कि धोनी को एक बिजनेस पत्रिका में भगवान विष्णु के रूप में दिखाया गया था जिसमें वह जूतों समेत कई चीजें अपने हाथों में पकड़े हुए थे।

क्या था मामला...

एक बिजनेस मैगजीन के कवर पेज पर छपी तस्वीर में धोनी को विष्णु के रूप में दिखाया गया था। तस्वीर में उनके आठ हाथों में कई तरह के उत्पाद दिखाए गए थे। इनमें एक जूता भी शामिल था।

इसके चलते धोनी पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगा और देश के कई हिस्सों में उनके खिलाफ में आईपीसी की धारा 295 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ। 

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