क्या महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली भी कर सकते हैं सट्टेबाजी? जानें क्या बोले बीसीसीआई अधिकारी
अजीत ने कहा कि ऐसे मामले अब भारत से बाहर जाते दिख रहे हैं जो कि यह दर्शाता है कि बीसीसीआई इस खेल में भ्रष्टाचार को रोकने के अपने प्रयास में सफल रहा है.
नई दिल्ली:
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की भ्रष्टाचार रोधी ईकाई (एससीयू) के प्रमुख अजीत सिंह का मानना है कि सट्टेबाज कभी भी विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी जैसे स्टार खिलाड़ियों से संपर्क करने का प्रयास नहीं करेंगे क्योंकि इस कद के खिलाड़ी कभी भी सट्टेबाजों के झांसे में नहीं आएंगे. अजीत का यह बयान तमिलनाडु प्रीमियर लीग (टीएनपीएल) में लगे फिक्सिंग के आरोपों के बाद आया है.
अजीत ने कहा, "अगर आप मुझसे पूछेंगे तो आज क्रिकेट में अगर कोई स्टार खिलाड़ी इस तरह की चीजों में संलिप्त होता है तो वह अपना नुकसान करता है. मान लीजिए कि अगर विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी जैसे स्टार क्रिकेटर इसमें शामिल होते हैं तो इससे उन्हें पैसों और प्रतिष्ठिता दोनों का नुकसान है. प्रतिष्ठिा अधिक मायने रखती है. इसलिए वे इन चीजों के लिए अपनी प्रतिष्ठता नहीं खोएंगे."
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उन्होंने कहा, "वे लोग (सट्टेबाज) मौके तलाशते हैं जो कि वे कर सकते हैं. अगर वे किसी टूर्नामेंट में ऐसा नहीं करते हैं तो वे अपनी लीग शुरू करते हैं. वे अब दूसरे देश की तरफ देख रहे हैं, जहां वे टूर्नामेंटों का आयोजन करते हैं. आप किसी को टूर्नामेंट का आयोजन करने से नहीं रोक सकते क्योंकि यह एक स्वतंत्र देश है. लेकिन बीसीसीआई ऐसा कर सकती है और यह कह सकती है कि यह मान्यता प्राप्त नहीं है, इसलिए खिलाड़ियों का नामांकन नहीं हो सकता."
अजीत ने कहा कि ऐसे मामले अब भारत से बाहर जाते दिख रहे हैं जो कि यह दर्शाता है कि बीसीसीआई इस खेल में भ्रष्टाचार को रोकने के अपने प्रयास में सफल रहा है. उन्होंने कहा, "सट्टेबाजों के लिए अब चीजें मुश्किल हो रही हैं, इसलिए अब उन्हें अलग-अलग तरीकों और साधनों को खोजना होगा क्योंकि अब वे इसमें अपने धंधे को आगे नहीं बढ़ा सकते हैं. इसलिए अब उन्हें बाहर लीग का आयोजन करते देखा जा सकता है. इस मामले में हम आईसीसी को लगातार सुझाव देते रहते हैं."
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एसीयू प्रमुख का मानना है कि सट्टेबाजी को वैध करने के अलावा खेलों में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए आपराधिक आपराध बनाए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, "जिन चीजों को बदलने की जरूरत है उनमें सट्टेबाजी को वैध करने की जरूरत है. अगर आप इसकी सूचना प्रवर्तन एजेंसी को देते हैं, वह चाहे पुलिस या कोई भी एजेंसी जिसे सरकार चाहती है. इस पर बहस करने की जरूरत है. हमारे कई राज्यों में शराब पर प्रतिबंध है, इसलिए यहां यह जरूरी हो जाता है कि इसमें नैतिकता को शामिल किया जाना चाहिए कि नहीं."
उन्होंने कहा, "इस समय खेलों में भ्रष्टाचार कोई बहुत बड़ी बात नहीं है. अगर चीजें बदलती है और इसके खिलाफ अगर कानून स्पष्ट होता है कि तो फिर इसमें पुलिस की भूमिका भी स्पष्ट होगी.
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