पाकिस्तानी क्रिकेटर पर रहा है तब्लीगी जमात का असर, आ चुके हैं दिल्ली मरकज

इस वक्त भारत में तब्लीगी जमात को लेकर हंगामा मचा हुआ है. कई लोग तो ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी में पहली बार इस जमात का नाम सुना होगा.

इस वक्त भारत में तब्लीगी जमात को लेकर हंगामा मचा हुआ है. कई लोग तो ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी में पहली बार इस जमात का नाम सुना होगा.

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Pankaj Mishra
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inzamam ul haq

pakistan cricket team( Photo Credit : gettyimages)

इस वक्त भारत में तब्लीगी जमात को लेकर हंगामा मचा हुआ है. कई लोग तो ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी में पहली बार इस जमात का नाम सुना होगा. लेकिन आप यह बात जानकार हैरान रह जाएंगे कि एक वक्त ऐसा भी था, जब पाकिस्तानी क्रिकेट टीम पर तब्लीगी जमाम का जबरदस्त असर था. तब के कप्तान खुद इंजमाम उल हक इसके मुरीद थे और अपने साथियों को भी इसके बारे में बताते थे. यह दौर तब का था, जब इंजमाम पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के कप्तान हुआ करते थे. इसके अलावा पूर्व सलामी बल्लेबाज सईद अनवर भी तब्लीगी जमात को माना करते थे. आपको बता दें कि एक दिन पहले ही तब्लीग़ी जमात के निजामुद्दीन स्थित मुख्यालय से 2300 से अधिक जमातियों को बाहर निकलकर अस्पताल भिजवाया गया था. 

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आइये आज जानते हैं तब्लीग़ी जमात दुनिया भर में कहां कहां फैला हुआ है. इनके बारे में कहा जाता है कि ये किसी सामाजिक या सांस्कृतिक काम मे हिस्सा नहीं लेते, इसलिए कहा जाता है कि ये जमीन नहीं बल्कि जमीन से 6 फिट नीचे या जमीन से ऊपर आसमान की ही बात करते हैं. इसके लिए खुद मुसलमानों का बड़ा तबका इनकी आलोचना भी करता है.

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तब्लीग जमात पूरी दुनिया में मुसलमानों का सबसे बड़ा संगठन है. 150 से ज़्यादा देशों में तब्लीग जमात से जुड़े लोग मौजूद हैं. भारत से बाहर, अमेरिका, यूके, यूरोप, मलेशिया, सऊदी अरब, यूएई, पाकिस्तान, बांग्लादेश समेत 150 देश मे तब्लीग जमात के लोग हैं. एक अंदाज़े के मुताबिक पूरी दुनिया मे इस जमात से 15 करोड़ लोग जुड़े हैं. ये जमात अभी कोरोना को लेकर विवादों में है.

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आपको याद होगा कि एक वक्त साल 2000 के बाद पाकिस्तानी क्रिकेटरों ने अपनी दाढ़ी बढ़ा ली थी और कोई भी बड़ा काम होने पर वे मैदान पर ही घुटनों के बल बैठकर जमीन चूम लिया करते थे. बताया जाता है कि यह सब तब्लीगी जमात के असर से ही मुमकिन हुआ था. पहले इंजमाम उल हक इस जमात से जुड़े इसके बाद सईद अनवर भी जुड़ गए. बताया तो यह भी जाता है कि इस जमात के असर के कारण पाकिस्तान के ईसाई क्रिकेटर यूसुफ योहाना मोहम्मद युसूफ बन गए थे. बताया तो यह भी जाता है कि इंजमाम उल हक और सईद अनवर कई बार दिल्ली की मरकज में आ चुके हैं. अभी इसी साल फरवरी में नेपाल में इज्तिमा हुआ था, जिसमें भारत, पाकिस्तान समेत दुनिया भर से 50 लाख से ज़्यादा लोग जुटे थे. ये जमात दूसरे धर्म के लोगों के बीच प्रचार प्रसार नहीं करती, बल्कि मुसलमानों को नमाज और धर्म पर चलने की बात करती है. कहा जाता है कि तबलीग़ जमात में वर्चस्व को लेकर अंदरूनी खींचतान चल रही थी, जिसकी वजह से ये जमात दो धड़ों में बंट चुका है.

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इस खींचतान की वजह जमात को लीड करने को लेकर है. मौलाना साद के दादा मौलाना इलियास ने इस जमात की स्थापना की थी, इसलिए मौलाना साद जमात पर अपना दावा ठोकते हैं, हालांकि जमात का कोई चीफ नहीं है,जमात का मजलिस शूरा है जो रणनीति बनाते हैं.
ये जमात बिना किसी प्रचार तंत्र के लोगों को जोड़ने की ताकत रखता है. बिना किसी पब्लिसिटी के मैन टू मैन कांटेक्ट से ये लाखों की भीड़ जमा कर सकते हैं. निज़ामुद्दीन में जिस जगह पर इसका मुख्यालय है. वहां रोज़ाना एक वक्त में 5000 से ज़्यादा लोग मौजूद होते हैं. सबका खाना वहीं बनता है. मुफ़्त खाना खिलाया जाता है. विदेश से जब कोई जमात भारत आती है तो सबसे पहले मरकज़ पहुंचती है. यहीं से उनका रुट तय किया जाता है. ज़रूरत के मुताबिक ट्रांसलेटर की व्यवस्था भी की जाती है

Source : News Nation Bureau

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