आईसीसी वर्ल्ड कप-2011 में टीम इंडिया के सदस्य रहे गौतम गंभीर ने कहा है कि उन्हें हमेशा से पूरा विश्वास था कि भारत मैच जीत सकता है। टीम इंडिया ने दो अप्रैल 2011 को वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए फाइनल मैच में श्रीलंका को मात देकर 28 साल बाद महेंद्र सिंह धौनी की कप्तानी में विश्व विजेता का तमगा हासिल किया था।
गंभीर ने उस फाइनल मैच में 122 गेंदों में 97 रनों की बेहतरीन और मैच जीताऊ पारी खेली थी।
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की अपनी टीम कोलकाता नाइट राइडर्स की वेबसाइट ने गंभीर के हवाले से लिखा है कि कई बार अच्छी शुरुआत आपको मैदान पर टिके रहने में मदद करती है।
गंभीर ने कहा, 'लसिथ मलिंगा की पहली गेंद पर मैंने चौका मारा था। कई बार आप इस तरह की शुरुआत के बाद राहत महसूस करते हैं। वह घबराहट इसलिए थी क्योंकि वह एक अंतर्राष्ट्रीय मैच था ना कि इसलिए कि वह विश्व कप फाइनल था।'
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उन्होंने कहा, 'वह जीत एक-दो खिलाड़ियों के कारण नहीं थी बल्कि ड्रेसिंग रूम में मौजूद उन सभी लोगों के कारण थी जिन्हें जीत पर विश्वास था। आप अपने घर में विश्व कप का फाइनल खेल रहे होते हैं, इससे बड़ा मंच आपके लिए कुछ नहीं हो सकता। आप नहीं जानते कि आपको ऐसा मौका वापस मिलेगा या नहीं।'
गंभीर ने कहा कि जब दूसरी गेंद पर वीरेंद्र सहवाग आउट हुए तब वह तैयार भी नहीं हुए थे
कोलकाता के कप्तान ने कहा, 'हम 275 रनों का पीछा कर रहे थे। जब वीरू आउट हुए तब मैं तैयार भी नहीं हुआ था। मैं पैड पहन रहा था चूंकि फैसला डीआरएस पर निकलना था इसलिए मुझे तैयार होने का समय मिल गया।'
उन्होंने कहा, 'अच्छी चीज यह थी कि मेरे दिमाग में कुछ नहीं चल रहा था। अगर मुझे अपने मौके के लिए इंतजार करना होता तो मेरे दिमाग में काफी कुछ चीजें आतीं।'
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भारत ने सहवाग और सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली के रूप में अपने तीन प्रमुख विकेट खो दिए थे। यहां से गंभीर ने कप्तान धौनी के साथ चौथे विकेट के लिए 109 रनों की साझेदारी कर टीम को लक्ष्य के करीब पहुंचाया।
उस विश्व कप टीम का हिस्सा रहे लेग स्पिनर पीयूष चावला ने कहा कि उन्होंने उस रात भारतीय टीम की जर्सी नहीं उतारी थी और पूरी रात जर्सी तथा पदक के साथ सोए थे।
चावला ने कहा, 'जब सम्मान समारोह चल रहा था, मंच पर ही शैम्पेन की बोतल खुल गई थी। मैं शैम्पेन में नहा चुका था। हालांकि मैं पीता नहीं हूं लेकिन फिर भी मुझे लग रहा था कि मैंने पी रखी है। मैंने उस रात भारतीय टीम की जर्सी नहीं उतारी।'
उन्होंने कहा, 'मैंने उस पर सभी के हस्ताक्षर लिए और फिर उसे तथा पदक पहने ही सोने चला गया।'
पीयूष ने इस रात को अविश्वसनीय रात बताया।
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भारत ने छह विकेट से श्रीलंका को मात देते हुए 1983 के बाद पहली बार विश्व कप पर कब्जा जमाया था।
इसी टीम का हिस्सा रहे युसूफ पठान ने इस विश्व कप के एक किस्से को याद किया, जब उन्होंने युवराज को अर्धशतक पूरा करने दिया और युवराज के खाते में विश्व कप के इतिहास में एक ही मैच में अर्धशतक और पांच विकेट लेने का रिकार्ड उनके नाम करने में मदद की।
युसूफ ने कहा, 'अंतिम पलों में युवराज अर्धशतक से करीब थे। मुझे फुल टॉस गेंद मिली और मैंने उसे वापस गेंदबाज के पास खेल दिया क्योंकि हमें जीत के लिए सिर्फ आठ रन चाहिए थे और युवराज को अर्धशतक के लिए पांच रनों की जरूरत थी।'
युवराज ने आयरलैंड के खिलाफ ग्रुप दौर में यह कारनामा किया था और युसूफ इस मैच में 30 रन बनाकर नाबाद लौटे थे।
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Source : IANS