भारत का वो कांबली जो कभी टीम इंडिया के लिए नहीं खेला? घरेलू क्रिकेट में किया था बेहतरीन प्रदर्शन

Narayan Kambali: भारतीय क्रिकेट में कई खिलाड़ी ऐसे रहे हैं जिन्होंने डोमेस्टिक क्रिकेट के लेवल पर अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन टीम इंडिया में जगह नहीं बना सके. आइए जानें ऐसे ही एक खिलाड़ी के बारे में .

Narayan Kambali: भारतीय क्रिकेट में कई खिलाड़ी ऐसे रहे हैं जिन्होंने डोमेस्टिक क्रिकेट के लेवल पर अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन टीम इंडिया में जगह नहीं बना सके. आइए जानें ऐसे ही एक खिलाड़ी के बारे में .

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Anurag Tiwari
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Narayan kambli journey in domestic cricket never played for team india

Narayan kambli journey in domestic cricket never played for team india Photograph: (Narayan kambli Facebook)

Narayan Kambali: भारतीय क्रिकेट में कई खिलाड़ी आए, जिन्होंने डोमेस्टिक क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन कभी टीम इंडिया के लिए नहीं खेल पाए. ऐसा ही एक नाम है नारायण कांबली. विनोद कांबली की तरह उनका भी सरनेम कांबली है, लेकिन उनकी कहानी अलग है. विनोद कांबली जहां इंटरनेशनल क्रिकेट में चमके और फिर अनुशासनहीनता और शराब की लत के कारण अपना करियर खो बैठे, वहीं नारायण कांबली ने घरेलू क्रिकेट में अपनी पहचान बनाई, लेकिन कभी टीम इंडिया तक नहीं पहुंच सके.

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कौन हैं नारायण कांबली?

नारायण कांबली का जन्म 24 अक्टूबर 1967 को गोवा के रायबंदर में हुआ. उन्होंने 1992 में गोवा की टीम से क्रिकेट खेलना शुरू किया. वे मीडियम फास्ट बॉलर थे, जो जरूरत पड़ने पर बल्लेबाजी भी कर लेते थे.

कैसा रहा उनका क्रिकेट करियर?

नारायण कांबली ने अपने करियर में 39 फर्स्ट क्लास मैच और 20 लिस्ट ए मैच खेले. फर्स्ट क्लास क्रिकेट में नारायण कांबली नें 72 विकेट लिए और 192 रन बनाए. दो बार उन्होंने एक पारी में 5 विकेट भी लिए. वहीं बीत करें लिस्ट ए क्रिकेट में नारायण कांबली ने 19 विकेट लिए और 14 रन बनाए. नारायण कांबली का सबसे यादगार मैच 2006 में हिमाचल प्रदेश के खिलाफ था. इस मैच की पहली पारी में उन्होंने 26 ओवर में 58 रन देकर 5 विकेट लिए. दूसरी पारी में भी उन्होंने 1 विकेट लिया. हालांकि, उनकी टीम को यह मैच हारना पड़ा.

विनोद कांबली और नारायण कांबली में फर्क

जहां विनोद कांबली ने इंटरनेशनल क्रिकेट खेला और काफी नाम कमाया, वहीं नारायण कांबली ने सिर्फ घरेलू क्रिकेट खेला. विनोद का करियर उनकी गलतियों के कारण जल्दी खत्म हो गया, लेकिन नारायण ने अपने खेल को पूरी ईमानदारी और मेहनत से खेला.

नारायण कांबली का करियर भले ही इंटरनेशनल लेवल तक नहीं पहुंचा, लेकिन उन्होंने घरेलू क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ी. उनकी कहानी हमें सिखाती है कि मेहनत और ईमानदारी से किए गए काम की हमेशा तारीफ होती है, चाहे वह बड़े मंच तक पहुंचे या नहीं. ऐसे खिलाड़ियों को याद करना और उनकी मेहनत की सराहना करना जरूरी है.

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