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कोरोना वायरस की वजह से गेंद चमकाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है कृत्रिम पदार्थ: रिपोर्ट

आईसीसी अंपायरों की निगरानी में गेंद को चमकाने के लिये कृत्रिम पदार्थ के इस्तेमाल की अनुमति देने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं.

Updated on: 24 Apr 2020, 06:45 PM

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस महामारी के कारण गेंदबाज अब क्रिकेट गेंद पर थूक नहीं लगा सकेंगे लिहाजा उसे चमकाने के लिये कृत्रिम पदार्थ के इस्तेमाल की अनुमति देने पर विचार किया जा सकता है. इसे दूसरे शब्दों में गेंद से छेड़खानी भी कह सकते हैं. ‘ईएसपीएन क्रिकइन्फो’ की रिपोर्ट के अनुसार प्रशासक अंपायरों की निगरानी में गेंद को चमकाने के लिये कृत्रिम पदार्थ के इस्तेमाल की अनुमति देने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं.

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खेल के नियमों के तहत हालांकि ये गेंद से छेड़खानी के दायरे में आता है. हालांकि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की मुख्य कार्यकारियों की समिति के एक सदस्य ने पीटीआई-भाषा से बात की और उन्होंने यह कहने से इनकार कर दिया कि इस तरह की चर्चा होगी और सिर्फ यह खुलासा किया कि ‘गेंद पर थूक लगाने की बात पर वे विचार करेंगे लेकिन ऐसा बाद में होगा जब ऐसा लगेगा कि क्रिकेट की वापसी होने वाली है.’’

आईसीसी की चिकित्सा समिति द्वारा यह मुद्दा उठाया गया कि थूक लगाना सुरक्षित नहीं है और क्रिकेट के शुरू होने से पहले इस पर चर्चा की जायेगी. कोरोना वायरस के कारण सभी खेल गतिविधियां बंद हो गयी हैं. टेस्ट क्रिकेट में गेंद की चमक काफी अहम होती है क्योंकि इससे गेंदबाजों को गेंद स्विंग और रिवर्स स्विंग कराने में मदद मिलती है. अगर इस विकल्प को मंजूरी मिल जाती है तो यह बड़ी विडंबना होगी क्योंकि गेंद पर रेगमाल रगड़ने की कोशिश में ही स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर को 2018 में एक साल का प्रतिबंध झेलना पड़ा था.

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आईसीसी मुख्य कार्यकारियों की गुरूवार को हुई आनलाइन बैठक के बाद इसकी चिकित्सा समिति के प्रमुख पीटर हारकोर्ड ने अपडेट जारी किया. इसमें कहा गया, ‘‘हमारा अगला कदम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की बहाली का खाका तैयार करना है. इसमें ये देखना होगा कि क्या क्या कदम उठाने होंगे.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसमें खिलाड़ियों की तैयारी से लेकर सरकार की पाबंदियां और दिशा निर्देश शामिल होंगे.’’

भारत के पूर्व तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद ने गेंद पर थूक का इस्तेमाल नहीं करने के प्रस्ताव का समर्थन किया. उन्होंने कहा, ‘‘खेल बहाल होने पर कुछ समय के लिये सिर्फ पसीने का ही इस्तेमाल करना चाहिये क्योंकि खिलाड़ियों की सुरक्षा सर्वोपरि है.’’