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एलबीडब्लू जिसने कुंबले को बनाया महाराथी तो सचिन को फिसड्डी

सचिन तेंदुलकर 63 बार पगबाधा आउट हुए हैं।

Updated on: 28 Dec 2016, 11:42 PM

नई दिल्ली:

क्रिकेट में आउट होने के कुल 10 तरीके हैं और हर बल्लेबाज मुख्यत: नौ तरीकों से हमेशा आउट होता है। एक बचता है टाइम आउट जिसका शिकार बहुत ही कम बल्लेबाज हुए हैं। आउट होने के तरीकों में पगबाधा होना आम बात है, लेकिन भारत के दो खिलाड़ी इसका शिकार करने और शिकर होने में टेस्ट क्रिकेट में अव्वल रहे हैं। टेस्ट में सबसे अधिक बार पगबाधा होने का रिकार्ड जहां दुनिया के सार्वकालिक महानतम बल्लेबाजों में शुमार सचिन तेंदुलकर के नाम है तो वहीं अनिल कुंबले ने टेस्ट क्रिकेट में पगबाधा के जरिए सबसे अधिक विकेट अपने खाते में डाले हैं।

सचिन तेंदुलकर 63 बार पगबाधा आउट हुए हैं। उनके बाद वेस्टइंडीज के शिवनारायण चंद्रपॉल और इंग्लैंड के ग्राहम गूच का नाम आता है। दोनों क्रमश: 55 और 50 बार टेस्ट क्रिकेट में पगबाधा आउट हुए हैं।

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गूच के बाद इंग्लैंड के मौजूदा कप्तान एलिस्टर कुक हैं। वह 47 बार पगबाधा आउट हुए हैं। सबसे ज्यादा पगबाधा आउट होने वाले शीर्ष 10 खिलाड़ियों की सूची में पाकिस्तान के बल्लेबाज यूनिस खान कुक के बाद दूसरे बल्लेबाज हैं जो अभी भी खेल रहे हैं। यूनिस इस सूची में सातवें स्थान पर हैं। वह टेस्ट में अब तक कुल 43 बार पगबाधा आउट हुए हैं।

वहीं गेंदबाजों में पगबाधा के जरिए शिकार करने में कुंबले सबसे आगे हैं। कुंबले ने टेस्ट क्रिकेट में कुल 619 विकेट लिए हैं, जिनमें से 156 विकेट उन्होंने पगबाधा के जरिए लिए हैं। उनके बाद मुथैया मुरलीधन का नंबर आता है, जिन्होंने अपने रिकॉर्ड 800 विकेटों में से 150 विकेट पगबाधा से हासिल किए हैं। तीसरे नंबर पर आस्ट्रेलिया के शेन वार्न हैं जिन्होंने अपने कुल 708 विकटों में से 138 विकेट पगबाधा से लिए हैं।

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हर खिलाड़ी पगबाधा का शिकार होता है। लेकिन विश्व क्रिकेट में ऐसा भी बल्लेबाज हुआ है जो अपने करियर में कभी पगबाधा हुआ ही नहीं। वो हैं आस्ट्रेलिया के जोए डार्लिग।

जोए ने 1884 से 1905 के बीच आस्ट्रेलिया के लिए कुल 34 टेस्ट मैच खेले, लेकिन वह कभी भी पगबाधा आउट नहीं हुए। वहीं उन्हीं के हमवतन क्लैम हिल 89 पारियों में सिर्फ एक बार पगबाधा आउट हुए हैं।