भारत-इंग्लैंड सीरीज में इस्तेमाल होगा डीआरएस सिस्टम, जानें क्या है यह प्रणाली
लंबे समय से विवादों में चल रहे डीआरएस सिस्टम को आखिरकार भारत- इंग्लैंड सीरीज में प्रयोग किया जायेगा
नई दिल्ली:
लंबे समय से विवादों में चल रहे डीआरएस सिस्टम को आखिरकार भारत- इंग्लैंड सीरीज में प्रयोग किया जायेगा। नवंबर में भारत और इंग्लैंड के बीच होने सीरीज में 3 वनडे और 2 टी-20 मुकाबले खेले जाने हैं। इस सिस्टम का प्रयोग बीसीसीआई इस सीरीज में ट्रायल के तौर पर करेगा।
BCCI to include DRS (Decision Review System) on a trial basis during the India vs. England Test series, 2016
— ANI (@ANI_news) October 21, 2016
भारतीय जमीन पर किसी द्विपक्षीय सीरीज में आजतक कभी डिसीजन रिव्यू सिस्टम (डीआरएस) का इस्तेमाल नहीं हुआ था। आखिरी बार भारत में इसका इस्तेमाल 2011 आईसीसी विश्व कप के दौरान हुआ था लेकिन वो एक मल्टी टीम टूर्नामेंट था। हालांकि हाल में टेस्ट कप्तान विराट कोहली ने जरूर इस प्रणाली को लेकर अपनी रुचि दिखाई थी।
क्या है डीआरएस?
डीआरएस वर्तमान में क्रिकेट के खेल में प्रयोग की जाने वाली एक नई तकनीक आधारित प्रणाली है। इस प्रणाली का सबसे पहली बार प्रयोग टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाज के आउट होने या नहीं होने की स्थिति में मैदान में स्थित अंपायरों द्वारा दिए गए विवादास्पद फैसलों की समीक्षा करने के एकमात्र उद्देश्य से किया गया था।
केवल दो फैसलों पर हो सकता है डीआरएस
कोई भी टीम एक इनिंग्स में दो बार डीआरएस का प्रयोग कर सकती है। अगर डीआरएस सफल हो जाता है तो उस टीम को दोबारा डीआरएस रिव्यू लेने का मौका मिल जाता था और अगर डीआरएस सफल नहीं होता है तो आपका एक डीआरएस बेकार हो जायेगा। क्षेत्ररक्षण टीम के कप्तान या बल्लेबाज आउट करार दिए जाने पर हाथों से "टी (T)का संकेत देकर निर्णय को चुनौती देता है।
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