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इरफान पठान के बाद अब इस पूर्व क्रिकेटर ने किया जामिया के छात्रों का समर्थन

सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद दिल्ली पुलिस ने जामिया परिसर में प्रवेश किया. सराय जुलनिया मथुरा रोड पर स्थित इस परिसर में जब हालात ज्यादा गंभीर हो गए तो पुलिस ने परिसर में आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया.

Updated on: 17 Dec 2019, 07:27 AM

New Delhi:

भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा रह चुके इरफान पठान (Irfan Pathan) ने पुलिस लाठीचार्च में घायल जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी (Jamia Millia University) के छात्रों को लेकर चिंता जताई है और अब भारतीय टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज आकाश चोपड़ा (Aakash Chopra) ने भी इरफान पठान (Irfan Pathan) का साथ दिया है. ये छात्र नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) (Citizenship Amendment Act 2019) के खिलाफ रविवार शाम प्रदर्शन कर रहे थे. इरफान पठान ने ट्वीट किया था, राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का खेल हमेशा चलता रहेगा, लेकिन मैं और हमारा देश जामिया के छात्रों के लिए चिंतित है. वहीं अब आकाश चोपड़ा ने लिखा, पूरे देश के शिक्षण संस्थानों से आ रही तस्‍वीरों से आहत हूं. आंखों में आंसू हैं. वह हम में से एक हैं. यह बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं. ताकत के दम पर आवाज को दबा कर हम भारत को महान नहीं बना सकते. इससे आप सिर्फ उन्हें भारत के खिलाफ कर देंगे.

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सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद दिल्ली पुलिस ने जामिया परिसर में प्रवेश किया. सराय जुलनिया मथुरा रोड पर स्थित इस परिसर में जब हालात ज्यादा गंभीर हो गए तो पुलिस ने परिसर में आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया. न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में डीटीसी बस को जला दिया गया, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया. दिल्ली पुलिस ने हालांकि विश्वविद्यालय परिसर में घुसने की बात को नकारा है. दक्षिण पूर्वी दिल्ली के पुलिस कमिश्नर चिन्मय बिस्वाल ने भी कहा है कि विरोध प्रदर्शन करने वाले लोगों को मात्र पीछे किया गया और पुलिस ने किसी तरह की फायरिंग नहीं की. उन्होंने कहा कि जब पुलिस वालों ने देखा कि उन पर पत्थरबाजी की जा रही है तो उन्होंने ऐसा करने वालों को पहचानने और उन्हें पकड़ने की कोशिश की.

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उधर खबर यह भी है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act 2019) के विरोध में देशभर में विभिन्न स्थानों पर चल रहे हिंसक प्रदर्शनों के बीच गृह मंत्रालय (Home Ministry) के साथ साझा की गई ताजा खुफिया रिपोर्ट में कुछ राजनीतिक दलों के साथ ही प्रतिबंधित चरमपंथी और आतंकवादी इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों सिमी (SIMI) और पीएफआई (PFI) पर संदेह जाहिर किया गया है. सूत्रों का कहना है कि पिछले हफ्ते मंत्रालय के साथ साझा की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि यह उन लोगों की करतूत है, जो सरकार के कदम के खिलाफ हैं. मंत्रालय के सूत्रों ने कहा, कुछ राजनीतिक दलों ने विभिन्न स्थानों पर हिंसक कृत्यों को प्रज्वलित किया, जिससे चरमपंथी और उग्रवादी इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और इस्लामिक स्टूडेंट मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के स्लीपर सेल को अवसर मिला.

(इनपुट आईएएनएस)