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गांगुली ने कहा कि बीसीसीआई अध्यक्ष के लिए मेरा नाम देना जल्दबाजी होगा

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और बंगाल क्रिकेट संघ (सीएबी) के अध्यक्ष सौरभ गांगुली ने मंगलवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का अगला अध्यक्ष पद बनने की अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा कि इस संबंध में किसी निर्णय पर पहुंचना अभी जल्दबाजी होगी।

Updated on: 03 Jan 2017, 11:00 PM

कोलकाता:

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और बंगाल क्रिकेट संघ (सीएबी) के अध्यक्ष सौरभ गांगुली ने मंगलवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का अगला अध्यक्ष पद बनने की अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा कि इस संबंध में किसी निर्णय पर पहुंचना अभी जल्दबाजी होगी।

उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने एक दिन पहले ही बीसीसीआई के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू न करने के कारण बर्खास्त कर दिया। गांगुली ने कहा, 'अच्छा होगा कि इसके लिए मेरा नाम न दिया जाए। मेरा नाम लेने के पीछे कोई वजह नहीं है। अभी ऐसा कहना जल्दबाजी होगी।'

सर्वोच्च न्यायालय ने बीसीसीआई के शीर्ष पदाधिकारियों को बर्खास्त करने के बाद बोर्ड के कामकाज के संचालन के लिए अंतरिम व्यवस्था करने के साथ एमिकस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम और जाने माने वकील अनिल दीवान को पदाधिकारियों के नामों का सुझाव देने के लिए कहा है।

सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि लोढ़ा समिति की सिफारिशों को अपनाने को लेकर अड़ियल रुख रखने वाले संबद्ध राज्य संघों के पदाधिकारियों को भी पद छोड़ना होगा। इसके अलावा लोढ़ा समिति की सिफारिशों के प्रतिकूल अधिकारियों को भी बाहर जाना होगा।

गांगुली ने इस पर कहा कि किसी के पास लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने के सिवा कोई विकल्प नहीं है। गांगुली ने कहा, 'हमारे सामने कोई और विकल्प नहीं है। इसे लागू करने के सिवा किसी के पास कोई विकल्प नहीं है। अभी भी मेरा दो वर्ष का कार्यकाल बचा हुआ है। लोढ़ा समिति की सिफारिशों के अनुसार कोई अधिकारी एक बार में सर्वाधिक तीन वर्ष पद पर बना रह सकता है।'

लेकिन गांगुली के अलावा सीएबी के कई अन्य अधिकारियों को बाहर जाना पड़ सकता है, जो लोढ़ा समिति की अनुशंसाओं पर खरे नहीं उतरते। गांगुली ने कहा, 'मैंने बुधवार को शाम 5.0 बजे सभी अधिकारियों की एक बैठक बुलाई है। हम कोई रास्ता निकालेंगे। ऐसा नहीं है कि हमारे पास विकल्प नहीं है। हमें फिर से इसे लागू करना होगा, इसके सिवा कोई उपाय नहीं है।'