साल 2011, दिन 2 अप्रैल..ठीक 6 साल पहले मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले जा रहे मैच में धोनी के बल्ले से निकला छक्का और भारत बना गया विश्व विजेता। ये वहीं दिन हैं जब भारत ने दूसरी बार विश्व विजेता बनाने का गौरव प्राप्त किया और धोनी के रणबांकुरों ने इतिहास रच डाला।
आज का दिन भारत के लिए किसी त्योहार से कम नहीं था। 2011 क्रिकेट वर्ल्ड कप का फाइनल दोनों मेजबानों श्रीलंका और भारत के बीच वानखेड़े स्टेडियम, मुंबई में 2 अप्रैल 2011 को खेला गया। ये क्रिकेट के इतिहास में पहली बार हो रहा था कि उप-महाद्वीप की दो टीमें फाइनल में थीं। भारत और श्रीलंका न सिर्फ कागज पर बल्कि मैदान पर भी श्रेष्ठ टीमें थी।
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टॉस नहीं आया काम
श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। श्रीलंका मे 50 ओवर में 6 विकेट पर 274 रन बनाए। भारत को जीतने के लिए 275 रन का टारगेट मिला। वहीं भारत की शुरुआत भी खास नहीं रही। दोनों सलामी बल्लेबाज सहवाग और सचिन मलिंगा का शिकार हो गए। लेकिन विराट और गंभीर ने शतकीय साझेदारी से पारी को संभाला। विराट के आउट होने के बाद कप्तान धोनी ने खुद को प्रमोट करते हुए ऊपर बल्लेबाजी करने आए। इसके बाद युवराज सिंह ने कैप्टन कूल का साथ मैच के अंत तक देकर इंडिया को विजय दिलाई।
छक्का मार टीम को बनाया चैंपियन
जब मैच जीतने के लिए 11 गेंदों पर 4 रन की दरकार थी, धोनी ने वही किया जो वे बखूबी करते रहे हैं। उन्होंने नुवान कुलसेकरा की गेंद को लांग ऑन के ऊपर से एक शानदार छक्के के लिए खेल दिया। भारत ने लंका को 6 विकेटों से मात दे दी और 28 सालों के लंबे इंतजार के बाद एक बार फिर भारत ने वर्ल्ड कप अपने नाम किया।
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टूटे कई रिकॉर्ड
- भारत ऐसी पहली मेजबान टीम थी जिसने अपने ही होम ग्राउंड पर खेलते हुए वर्ल्ड कप को अपनी मुठ्ठी में किया। इससे पहले कोई भी टीम अपनी धरती पर ऐसा कारनामा नहीं कर पाई थी।
- फाइनल में शतक बनाने वाली टीम ही जीतती थ। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ जब शतक बनाने वाली टीम को जीत हासिल नहीं हुई।
- क्रिकेट के इतिहास में पहली बार हो रहा था कि उप-महाद्वीप की दो टीमें फाइनल में थीं।
Source : News Nation Bureau