Ashes से पहले ICC ने दिया बड़ा तोहफा, सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी को लेकर बदला नियम, जानें कितना बदला खेल

इस नियम के तहत अगर मैदान पर कोई खिलाड़ी चोटिल हो जाता है, तो उसके स्थान पर आने वाला स्थापन्न खिलाड़ी अब बल्लेबाजी के साथ-साथ गेंदबाजी भी कर सकेगा.

इस नियम के तहत अगर मैदान पर कोई खिलाड़ी चोटिल हो जाता है, तो उसके स्थान पर आने वाला स्थापन्न खिलाड़ी अब बल्लेबाजी के साथ-साथ गेंदबाजी भी कर सकेगा.

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vineet kumar1
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Ashes से पहले ICC ने दिया बड़ा तोहफा, सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी को लेकर बदला नियम, जानें कितना बदला खेल

सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी भी कर सकेगा गेंदबाजी-बल्लेबाजी, ICC ने बदला नियम

अगस्त में ऑस्ट्रेलिया (Australia) और इंग्लैंड के बीच शुरू हो रही एशेज श्रंखला से सब्स्टीट्यूट (स्थापन्न) खिलाड़ी को लेकर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी (ICC)) ने एक नया नियम लागू कर दिया है. इस नियम के तहत अगर मैदान पर कोई खिलाड़ी चोटिल हो जाता है, तो उसके स्थान पर आने वाला स्थापन्न खिलाड़ी अब बल्लेबाजी के साथ-साथ गेंदबाजी भी कर सकेगा. इंटरनैशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी (ICC)) ने यह गुरुवार को इस बात की जानकारी दी. इस नियम को गवर्निंग बॉडी के प्लेइंग कंडीशंस में शामिल कर लिया है.

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अंतरराष्ट्रीय और घरेलू क्रिकेट के हर फॉर्मेट में पुरुष और महिला टीमों को मैच के दौरान 'कॉनकस्ड प्लेयर' (सिर में लगी चोट का खिलाड़ी) को रिप्लेस करने की अनुमति मिल जाएगी. यह नियम इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया (Australia) के बीच 1 अगस्त से शुरू हो रही एशेज सीरीज से लागू किया जाएगा.

कॉनकशन पर फैसला टीम के मेडिकल प्रतिनिधि द्वारा लिया जाएगा जबकि चोटिल प्लेयर की जगह आने वाला प्लेयर जिसे बल्लेबाजी और गेंदबाजी करनी है, उसे मैच रेफरी द्वारा स्वीकृत किया जाएगा.

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गौरतलब है कि 2019 वर्ल्ड कप में दक्षिण अफ्रीका (South Africa) के हाशिम अमला और फिर ऑस्ट्रेलिया (Australia) के एलेक्स कैरी अलग-अलग मैचों में जोफ्रा आर्चर की गेंद पर चोटिल हो गए थे. अमला ने तो मैदान छोड़ दिया था, जबकि एलेक्स कैरी ने चोटिल होने के बावजूद चेहरे पर पट्टी बांध कर मैच खेला था.

आईसीसी (ICC) ने अपने लंदन में हुए वार्षिक सम्मेलन के बाद बताया, 'घरेलू क्रिकेट में 2 साल के ट्रायल के बाद आईसीसी (ICC) ने पुरुष और महिलाओं के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट और दुनियाभर में खेले जाने वाले फर्स्ट क्लास क्रिकेट में कॉनकस्ड प्लेयर के रिप्लेसमेंट को मंजूरी दे चुका है.'

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर फिल ह्यूज की दर्दनाक मौत ने आईसीसी (ICC) को गेंद के सिर में चोट लगने से होने वाले मस्तिष्काघात से तात्कालिक और लंबी अवधि के प्रभावों पर जागरुकता लाने के लिए प्रेरित किया.

आईसीसी (ICC) ने 2017 में घरेलू स्तर पर परीक्षण के तौर पर सिर में लगने वाली चोट से बेहोशी आने पर कॉनकशन सबस्टिट्यूट खिलाड़ी उतारने की शुरुआत की थी.

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क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (Australia) ने 2016-17 सत्र से मेंस और विमिंस वनडे कप और बीबीएल तथा विमिंस बीबीएल में इस तरह के स्थानापन्न खिलाड़ी उतारने की व्यवस्था की थी, लेकिन शैफील्ड शील्ड में इसे लागू करने के लिए उसे मई 2017 तक आईसीसी (ICC) की मंजूरी का इंतजार करना पड़ा था.

Source : News Nation Bureau

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