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बीसीसीआई पर SC के आदेश पर बोले जस्टिस लोढ़ा 'कानून की अवमानना करने का यही नतीजा होता है'

सुप्रीम कोर्ट के भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष पद से अनुराग ठाकुर और सचिव अजय सिर्के को पद से हटा दिया।

Updated on: 02 Jan 2017, 01:52 PM

नई दिल्ली:

लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू करने में हो रही आना-कानी के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष पद से अनुराग ठाकुर और सचिव अजय सिर्के को पद से हटा दिया।इस कठोर कार्रवाई के पीछे जस्टिस राजेंद्र मल लोढ़ा हैं, जिनकी सिफ़ारिशों और रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने ये कदम उठाया।

लोढ़ा ने इस फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि ये फैसला तार्किक है। जस्टिस लोढ़ा ने कहा,'ये तो होना ही था, और अब ये हो गया. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष 3 रिपोर्टों प्रस्तुत किया था, फिर भी इसे एकदम लागू नहीं किया गया।'

जस्टिस लोढ़ा ने कहा कि बीसीसीआई अगर समिति के सुधारों को स्वीकार कर लेना चाहिए था। जस्टिस लोढ़ा ने कहा,'सुप्रीम कोर्ट के 18 जुलाई के आदेश में स्वीकार किए गए कमेटी के सुधारों को मान लेने के बाद इन्हें लागू किया जाना चाहिए था, ये फैसला न्याय संगत नतीजा है।'

बीसीसीआई पर कोर्ट के आदेश को ना मानने का आरोप लगाते हुए जस्टिस लोढ़ा ने कहा,'सभी को ये समझना चाहिए कि एक बार अगर सुप्रीम कोर्ट का आदेश आ गया, यह सभी के द्वारा पालन किया जाना पड़ता है, कानून की महिमा ने अपना काम किया।

इस फैसले को ऐतिहासिक बनाते हुए जस्टिस लोढ़ा ने कहा कि ये क्रिकेट के खेल की जीत है और ये बढ़ेगी, प्रशासक आते और चले जाते है लेकिन ये खेल की फायदे के लिए होता है

ये फैसला क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों के संघों के लिए भी एक सबक है। जस्टिस लोढ़ा ने कहा,'अनुराग ठाकुर और शिर्के को हटाने का सु्प्रीम कोर्ट का आदेश अन्य खेल संघों के लिए उदाहरण की तरह काम करेगा।'

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट लोढ़ा समिति को लेकर BCCI को कई बार आदेश दे चुका था, कि वह समिति की सभी सिफारिशों को माने लेकिन BCCI अपनी जिद पर अड़ा हुआ था।