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IND vs AUS : प्रवीण कुमार ने बताई ऑस्‍ट्रेलियाई बल्‍लेबाजों की कमजोरी 

आईपीएल 2020 के बाद अब टीम इंडिया ऑस्‍ट्रेलिया के दौरे पर है. ऑस्‍ट्रेलिया का दौरा और वहां की पिच पर खेलना हर टीम के लिए मुश्‍किल होता है. ऐसा ही टीम इंडिया के भी साथ होता है.

Updated on: 22 Nov 2020, 07:00 PM

नई दिल्‍ली :

आईपीएल 2020 के बाद अब टीम इंडिया ऑस्‍ट्रेलिया के दौरे पर है. ऑस्‍ट्रेलिया का दौरा और वहां की पिच पर खेलना हर टीम के लिए मुश्‍किल होता है. ऐसा ही टीम इंडिया के भी साथ होता है. अब तक के आंकड़े देखें तो भारतीय टीम ऑस्‍ट्रेलिया में बहुत ज्‍यादा सफल नहीं हो पाई है. लेकिन जब भी भारत और ऑस्‍ट्रेलिया के मैचों की बात होती है तो साल 2008 में खेली गई त्रिकोणीय सीरीज की बात जरूर आती है, जब भारत ने शानदार खेल दिखाते हुए ऑस्‍ट्रेलिया को पीटा था. तब भारत की ओर से तेज गेंदबाज प्रवीण कुमार ने शानदार गेंदबाजी की थी. अब एक बार फिर जब ऑस्‍ट्रेलिया से सीरीज खेली जानी है तो प्रवीण कुमार ने उस सीरीज के संबंध में एक खास बात बताई है. 

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भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व तेज गेंदबाज प्रवीण कुमार ने 2008 में ऑस्ट्रेलिया में खेली गई त्रिकोणीय सीरीज में भारत को जीत दिलाने में अहम रोल निभाया था. तेज गेंदबाज प्रवीण कुमार ने कहा है कि वह बल्लेबाज के पैर और शारीरिक भाषा को देखकर ही उसे परख लेते थे. भारत को सीरीज जीतने के लिए तीन में से दो फाइनल जीतने थे. पहला मैच उसने जीत लिया था. दूसरे मैच में सचिन तेंदुलकर की शानदार 91 रनों की पारी के दम पर उसने आस्ट्रेलिया के सामने 258 रनों का लक्ष्य रखा था. आस्ट्रेलिया के खिलाफ जिस तरह की बल्लेबाजी लाइन अप थी उसे देखते हुए यह लक्ष्य कम था.

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प्रवीण कुमार ने इस मैच में ऑस्ट्रेलिया के मुख्य बल्लेबाजों एडम गिलक्रिस्ट, रिकी पोंटिंग और माइकल क्लार्क के विकेट लिए थे. वहां से ऑस्‍ट्रेलियाई टीम कभी वापसी नहीं कर सकी और भारत ने नौ रनों से मैच अपने नाम किया. प्रवीण ने आईएएनएस से कहा कि मैं आपसे यह कह सकता हूं कि मैं बल्लेबाज के पैर और शारीरिक भाषा से उसको परख सकता हूं. उस समय (ब्रिस्बेन 2008) मैं बस उस कला को दर्शा रहा था जो मेरे पास थी. प्रवीण ने उस मैच में 46 रन देकर चार विकेट लिए थे जिसके कारण वह मैन ऑफ द मैच भी चुने गए.

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प्रवीण ने कहा कि उन्होंने सपोर्ट स्टाफ की मदद से बल्लेबाजों को लेकर होमवर्क किया था. उन्होंने महानतम बल्लेबाजों में से एक और आस्ट्रेलिया के उस समय के विकेटकीपर एडम गिलक्रिस्ट के खिलाफ बनाई गई रणनीति के बारे में कहा, गिलक्रिस्ट पैदल था ऊपर वाली गेंद पर. पोंटिंग के बारे में कहते थे कि वह अच्छा पुल मारता है. इसलिए मैंने कहा इसको पुल पर ही निकालना है. उन्होंने कहा, जो एक इंसान की ताकत होती है वो उसकी कमजोरी भी होती है. मैंने छोटी गेंदें फेंकी, उन्होंने पुल की और शॉर्ट मिड ऑन पर कैच हो गया. मैंने पोंटिंग को तीन बार आउट किया. एक बार नागपुर में, वहां उसे पता था कि गेंद पैड पर पड़ी तो आउट है. यह बल्लेबाज को जानने की बात होती है. आप बल्लेबाज को उसके खेलने के तरीके से जान सकते हो. आपको उसके लिए दिमाग की जरूरत है. रिकी पोंटिंग के मामले में मैंने सोचा कि मैं शॉर्ट गेंद का इस्तेमाल करता हूं.

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प्रवीण हालांकि क्लार्क को आउट करने में भाग्यशाली साबित हुए थे. उन्होंने कहा, मैंने गेंद दबाई (बाउंस कराने की कोशिश) और वो बैठ गई (नीची रह गई). मैं वहां थोड़ा भाग्यशाली रहा. पिच ने मुझे इसमें मदद की. लेकिन मैंने जिस तरह से गिलक्रिस्ट को आउट किया उस पर मुझे गर्व है. जब गेंदबाज अपने हाथ और दिमाग का इस्तेमाल करता है, वह सोकर उठने के बाद भी गेंदबाजी कर सकता है. आप स्वाभाविक तौर पर गुडलैंग्थ गेंद पर ही गेंदबाजी करोगे. भगवान की कृपा से मैंने इतना अभ्यास किया था कि अगर मैं सोकर भी आऊंगा तो गेंदबाजी कर सकता था. उस रात गाबा में प्रवीण ने भारत को अपनी कला और योग्यता से इतिहास रचने में मदद की थी.

(इनपुट आईएएनएस)