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नीरज चोपड़ा कोचिंग विवाद: नाइक ने एएफआई प्रमुख सुमरिवाला के बयान का खंडन किया

नीरज चोपड़ा कोचिंग विवाद: नाइक ने एएफआई प्रमुख सुमरिवाला के बयान का खंडन किया

Updated on: 10 Aug 2021, 06:00 PM

बेंगलुरू:

सेना के जवान से भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) में कोच बने काशीनाथ नाइक ने मंगलवार को एएएफआई अध्यक्ष आदिल सुमरिवाला के इस बयान का खंडन किया है कि उन्होंने ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा को कोचिंग नहीं दी है।

नाइक ने स्पष्ट किया, मैं अपने शब्दों पर कायम हूं। मैंने 2015 और 2017 के बीच नीरज चोपड़ा को कोचिंग दी। मैं नीरज चोपड़ा के सहायक कोच के रूप में पोलैंड गया था। गैरी कैल्वर्ट मुख्य कोच थे।

नाइक ने कहा, आदिल सुमरिवाला के बयान को जानकर (सुनकर) मुझे बहुत दुख हुआ कि वह मेरे बारे में कुछ नहीं जानते। मैं भाला फेंक के भारतीय इतिहास में 2010 में दिल्ली में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक हासिल करने वाला पहला व्यक्ति हूं।

नाइक ने कहा कि वह 2010 में ढाका में आयोजित दक्षिण एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता थे।

उन्होंने कहा, मैंने 2011 में विश्व सैन्य खेलों में चौथा स्थान हासिल किया था। मुझे कोई प्रचार नहीं चाहिए। मैंने इस बारे में नीरज चोपड़ा से बात की है।

नाइक ने कहा, भारत ओलंपिक में कुश्ती, मुक्केबाजी और अन्य खेलों में स्वर्ण पदक हासिल कर रहा है, एथलेटिक्स में हमें 2021 टोक्यो ओलंपिक तक स्वर्ण पदक के लिए इंतजार करना पड़ा। भारतीय कोचों को नीचा देखा जाता है।

नाइक ने एक दिन पहले ही आईएएनएस से बातचीत मे कहा था कि नीरज चोपड़ा आभार व्यक्त करने के लिए ूउनको को फोन करना नहीं भूले।

नाइक ने आईएएनएस को बताया, रविवार की सुबह नीरज ने मुझे फोन किया। उन्होंने कहा कि वह मेरे आशीर्वाद से यह उपलब्धि हासिल कर सके हैं।

कारगिल युद्ध से प्रेरित होकर नाइक 2000 में भारतीय सेना में शामिल हुए और भाला फेंक में 14 बार के राष्ट्रीय चैंपियन बने। 2011 में कंधे में चोट लगने के बाद नाइक ने कोचिंग की ओर रुख किया।

नाइक ने कहा, 2015 के बाद से नीरज कभी नहीं बदले हैं। उनकी प्रकृति अभी भी बरकरार है। आज भी, वह सकारात्मक भावना से सुझाव लेते हैं। अधिकांश पदक विजेता कोचों की उपेक्षा करने लगते हैं। लेकिन नीरज ने ऐसा नहीं किया।

नाइक ने याद किया कि जब चोपड़ा कैंप में शामिल हुए थे, तब उन्हें जिम ट्रेनिंग की जरूरत थी। उसके पास ताकत की कमी थी । चोपड़ा ने एक मिशन के साथ और अनुशासित तरीके से काम किया। वह अभ्यास के दौरान और विशेष रूप से तकनीकों पर प्रशिक्षण के दौरान किसी से बात नहीं करते थे, उनका ध्यान कभी नहीं हटता था।

चोपड़ा अपने प्रारंभिक दिनों से ही आश्वस्त थे और उनकी भावना और आत्मविश्वास के कारण उन्हें राष्ट्रीय शिविर के लिए चुना गया था।

कर्नाटक सरकार ने नाइक की सेवा को मान्यता देते हुए 10 लाख रुपये नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने गर्व से कहा कि राज्य ने भी चोपड़ा की उपलब्धि में योगदान दिया है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.