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एमएस धोनी के लिए आज दिन है खास, 5 अप्रैल को लिखी गई थी धोनी के धोनी होने की कहानी

टीम इंडिया के पूर्व कप्तान एमएस धोनी, धोनी का नाम ही अपने आप में काफी है. धोनी की कप्तानी में भारत ने दो विश्व कप जीते, एक चैंपियंस ट्रॉफी जीती.

Updated on: 05 Apr 2020, 10:29 AM

New Delhi:

टीम इंडिया के पूर्व कप्तान एमएस धोनी, धोनी का नाम ही अपने आप में काफी है. धोनी की कप्तानी में भारत ने दो विश्व कप जीते, एक चैंपियंस ट्रॉफी जीती. इतना ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी लीग आईपीएल की ट्रॉफी भी धोनी ने अपनी कप्तानी में अपनी टीम चेन्नई सुपरकिंग्स को तीन बार चैंपियन बनाया. दो दिन पहले ही हमने विश्व कप 2011 जीत की सालगिरह मनाई थी, लेकिन आज का दिन यानी पांच अप्रैल का दिन धोनी की जिंदगी में खास मायने रखता है. 

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महेंद्र सिंह धोनी ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का आगाज 23 दिसंबर 2004 को किया था. वह मैच चटगांव में बांग्लादेश के खिलाफ खेला गया था, लेकिन उस मैच में धोनी बिना खाता खेले ही शून्य पर आउट हो गए थे. इसके बाद धोनी ने बांग्लादेश के ही खिलाफ दो और मैच खेले, उसमें धोनी ने 12 और सात रन की पारी खेली. लेकिन यह कुछ खास नहीं था. यानी बांग्लादेश खिलाफ तीन मैचों में धोनी महज 19 रन ही बना सके थे.

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इन तीन मैचों के बाद धोनी को पता ही नहीं था कि वे भारत के लिए आगे खेल भी पाएंगे या नहीं. लेकिन तब के कप्तान सौरव गांगुली ने एमएस धोनी पर भरोसा जताया और अप्रेल 2005 में जो पाकिस्तान के खिलाफ वन डे सीरीज खेली जानी थी, उसमें भी धोनी को टीम में शामिल करा लिया. इस तरह से धोनी को एक और सीरीज मिल गई. पाकिस्तान के खिलाफ पहला मैच कोच्चि में दो अप्रैल को खेला गया, धोनी की खराब बल्लेबाजी यहां भी जारी रही. वे इस मैच में भी तीन रन ही बना सके और आउट हो गए. लेकिन सौरव गांगुली का भरोसा धोनी पर कायम था. उसके बाद आई वह ऐतिहासिक तारीख. यानी पांच अप्रैल 2005 का दिन.

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पाकिस्तान के खिलाफ विशाखापट्टम में दूसरा वन डे मैच हुआ. भारत के कप्तान सौरव गांगुली ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी का फैसला किया. भारत की ओर से सलामी जोड़ी के रूप में वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर क्रीज पर पहुंचे. लेकिन सचिन तेंदुलकर इस मैच में ज्यादा कुछ नहीं कर सके और आठ गेंद में दो ही रन बनाकर आउट हो गए. इसके बाद उम्मीद थी कि कप्तान सौरव गांगुली बल्लेबाजी के लिए आएंगे, लेकिन मैदान में उतरते हुए दिखाई दिए एमएस धोनी. धोनी को मैदान में आता देख सभी हैरत में थे. जो बल्लेबाज अभी चार ही मैच खेला था और उसमें भी फ्लॉप रहा था, वह बल्लेबाजी के लिए आए तो आश्चर्य तो होगा ही. लेकिन धोनी के लिए आज का दिन खास होने वाला था. पहली बार कप्तान सौरव गांगुली ने अपनी जगह छोड़कर नंबर तीन पर खेलने के लिए भेजा था. धोनी ने पहले तो संभलकर खेला, लेकिन जैसे ही उन्हें गेंद और पिच की जानकारी लगी, उन्होंने पाकिस्तानी गेंदबाजों की बखिया उधेड़नी शुरू कर दी.

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धोनी ने पहले अपना अर्धशतक पूरा किया, उसके बाद शतक पूरा किया और उसके बाद भी रुके नहीं. दूसरे छोर से बल्लेबाज आते जाते रहे, लेकिन धोनी एक छोर पर धुआंधार पारी खेलते रहे. धोनी ने उस दिन 123 गेंदों में 148 रन की पारी खेली. धोनी ने 15 चौके और चार आसमानी छक्के जड़े. उनका स्ट्राइक रेट करीब 120 का रहा. धोनी उस दिन पूरी दुनिया में छा गए और धोनी ने बता दिया कि सौरव गांगुली ने उन पर जो भरोसा किया है, वह गलत नहीं था. बस मौका मिलने की देरी थी, मौका मिला तो उन्होंने खुद को साबित कर दिया.

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आपको यह भी बता दें कि एक बार सौरव गांगुली ने बताया भी था कि उस दिन जब टॉस के बाद वे मैदान से वापस आ रहे थे, तो उन्होंने सोच लिया था कि अगर आज पहला विकेट जल्द गिर गया तो धोनी को सातवें नहीं, बल्कि तीसरे नंबर पर भेजा जाएगा. हुआ भी ऐसा ही सचिन तेंदुलकर जल्दी आउट हो गए और उसके बाद धोनी क्रीज में पहुंच गए. यह धोनी का पहला शतक तो था ही उस दिन के बाद आलोचकों के मुंह भी बंद हो गए और फिर धोनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.