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एमएस धोनी को सचिन तेंदुलकर ने दी सलाह और जीत लिया विश्व कप 2011, जानें क्या है पूरी कहानी

विश्व कप 2011 का फाइनल मैच तो आपको याद ही होगा. जब भारत ने श्रीलंका को फाइनल में हराकर 28 साल बाद विश्व कप ट्रॉफी पर कब्जा किया था.

Updated on: 05 Apr 2020, 02:33 PM

New Delhi:

विश्व कप 2011 का फाइनल मैच तो आपको याद ही होगा. जब भारत ने श्रीलंका को फाइनल में हराकर 28 साल बाद विश्व कप ट्रॉफी पर कब्जा किया था. उस विजय की नौवीं सालगिरह हमने अभी हाल ही में मनाई थी. उस मैच में आपको याद होगा कि पूरी सीरीज में पांचवे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए बाएं हाथ के खब्बू बल्लेबाज युवराज सिंह उतर रहे थे. वे उस विश्व कप में शानदार खेल दिखा रहे थे, लेकिन उस मैच में जब सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग के बाद विराट कोहली भी आउट हो गए तो युवराज सिंह को मैदान में उतरना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, उस मैच में अचानक पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए कप्तान एमएस धोनी आ गए थे. 

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यह फैसला अपने आप में गजब का था. उसके बाद एक छोर पर एमएस धोनी और दूसरे छोर पर गौतम गंभीर टीम इंडिया को जीत की ओर से ले गए और भारत ने उस मैच को जीत लिया था.
लेकिन अब सवाल यही है कि उस मैच में धोनी के पांचवे नंबर पर उतरने का फैसला किसने लिया था. कहने को तो कहा जा सकता है कि धोनी ने खुद ही यह फैसला लिया होगा कि वह खुद नंबर पांच पर उतरेंगे, लेकिन अब सचिन तेंदुलकर ने इस रहस्य से पर्दा उठा दिया है. सचिन तेंदुलकर ने बताया है कि उस मैच में धोनी पांचवें नंबर पर उतरें यह बात उन्होंने यानी सचिन ने ही कही थी. बाद में सचिन तेंदुलकर, एमएस धोनी, वीरेंद्र सहवाग और कोच गैरी क्रिस्टेन में चर्चा हुई तो इस पर सहमति बन गई और धोनी नंबर पांच पर बल्लेबाजी करने गए और मामला बन गया.

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दिग्गज भारतीय बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने कहा है कि 2011 विश्व कप के फाइनल में उन्होंने ही तब के कप्तान एमएस धोनी को एक स्थान ऊपर यानी पांचवें नंबर पर आकर बल्लेबाजी करने के लिए कहा था, ताकि गौतम गंभीर के साथ लेफ्ट-राइट का कॉम्बिनेशन कारगर हो सके. 2011 के विश्व कप फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ पांचवें नंबर पर बल्लेबाज के लिए शानदार फॉर्म में चल रहे युवराज सिंह को उतरना था, लेकिन सचिन तेंदुलकर को लगा कि श्रीलंका के पास दो शानदार स्पिनर हैं और उनके खिलाफ रन बनाने के लिए लेफ्ट राइट संयोजन का होना जरूरी है, इसलिए युवराज सिंह की जगह एमएस धोनी को ऊपर भेजने का फैसला किया गया.

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सचिन तेंदुलकर ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, तीसरे नंबर पर आए गौतम गंभीर उस मैच में शानदार बल्लेबाजी कर रहे थे. उनके साथ एमएस धोनी जैसा बल्लेबाज ही लगातार स्ट्राइक बदल सकता था. सचिन तेंदुलकर ने बातचीत के दौरान कहा कि तभी मैंने वीरू (वीरेंद्र सहवाग) से संदेशा भिजवाया. मैंने वीरू से कहा कि तुम ओवर के बीच में जाकर सिर्फ ये बात बाहर जाकर धोनी को बोल देना और अगला ओवर शुरू होने से पहले वापस आ जाना. मैं यहां से नहीं हिलने वाला.

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दिग्गज सचिन तेंदुलकर ने कहा, जैसा मैंने कहा था, वीरू ने वैसा ही किया. इसके बाद धोनी ड्रेसिंग रूम में लौट गए. यहां उन्होंने कोच गैरी कस्र्टन से इस रणनीति पर बात की. हमारे यानी सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग के आउट होने के बाद गैरी और धोनी समेत हम चारों ने मिलकर इस पर चर्चा की. गैरी को अटैकिंग के लिए लेफ्ट-राइट की रणनीति बेहतरीन लगी. धोनी भी इस पर राजी भी हो गए और पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए आए.

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एमएस धोनी के पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए आना भारत के लिए सही रहा. उन्होंने नाबाद 91 रन की पारी खेलकर भारत को विश्व कप जिताने में अहम योगदान दिया. इसमें गंभीर का भी अहम योगदान रहा और उन्होंने भी 97 रनों की मैच जिताउ पारी खेली थी. श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए छह विकेट पर 274 रन का स्कोर बनाया था, जिसे भारत ने चार विकेट खोकर हासिल कर लिया था.
एमएस धोनी पर बनी फिल्म एमएस धोनी अनटोल्ड स्टोरी में भी इस वाकये का जिक्र है, लेकिन इसमें सचिन तेंदुलकर का जिक्र नहीं है कि उन्होंने ही धोनी का सलाह दी थी कि धोनी पहले खेलने जाएं और युवराज सिंह को बाद में भेजा जाए.

(input ians)