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SC ने सरकार से पूछा, लोढ़ा समिति की सिफारिशें दूसरे खेलों में लागू क्यों ना हो ?

न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति एन.वी. रामाना और न्यायमूर्ति डी.वाय. चन्द्रचूड़ की खंडपीठ ने याचिक पर केन्द्र सरकार की प्रतिक्रिया मांगी है।

Updated on: 23 Jan 2017, 11:46 PM

नई दिल्ली:

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) प्रशासनिक सुधार लाने के लिए लोढ़ा समिति की सिफारिशों को माने जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि अन्य खेल संस्थाओं में भी क्यों ना लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर अर्जुन पुरस्कार हासिल करने वाले खिलाड़ियों ने जो याचिका दायर की थी उस पर सुनवाई करते हुए पूछा है। इस याचिका में पूर्व हॉकी खिलाड़ी अशोक कुमार का नाम भी शामिल है।

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न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति एन.वी. रामाना और न्यायमूर्ति डी.वाय. चन्द्रचूड़ की खंडपीठ ने याचिक पर केन्द्र सरकार की प्रतिक्रिया मांगी है।

इस याचिका पर नोटिस देते हुए खंडपीठ ने इसे बीसीसीआई का मुद्दा भी बताया है। इसके अलावा अदालत ने भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) को इस मामले में नोटिस जारी किया है।

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एथलेटिक्स, हॉकी, क्रिकेट और अन्य खेलों के जाने-माने खिलाड़ियों ने मांग की है कि लोढ़ा समिति की कुछ सिफारिशों को अन्य खेल संघों में भी लागू किया जाए।

अशोक कुमार के अलावा हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यान चंद के बेटे के साथ-साथ एम.के. कौशिक, अश्विनी नाचप्पा, गुरबक्श सिंह ग्रेवाल, बलबीर सिंह ग्ररेवाल, बिशन सिंह बेदी, किर्ती आजाद, जोएकिम कारलाल्हो, वंदना राव, इडवर्ड स्केवरा, एस.एस नारायण, फुर्चुनेट फ्रांको, निशा मिलेट, प्रवीण थिपसे, भाग्यश्री थिपसे, रेखा बिधे शामिल है।

याचिका दायर करने वाले पूर्व खिलाड़ियों का कहना है कि लोढ़ा समिति की सिफारिशें की खेल प्रशासन में बड़े पैमाने पर जरूरत है ताकि राष्ट्रीय खेल महासंघों में एकता और पारदर्शिता लाने की जरूरत है।

याचिकाकर्ता ने अदालत ने कहा, 'राष्ट्रीय खेल महासंघों में अच्छे प्रशासन की सीधा संबंध भारत में खेल के विकास से है। साथ ही इसका संबंध भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार से भी है।'