बांसुरी वादक पंडित हरि प्रसाद चौरसिया ने सचिन तेंदुलकर का बिना नाम लिए उनको भारत रत्न दिए जाने का विरोध किया। किशोरी आमोनकर की याद में गुरुवार को जयपुर में एक संगीत संध्या आयोजित की गई जिसमे पद्मविभूषण से सम्मानित बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया ने प्रस्तुति दी।
इससे पूर्व मीडिया के सामने देश में कला व संस्कृति की स्थिति व उसको मिलने वाले सम्मान को लेकर चौरसिया का दर्द छलक उठा। इस दौरान उन्होंने कुछ विवादित सुर भी लगा दिए। चौरसिया ने भारत की रत्न की गरिमा को लेकर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि खेल से जुड़े एक बच्चे को भारत रत्न देने से इसकी गरिमा कम हुई है।
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जब पं. चौरसिया से पूछा गया कि क्या आप सचिन की बात कर रहे हैं तो वे केवल मुस्कुराए और चुप रहे।
उनका कहना था कि यह सम्मान उन उम्रदराज लोगों को दिया जाना चाहिए, जिन्होंने जिंदगी भर कला के लिए साधना की हो। वहीं चौरसिया ने कहा कि खेल में भी ऐसी कई हस्तियां हैं, जो सम्मान की हकदार हैं। इसलिए सरकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह सम्मान किसे दिए जा रहा है।
उन्होंने कहा, 'किशोरी अमोनकर मेरी बहन के समान थीं। मेरी उनके साथ ट्यूनिंग बहुत अच्छी थीं। वो जमाने भर के लोगों से गुस्सा करती थीं, लेकिन मेरे साथ उनका खास रिश्ता था। मैंने उनसे एक बार पूछा था कि वो इतना गुस्सा क्यों करती हैं? इससे संगीतज्ञों की छवि खराब होती है। उन्होंने कहा था कि मुझे प्रोग्राम के दौरान खलल पसंद नहीं है, इसलिए उस दौरान हमेशा गुस्से के तेवर में ही रहती हूं, ताकि लोग मेरे चिंतन में बाधा न डालें।'
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Source : News Nation Bureau
पंडित हरि प्रसाद चौरसिया ने सचिन तेंदुलकर पर कसा तंज, कहा भारत रत्न की गरिमा कम कर दी सरकार ने
बांसुरी वादक पंडित हरि प्रसाद चौरसिया ने सचिन तेंदुलकर का बिना नाम लिए उनको भारत रत्न दिए जाने का विरोध किया। किशोरी आमोनकर की याद में गुरुवार को जयपुर में एक संगीत संध्या आयोजित की गई।
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बांसुरी वादक पंडित हरि प्रसाद चौरसिया ने सचिन तेंदुलकर का बिना नाम लिए उनको भारत रत्न दिए जाने का विरोध किया। किशोरी आमोनकर की याद में गुरुवार को जयपुर में एक संगीत संध्या आयोजित की गई जिसमे पद्मविभूषण से सम्मानित बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया ने प्रस्तुति दी।
इससे पूर्व मीडिया के सामने देश में कला व संस्कृति की स्थिति व उसको मिलने वाले सम्मान को लेकर चौरसिया का दर्द छलक उठा। इस दौरान उन्होंने कुछ विवादित सुर भी लगा दिए। चौरसिया ने भारत की रत्न की गरिमा को लेकर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि खेल से जुड़े एक बच्चे को भारत रत्न देने से इसकी गरिमा कम हुई है।
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जब पं. चौरसिया से पूछा गया कि क्या आप सचिन की बात कर रहे हैं तो वे केवल मुस्कुराए और चुप रहे।
उनका कहना था कि यह सम्मान उन उम्रदराज लोगों को दिया जाना चाहिए, जिन्होंने जिंदगी भर कला के लिए साधना की हो। वहीं चौरसिया ने कहा कि खेल में भी ऐसी कई हस्तियां हैं, जो सम्मान की हकदार हैं। इसलिए सरकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह सम्मान किसे दिए जा रहा है।
उन्होंने कहा, 'किशोरी अमोनकर मेरी बहन के समान थीं। मेरी उनके साथ ट्यूनिंग बहुत अच्छी थीं। वो जमाने भर के लोगों से गुस्सा करती थीं, लेकिन मेरे साथ उनका खास रिश्ता था। मैंने उनसे एक बार पूछा था कि वो इतना गुस्सा क्यों करती हैं? इससे संगीतज्ञों की छवि खराब होती है। उन्होंने कहा था कि मुझे प्रोग्राम के दौरान खलल पसंद नहीं है, इसलिए उस दौरान हमेशा गुस्से के तेवर में ही रहती हूं, ताकि लोग मेरे चिंतन में बाधा न डालें।'
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