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तालिबान को है क्रिकेट से प्रेम!

अफगानिस्तान के पूर्व क्रिकेटर खलिदाद नूरी ने कहा है कि तालिबान के आने से क्रिकेट का विकास होगा.

Updated on: 19 Aug 2021, 03:54 PM

highlights

  • अफगानिस्तान पर हो चुका है तालिबान का कब्जा 
  • अब्दुल राशिद सहित देश के कई क्रिकेटर हैं देश से बाहर
  • क्रिकेट के भविष्य पर भी लगा हुआ है प्रश्नचिह्न

 


 

नई दिल्ली :

अफगानिस्तान में इन दिनों तबाही मची है. तालिबान के डर से लोग भाग रहे हैं. इस हालातों में भी वहां क्रिकेट सुरक्षित है और क्रिकेट का विकास होगा. चौंकिए नहीं, तालिबान क्रिकेट का विकास करेगा ये बात कही है अफगानिस्तान के पूर्व क्रिकेटर खलिदाद नूरी ने. उन्होंने एक मीडिया इंटरव्यू में कहा कि तालिबान को क्रिकेट और क्रिकेटरों से प्रेम है. ऐसे में डरने की कोई बात नहीं है. क्रिकेट को लेकर अफगानिस्तान अभी भी एक सुरक्षित स्थान है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में क्रिकेट को अफगानिस्तान स्पोर्ट्स कमेटी में तब रजिस्टर किया गया जब अफगानिस्तान में तालिबान का ही शासन था. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में 1996 से 2001 के बीच ही क्रिकेट की शुरुआत हुई थी. वहीं, अगर इसके बाद की बात करें तो पिछले दो साल से अफगानिस्तान में क्रिकेट का कोई विकास नहीं हुआ.

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नूरी ने बताया कि अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड के चेयरमैन फरहान यूसुफजई दो साल से लंदन में हैं. वो वहीं से बोर्ड का संचालन कर रहे हैं. पिछले दो-तीन साल से अफगानिस्तान में घरेलू क्रिकेक का संचालन नहीं हो रहा. अब तालिबान का शासन आने के बाद अफगानिस्तान में क्रिकेट का विकास होगा. 

गौरतलब है कि पिछले दिनों अफगानिस्तान में तख्तापलट हो चुका है. पूरे देश को तालिबान ने अपने कब्जे में ले लिया है. अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग चुके हैं. तालिबान ने अफगानिस्तान के नाम बदलकर इस्लामिक अमीरात आफ अफगानिस्तान कर दिया है. देश से तमाम लोग भाग चुके हैं या भागने की तैयारी कर रहे हैं. 

अफगानिस्तान के तमाम क्रिकेटर भी देश छोड़ चुके हैं. यहां के स्टार क्रिकेटर इंग्लैंड में हैं. उन्होंने अफगानिस्तान में रह रहे अपने परिवार को लेकर चिंता भी जताई है. वहीं, अफगानिस्तान में 2010 से 2018 तक क्रिकेट कोच रहे उमेश पटवाल का कहना है कि चिंता वाली कोई बात नहीं है. उन्होंने अफगानिस्तान के क्रिकेटरों जैसे समीउल्लाह शिनवारी, हजरतुल्ला जाजाई, मुहम्मद नबी और राशिद खान जैसे क्रिकेटरों को संदेश देते हुए कहा  है कि वो लोग चिंता न करें. उनकी परिवार सुरक्षित हैं. 

हालांकि पूर्व क्रिकेटरों का यह आश्वासन कितना कारगर होगा यह देखने वाली बात होगी क्योंकि जिस तरह से अफगानिस्तान में तालिबान का आतंक बढ़ रहा है, उससे यह आश्वासन बहुत कारगर होगा ऐसी उम्मीद कम ही है. तालिबान के कारण काबुल के हवाई अड्डे पर लोगों की भीड़ और देश से भागने की कोशिश की तस्वीरें और वीडियो पूरी दुनिया में वायरल हो रहे हैं. कई लोगों ने तो हवाई जहाज के पंखों और पहियों में लटककर सफर करने की कोशिश की. इस प्रयास में कुछ लोगों की मौत भी हो गई. ऐसे हालातों में जब पूरे देश के भविष्य पर प्रश्नचिह्न है, ये आश्वासन कारगर नहीं लगते. 

वहीं, कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने सभी क्रिकेटरों को मीडिया में बयान देने या सोशल मीडिया पर कुछ भी लिखने से मना किया हुआ है. यह बात भी सभी खिलाड़ियों से मौखिक तौर पर कही गई है. यहां के स्टार क्रिकेटर राशिद खान इन दिनों इंग्लैंड में 100स्टार क्रिकेट सीरीज खेल रहे हैं. उन्होंने 10 अगस्त को अपने ट्वीटर अकाउंट से एक ट्वीट किया था, जिसमें लिखा था पीस...यानी शांति. हालांकि तब तक अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा नहीं हुआ था. ऐसे में क्रिकेटरों की यह चुप्पी बता रही है कि नूरी जैसे पूर्व क्रिकेटरों पर खिलाड़ियों को भरोसा करना आसान नहीं होगा. वहीं, आईसीसी इस समय अफगानिस्तान में क्रिकेट के हालातों को लेकर समीक्षा कर रहा है. देश के हालातों पर भी वहां के क्रिकेट का भविष्य भी निर्भर करेगा.