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IND vs WI: टीम इंडिया के लिए संकटमोचक बने अजिंक्य रहाणे ने दिया बड़ा बयान, बोले- मैं मतलबी नहीं हूं

रहाणे ने गेंद को शरीर के करीब खेलने की तकनीक पर काम किया. इससे सीमिंग विकेट पर उन्हें तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने का मौका मिला.

Updated on: 23 Aug 2019, 10:06 AM

एंटीगुआ:

अजिंक्य रहाणे जब बल्लेबाजी करने आए उस समय भारत का स्कोर तीन विकेट पर 25 रन था. वेस्ट इंडीज के खिलाफ पहले टेस्ट में उनकी टीम संकट में थी. ऐसे समय पर उन्होंने 81 रनों की पारी खेलकर टीम को मुश्किल हालातों से बाहर निकाला. रहाणे भले ही शतक नहीं बना पाए लेकिन टीम के लिए उपयोगी पारी खेलने की उन्हें खुशी है. दो साल पहले रहाणे ने टेस्ट क्रिकेट में सेंचुरी लगाई थी लेकिन गुरुवार को उससे चूकने को लेकर उन्हें मलाल नहीं है. रहाणे का कहना है कि वह 'स्वार्थी' नहीं हैं. रहाणे जानते थे कि शतक से चूकने का सवाल उनसे जरूर पूछा जाएगा.

रहाणे ने अपना आखिरी शतक श्रीलंका के खिलाफ 2017 में बनाया था. दिन का खेल समाप्त होने तक भारत का स्कोर छह विकेट पर 203 रन था. रहाणे ने दिन का खेल समाप्त होने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'जब तक मैं क्रीज पर होता हूं तब तक सिर्फ टीम के बारे में सोचता हूं, मैं स्वार्थी नहीं हूं. तो हां, मुझे शतक से चूकने का कोई दुख नहीं है क्योंकि मुझे लगता है कि इस विकेट पर 81 रनों की पारी भी काफी थी और हम अब इस टेस्ट में ठीकठाक पोजिशन पर हैं.'

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शतक बनाना अच्छा होता लेकिन परिस्थिति के अनुसार खेलना ज्यादा मायने रखता है. रहाणे ने कहा, 'जब तक मैं टीम के लिए योगदान कर कर रहा हूं यह ज्यादा मायने रखता है. हां, मैं अपने शतक के बारे में सोच रहा था लेकिन जिस टीम की परिस्थिति 25 रन पर तीन विकेट जरा मुश्किल थी. जैसा मैंने कहा, मैं सिर्फ टीम के लिए अच्छा प्रदर्शन करना चाहता था. मैं अपने शतक के बारे में ज्यादा चिंतित नहीं था क्योंकि परिस्थिति के अनुसार खेलते हुए अपने आप बन जाता.'

31 वर्षीय इस बल्लेबाज ने कुछ महीने इंग्लिश काउंटी हैम्पशायर के लिए क्रिकेट खेला. उन्होंने काउंटी के लिए सात मैच खेलते हुए एक शतक और एक हाफ सेंचुरी लगाईं. मुंबई के इस बल्लेबाज को लगता है कि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि क्या काउंटी में खेलने का उन्हें फायदा मिला है अथवा नहीं लेकिन बेशक इससे कुछ अच्छी बैटिंग प्रैक्टिस मिल गई. रहाणे ने कहा, 'देखिए, काउंटी के लिए खेलना महत्वपूर्ण होता है. जब मेरा चयन विश्व कप की टीम के लिए नहीं हुआ तब मैंने काउंटी के लिए खेलने का फैसला किया. मैं उन दो महीनों को इस्तेमाल करना चाहता था और इस दौरान मैंने सात काउंटी मैच खेले. मैं अपनी बल्लेबाजी के कुछ क्षेत्रों पर काम करना चाहता था.'

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रहाणे ने गेंद को शरीर के करीब खेलने की तकनीक पर काम किया. इससे सीमिंग विकेट पर उन्हें तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने का मौका मिला. उन्होंने कहा, 'जब आप इंग्लैंड में ड्यूक बॉल से खेलते हैं तो आपको शरीर के नजदीक खेलना पड़ता है. मैं नंबर तीन पर बल्लेबाजी कर रहा था और किस्मत से मुझे नई गेंद खेलने को मिल रही थी. उन दो महीनों का मैंने बहुत अच्छा इस्तेमाल किया लेकिन यह कहना जल्दबाजी होगी कि काउंटी में खेलने का मुझे क्या फायदा हुआ. लेकिन वहां जाकर थोड़ी प्रैक्टिस करना मेरे लिए अच्छा रहा.'

मैच के नजरिये से देखें तो रहाणे और केएल राहुल के बीच हुई 68 रनों की साझेदारी काफी महत्वपूर्ण रही. रहाणे ने कहा, 'उन परिस्थितियों में सकारात्मक रहना बहुत जरूरी था. पूरे दिन उन्होंने बहुत अच्छी गेंदबाजी की. उन हालात में राहुल के साथ साझेदारी बहुत जरूरी थी. हम बहुत आगे की नहीं सोच रहे थे. हमारा लक्ष्य सिर्फ एक गेंद के बारे में सोचकर खेलना था.'