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COA ने लिया एक और चौंकाने वाला फैसला, अब रवि शास्त्री- विराट कोहली से मांगा पत्नी और प्रेमिका की यात्राओं का ब्यौरा

आरएम लोढा (RM Lodha) ने कहा कि लोकपाल को अब लोढा पैनल के प्रस्तावित नए संविधान के खिलाफ उठने वाली कदमों को रोकना चाहिए.

Updated on: 19 Jul 2019, 06:38 PM

नई दिल्ली:

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का कामकाज देखने के लिए सर्वोच्च अदालत द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए (COA)) ने भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री से विदेश दौरों के दौरान टीम के सदस्यों की पत्नियों और प्रेमिकाओं की यात्राओं को लेकर ब्यौरा देने का कहा है. सीओए (COA) के इस फैसले से ना केवल बीसीसीआई के अधिकारी हैरान हैं बल्कि लोढा पैनल भी आश्चर्यचकित है. पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढा (RM Lodha) ने कहा कि अब इस मामले में बोर्ड के लोकपाल डीके जैन को ही कोई फैसला लेना चाहिए. आरएम लोढा (RM Lodha) ने कहा कि लोकपाल को अब लोढा पैनल के प्रस्तावित नए संविधान के खिलाफ उठने वाली कदमों को रोकना चाहिए.

आरएम लोढा (RM Lodha) ने कहा, ' मैं क्या कह सकता हूं. फैसला लेने के लिए लोकपाल वहां है. हर कोई लोढा पैनल के प्रस्तावों को अपने तरीके से व्याख्या कर रहा है. हमारे सुझाव संविधान के अनुरूप है. अब जब कोई मामला उठता है तो लोकपाल को इस पर फैसला लेना चाहिए.'

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आरएम लोढा (RM Lodha) इस बात से पूरी तरह से हैरान है कि कैसे सीओए (COA), नए संविधान को लागू में विफल रहा है.

आरएम लोढा (RM Lodha) ने कहा, 'बिल्कुल, पिछले दो वर्षो में कुछ भी नहीं हुआ है. हम सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित रिपोर्ट को लागू होते देखना चाहते थे. लेकिन दो साल से अधिक समय हो गया है और हमने कुछ नहीं देखा है.'

बीसीसीआई के अधिकारी ने कहा कि दौरे के बारे में कप्तान और कोच को अपनी पत्नी और प्रेमिकाओं को दौरों पर ले जाना स्पष्ट रूप से हितों का टकराव था.

आरएम लोढा (RM Lodha) ने कहा, 'उनके द्वारा कई ऐसे फैसले लिए गए हैं, जो कि ना केवल बीसीसीआई के नए संविधान की पूरी तरह उल्लंघन करता है बल्कि लोढा पैनल समिति की रिपोर्ट का भी उल्लंघन करता है. सीओए (COA) प्रशासन में हितों के टकराव जैसे मुद्दों के साथ आए हैं.'

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हालांकि अब यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि लोकपाल जैन इस पूरे मामले से कैसे निपटते हैं क्योंकि सीओए (COA) के एक सदस्य ने खुद यह स्पष्ट किया है कि बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित नहीं किया गया था.