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RCA को लेकर गरमाई राजस्थान की सियासत, एक-दूसरे के दुश्मन बने कांग्रेस के दिग्गज नेता

RCA के चुनाव होने में अभी 3 दिन का समय शेष है, इसके साथ ही अभी तक नामांकन दाखिल नहीं हुए हैं. लेकिन उससे पहले ही आरसीए की राजनीति गरमाने लगी है.

Updated on: 01 Oct 2019, 06:29 AM

जयपुर:

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के एकजुटता के संदेश का राजस्थान के नेताओं पर कोई असर होता नजर नहीं आ रहा है। अब तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप-मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच ही विवाद चल रहा था। लेकिन अब क्रिकेट की राजनीति को लेकर कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी और पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी का आपसी झगड़ा सड़क पर आ गया है। राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) के अध्यक्ष जोशी ने जहां मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत को क्रिकेट की राजनीति में उतारकर सरकार का समर्थन हासिल करने की रणनीति बनाई है. दूसरी ओर, रामेश्वर डूडी ताल ठोक रहे हैं.

RCA के चुनाव होने में अभी 3 दिन का समय शेष है, इसके साथ ही अभी तक नामांकन दाखिल नहीं हुए हैं. लेकिन उससे पहले ही आरसीए की राजनीति गरमाने लगी है. दोनों ही गुट अब एक-दूसरे के सामने खुलकर आ गए हैं और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है. जहां रामेश्वर डूडी ने सीपी जोशी पर गंदी राजनीति के साथ ही सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाया तो वहीं अब दोनों ही गुट के पदाधिकारी भी खुलकर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में जुट गए हैं. सीपी जोशी गुट के माने जाने वाले अमीन पठान का कहना है कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता द्वारा दूसरे वरिष्ठ नेता के खिलाफ इस्तेमाल किए जाने वाले यह शब्द काफी निंदनीय है. रामेश्वर डूडी गुट की ओर से कहना है कि कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता अब कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ खड़े हुए हैं जो राजनीतिक दृष्टि से बहुत ही गलत संदेश है.

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पिछले 1 महीने से आरसीए चुनाव को लेकर जो गर्माहट का दौर चला रहा है, वह लगातार बरकरार है. पहले दो चुनाव अधिकारियों का बदलना और अब तीसरे चुनाव अधिकारी द्वारा आपत्तियों के साथ ही वोटर लिस्ट पर आपत्तियों की शांतिपूर्ण तरीके से सुनवाई के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि आरसीए के चुनाव 4 अक्टूबर को संपन्न हो जाएंगे लेकिन सुनवाई पूरी होने के साथ ही आप दोनों ही गुट द्वारा आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. रामेश्वर डूडी ने खुलकर सीपी जोशी के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है, तो वहीं सीपी जोशी गुट के पदाधिकारी बचाव में जुट गए हैं. अमीन पठान का कहना है कि "आरसीए के चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से करवाने के लिए पहली भी खुले रूप में स्वागत था और अभी भी खुले रुप में स्वागत है, लेकिन एक वरिष्ठ नेता द्वारा इस प्रकार के आरोप लगाना काफी गलत है. रामेश्वर डूडी जिनका क्रिकेट से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है उनके द्वारा यदि क्रिकेट को लेकर किसी ऐसे व्यक्ति के ऊपर आरोप लगाया जा रहा है जिन्होंने राजस्थान की क्रिकेट को जमीन से उठाकर बुलंदियों तक पहुंचाया है. ऐसे में अपनी हार के डर से रामेश्वर डूडी और उसके गुट के लोग बेबुनियाद ही बयान बाजी
कर रहे हैं.

दूसरी ओर सीपी जोशी गुट के माने जाने वाले और आरसीए के संयुक्त सचिव महेंद्र नाहर भी पिछले 3 दिनों से अपने कड़े तेवर दिखा रहे हैं महेंद्र नाहर जहां पहले ही साफ कर चुके हैं कि दूसरे गुट से किसी भी प्रकार के समझौते के आसार नहीं है. ऐसे में एक बार फिर से महेंद्र नाहर ने कहा कि "चुनाव को लेकर पूरी तरीके से आश्वस्त हैं और 4 अक्टूबर को निष्पक्ष तरीके से चुनाव संपन्न होंगे. दूसरे गुट की ओर से लगातार आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. सुनवाई के दौरान भी दूसरे गुट ने हंगामे की बात कहकर भारी पुलिस जाब्ता तैनात करने की मांग की थी. लेकिन आज एकदम शांतिपूर्ण तरीके से सुनवाई पूरी हुई है. ऐसे में दूसरे गुट को हंगामे से ज्यादा अपनी हार का डर सता रहा है.

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सीपी जोशी गुट के 2 प्रतिनिधियों द्वारा आरोप लगाने के बाद अब रामेश्वर डूडी गुट के प्रतिनिधि भी चुप नहीं हैं. रामेश्वर डूडी गुट के माने जाने वाले और आरसीए के कोषाध्यक्ष पिंकेश जैन ने खुलकर सीपी जोशी और उनके गुट के प्रतिनिधियों पर आरोप लगाए हैं. पींकेश जैन का कहना है कि "आरसीए में अब ऐसे दिन आ गए हैं कि एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता के खिलाफ एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता खड़े हो गए हैं. उनके खिलाफ वकीलों की पूरी फौज खड़ी कर दी है. जो राजनीतिक दृष्टि से बिल्कुल भी सही नहीं है. ऐसे में सरकारी मशीनरी का चाहे कितना भी दुरुपयोग किया जाए लेकिन जो सही है जीत आखिर में उसी की होगी. सीपी जोशी गुट को पहले भी हार का डर सता रहा था और अभी तक भी उनका यह डर कायम है. आरसीए की क्रिकेट की राजनीति में गंदी राजनीति का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए."

बहरहाल, आज शांतिपूर्ण तरीके से आपत्तियों पर सुनवाई तो हो गई है, लेकिन आने वाले 3 दिन आरसीए पर राजनीति की दृष्टि से काफी भारी नजर आ रहे हैं. आरसीए का चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन उससे पहले जो आरोप और प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ है. यह कहां जाकर रुकेगा इस पर भी अब सबकी नजरें टिकी हुई हैं.